Go First मामले पर क्यों कार्रवाई नहीं कर पा रही DGCA, विमान मालिकों को बताई अपनी मजबूरी
वास्तव में भारत सरकार केपटाउन कंवेंशन पर साइन किए हुए हैं, यह कंवेंशन 2001 में रिपोजिशन अधिकारों की रक्षा के लिए बनाया गया है. डीजीसीए का तर्क है कि हमारे देश में इसे लागू करने वाला कोई लोकल लॉ नहीं है, जिसकी वजह से यहां पर यह इफेक्टिव नहीं होता.
एविएशन रेगूलेटर डीजीसीए ने मंगलवार को कहा कि क्राइसिस के दौर से गुजर रही गो फर्स्ट एयरलाइन के लीजर्स यानी पट्टेदारों के विमानों को वापस लेने की रिक्वेस्ट को होल्ड पर डाला गया है ना कि खारिज किया गया है. वहीं दूसरी ओर गो फर्स्ट ने एक बार फिर से फ्लाइट्स शुरू करने की डेट को आगे की ओर खिसका दिया है. कैरियर ने सभी को फ्लाट्स को 4 जून तक के लिए टाल दिया है.
वास्तव में भारत सरकार केपटाउन कंवेंशन पर साइन किए हुए हैं, यह कंवेंशन 2001 में रिपोजिशन अधिकारों की रक्षा के लिए बनाया गया है. डीजीसीए का तर्क है कि हमारे देश में इसे लागू करने वाला कोई लोकल लॉ नहीं है, जिसकी वजह से यहां पर यह इफेक्टिव नहीं होता. डीजीसीए फाइलिंग में कहा गया है कि लोकन लॉज “किसी भी इंटरनेशनल ट्रीटी से ज्यादा मजबूत और पॉवरफुल होते हैं.
लीजर्स की बात क्यों नहीं मान रही डीजीसीए
रेगूलेटर के अनुसार वह गो फर्स्ट के लीजर्स यानी पट्टेदारों की रिक्वेस्ट पर कोई कार्रवाई इसलिए नहीं कर पा रहा है क्योंकि एयरलाइन के इन्सॉल्वेंसी पर चले जाने की वजह से कंपनी के सभी असेट्स फ्रीज हो गए हैं. डीजीसीए ने कहा कि स्थानीय कानून के अनुसार लीजर्स यानी पट्टेदारों को जब तक एयरक्राफ्ट वापस नहीं मिल सकते हैं, जब तक एयरलाइन पर बैंक्रप्सी प्रोटेक्शन खत्म नहीं हो जाता.
होल्ड पर डाली गई रिक्वेस्ट
बैंक्रप्सी प्रोटेक्शन ग्रांट करने पर एनसीएलटी ने गो फर्स्ट के सभी असेट्स को फ्रीज करने का आदेश दिया था. जबकि कुछ लीजर्स यानी पट्टेदारों ने पहले ही लीज को समाप्त कर दिया था और एविएशन रेगुलेटर से 40 से अधिक एयरक्राफ्ट वापस लेने के लिए अनुरोध किया था. डीजीसीए के अनुसार इंसॉल्वेंसी प्रोसेस चल रहा है, जिसकी वजह से वह लीगली लीजर्स यानी की रिक्वेस्ट को मंजूरी नहीं दे सकते हैं. जिसकी वजह से इस रिक्वेस्ट को होल्ड पर डाल दिया गया है.
रेजोल्यूशन प्लान पर भी चर्चा
गो फर्स्ट के लीजर यानी पट्टेदार, जिनमें स्टैंडर्ड चार्टर्ड के पेमब्रोक एयरक्राफ्ट लीजिंग, एसएमबीसी एविएशन, सीडीबी एविएशन के जीवाई एविएशन लीजिंग, जैक्सन स्क्वायर एविएशन और बीओसी एविएशन शामिल हैं, ने अपने विमानों को दोबारा हासिल करने के लिए अलग से कानूनी कार्रवाई शुरू की है. इंसॉल्वेंसी सॉल्यूशन प्रोसेस से गुजर रही गो फर्स्ट के सीनियर ऑफिशियल्स ने सोमवार को डीजीसीए के अधिकारियों के साथ अपनी रेजोल्यूशन प्लान पर भी चर्चा की थी. नई दिल्ली में हुई यह बैठक इसलिए हुई थी क्योंकि पिछले हफ्ते डीजीसीए ग्राउंडेड एयरलाइन को 30 दिनों के भीतर अपने रेजोल्यूशन प्लान पेश करने को कहा गया था.
4 जून तक फ्लाइट कैंसल
बजट कैरियर ने अमेरिकी इंजन मेकर प्रैट एंड व्हिटनी द्वारा इंजनों की डिलीवरी न करने के कारण ऑपरेशन करने में असमर्थता का हवाला देते हुए 2 मई को वॉलेंटरी इंसॉल्वेंसी सॉल्यूशन के लिए एक याचिका दायर की. 3 मई से उड़ान नहीं भरने वाली एयरलाइन की याचिका को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने 10 मई को स्वीकार किया था. एयरलाइन ने 4 जून तक फ्लाइट कैंसल कर दी है और कहा है कि पैसेंजर्स को पूरा रिफंड जारी किया जाएगा.
रिटेंशन अलाउंस देने का वादा
वहीं दूसरी ओर गो फर्स्ट ने अपने कैप्टन को उनके वेतन के अलावा ‘रिटेंशन अलाउंस’ के रूप में हर महीने 1 लाख रुपये देने का ऑफर किया है. एयरलाइन के अनुसार गो फर्स्ट के अधिकारियों को उनके मौजूदा वेतन के अलावा हर महीने रिटेंशन अलाउंस के रूप में 50,000 रुपये अतिरिक्त मिलेंगे. इन अलाउंस का पेमेंट जून से किया जाएगा.