गौतम अडानी की दौलत में 70 अरब डॉलर की गिरावट, हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद लगातार घटी संपत्ति

गौतम अडानी की दौलत में 70 अरब डॉलर की गिरावट, हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद लगातार घटी संपत्ति

गौतम अडानी की नेटवर्थ में और गिरावट देखी गई है. क्योंकि उनके स्वामित्व वाली लिस्टेड कंपनियों के शेयरों में शेयर बाजार पर तेजी से गिरावट देखने को मिल रही है.

अरबपति गौतम अडानी की नेटवर्थ में और गिरावट देखी गई है. क्योंकि उनके स्वामित्व वाली लिस्टेड कंपनियों के शेयरों में शेयर बाजार पर तेजी से गिरावट देखने को मिल रही है. उद्योगपति की नेटवर्थ आज की तारीख में 46.1 अरब डॉलर पर मौजूद है. यह डेटा ब्लूमबर्ग बिलिनेयर्स इंडैक्स के मुताबिक है. इंडैक्स पर अडानी गिरावट के साथ 27वें पायदान पर पहुंच गया है. जहां करीब एक महीने पहले ही वे तीसरे पायदान पर मौजूद थे.

क्या आरोप लगाया गया था?

एक महीने से कम समय में, गौतम अडानी की नेट वर्थ में 70 अरब डॉलर से ज्यादा की गिरावट देखने को मिली है. ऐसा 24 जनवरी 2023 को अमेरिकी शॉर्ट सेलर कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आने के बाद हुआ है. अरबपति की नेट वर्थ में अमेरिकी शॉर्ट सेलर द्वारा रिपोर्ट जारी होने के बाद से 72.9 अरब डॉलर की गिरावट आई है.

अडानी ग्रुप ने हिंडनबर्ग की ओर से लगाए गए स्टॉक से छेड़छाड़ और टैक्स हैवन्स के गलत इस्तेमाल के आरोपों से इनकार कर दिया है. हालांकि, कंपनी निवेशकों और शेयरधारकों को संतुष्ट करने में असफल रहरी है, जो ग्रुप की कर्ज चुकाने और आगे ग्रोथ की रफ्तार को जारी रखने की क्षमता को लेकर चिंता में हैं.

क्या मिलता है दौलत में गिरावट से संकेत?

अडानी ग्रुप अपनी लिस्टेड कंपनियों द्वारा कर्ज में भी कटौती कर रहा है. लेकिन यह भी उसके शेयरों की ओर बाजार की भावनाओं को बढ़ावा देने में असफल रहा है.

गौतम अडानी की नेट वर्थ में तेज गिरावट यह दिखाती है कि अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयर दलाल स्ट्रीट पर बड़े संकट का सामना कर रहे हैं. अडानी ग्रुप के दस लिस्टेड शेयरों में 11 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हो चुका है. अडानी टोटल गैस, अडानी ट्रांसमिशन और अडानी ग्रीन एनर्जी में 70 फीसदी से ज्यादा की गिरावट देखने को मिली है.

हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट सामने आने के बाद से अडानी ग्रुप चुनौतियों का सामना कर रहा है. इस रिपोर्ट में अडानी ग्रुप पर भारी कर्ज होने की बात कही गई थी. साथ ही कंपनी के कॉरपोरेट गवर्नेंस में कोताही, अकाउंटिंग फ्रॉड और शेयरों के भाव में हेर-फेर करने का भी आरोप लगाया गया था.