कब पड़ेगी भाद्रपद अमावस्या, जानें इसकी पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और नियम
पूजा-पाठ, स्नान-दान और श्राद्ध आदि के लिए अत्यंत ही फलदायी माने जाने वाली भाद्रपद अमावस्या कब पड़ेगी और क्या है इसका धार्मिक महत्व, जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख.
पंचांग के अनुसार किसी भी मास के कृष्णपक्ष की पंद्रहवी तिथि को अमावस्या कहा जाता है. प्रत्येक माह में पड़ने वाली अमावस्या का अपना बहुत महत्व होता है. भाद्रपद मास की अमावस्या, जिसे पिठोरी, कुशोत्पाटिनी अमावस्या आदि के नाम से जाना जाता है, उसका पूजा-पाठ की दृष्टि से बहुत ज्यादा महत्व होता है. यह तिथि पितरों के निमित्त किए जाने वाली पूजा, तर्पण आदि से लेकर स्नान-दान आदि के लिए बेहद फलदायी मानी गई है. आइए भाद्रपद मास की अमावस्या की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और धार्मिक महत्व के बारे में विस्तार से जानते हैं.
कब लगेगी भाद्रपद अमावस्या
पंंचाग के अनुसार इस साल भाद्रपद अमावस्या 26 अगस्त 2022 को दोपहर 12:23 बजे से प्रारंभ होकर 27 अगस्त 2022 को दोपहर 01:46 बजे तक रहेगी. चूंकि सनातन परंंपरा उदया तिथि को ही किसी तीज या त्योहार का आधार माना जाता है, ऐसे में 27 अगस्त 2022 को ही भाद्रपद अमावस्या मानते हुए पूजा की जाएगी.
भाद्रपद अमावस्या का धार्मिक महत्व
सनातन परंपरा में जिस भाद्रपद मास को भक्ति और मुक्ति के लिए जाना जाता है उस मास में पड़ने वाली अमावस्या को कुशग्रहणी या कुशोत्पाटिनी अमावस्या के रूप में भी जाना जाता है. इस दिन पूजा-पाठ में प्रयोग लाई जाने वाली पवित्र कुशा को इकट्ठा किया जाता है.
अमावस्या की पूजा विधि एवं उपाय
भाद्रपद मास की अमावस्या के दिन सूर्योदय से पहले उठकर यदि संभव हो तो किसी नदी में अथवा अपने घर में स्नान-ध्यान करें. इसके बाद प्रत्यक्ष देवता भगवान सूर्यदेव को अर्घ्य दें और पितरोंं के निमित्त तर्पण एवं पिंडदान करें. ज्योतिष के अनुसार यदि आपकी कुंंडली में शनि दोष या फिर कालसर्प दोष हो तो आपको भाद्रपद मास की अमावस्या पर विशेष पूजा करनी चाहिए. मान्यता है कि अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ के नीचे तेल का दीया जलाने से शनि दोष दूर होता है. अमावस्या के दिन विधि-विधान से हवन और जरूरतमंद व्यक्ति को अन्न एंव धन का दान करने पर सभी प्रकार के दोष दूर होते हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है.
भाद्रपद अमावस्या पर न करें ये गलतियां
भाद्रपद अमास्या के दिन शुभ फल को पाने और अशुभ फलों से बचने के लिए व्यक्ति को कुछेक चीजों का विशेष ध्यान रखना चाहिए. जैसे इस तिथि पर भूलकर अपने पितरों कोसना या फिर उनका उपहास नहीं उड़ाना चाहिए. अमावस्या के दिन व्यक्ति को भूलकर भी मांस-मदिरा आदि तामसिक चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए. इस दिन लोगों के साथ लड़ाई-झगड़ा करने से भी बचना चाहिए. अमावस्या के दिन किसी सूनसान जगह पर जाने से बचना चाहिए.
(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)