Lalganj Lok Sabha seat: कभी कांग्रेस का गढ़ था लालगंज, 2019 में हाथी ने की सवारी; क्या इस बार भी जीतेगी BSP?

Lalganj Lok Sabha seat: कभी कांग्रेस का गढ़ था लालगंज, 2019 में हाथी ने की सवारी; क्या इस बार भी जीतेगी BSP?

बीजेपी ने यहां अपने पू्र्व सांसद नीलम सोनकर पर भरोसा जताया है तो वहीं समाजवादी पार्टी ने यहां से दो बार सांसद रहे दरोगा प्रसाद सरोज को पांचवीं बार उम्मीदवार बनाकर मैदान में उतारा है. बीएसपी ने अभी अपने उम्मीदवार के नाम का ऐलान नहीं किया है.

लालगंज एक सुरक्षित लोकसभा सीट है. यह आजमगढ़ जिले में है. दरअसल आजमगढ़ में दो लोकसभा सीट है. एक आजमगढ़ और एक लालगंज. लालगंज लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. बहम मायावती की पार्टी की संगीता आजाद यहां की सांसद हैं. यह सीट 1962 में अस्तित्व में आया और यहां के पहले सांसद प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के विश्राम प्रसाद सांसद चुने गए थे. इस लोकसभा सीट से एक दिलचस्प बात जुड़ा है. यहां से चुने जाने वाले ज्यादातर सांसद के नाम में किसी ना किसी तरह राम शामिल है. हालाकि 2014 में बीजेपी की तरफ से जीत दर्ज करने वाली नीलम सोनकर और 2019 में बसपा की टिकट पर संसद पहुंचने वाली संगीता आजाद के नाम में राम शामिल नहीं है.

यहां सबसे ज्यादा बार सांसद बनने का रिकार्ड रामधन के नाम है. वह तीन बार कांग्रेस और दो बार जनता पार्टी की टिकट पर लोकसभा पहुंचे हैं. लालगंज में बहुजन समाज पार्टी ने सबसे ज्यादा चार बार जीत दर्ज की है. 2019 में बीएसपी की संगीता आजाद ने बीजेपी की नीलम सोनकर को शिकस्त दी थी.

2019 में बीएसपी ने की थी जीत दर्ज

संगीता आजाद ने नीलम सोनकर को 1,61,597 वोटों से हराया था. संगीता को 518,820 वोट मिले थे जबकि बीजेपी के नीलम सोनकर को 3,57,223 वोट मिले. एसबीएसपी के उम्मीदवार डॉ. दिलीप कुमार सरोज 17,927 वोट लाकर तीसरे जबकि कांग्रेस उम्मीदवार पंकज मोहन सोनकर 17,630 वोट लाकर चौथे स्थान पर थे. 2019 में बीएसपी सपा और आरएलडी ने मिलकर चुनाव लड़ा था. इससे पहले 2014 में बीजेपी ने यहां जीत दर्ज की थी. बीजेपी ने यहां पहली बार खाता खोला था और 63,086 वोटों से सपा के बेचई सरोज को शिकस्त दी थी. बीजेपी उम्मीदवार नीलम सोनकर को 3,24,016 जबकि सपा उम्मीदवार को 3,24,016 वोट मिले थे. बसपा के डॉ बलिराम तीसरे स्थान पर रहे थे. कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार बलिहारी बाबू को 21,832 वोट मिले थे और वह चौथे स्थान पर रहे.

लालगंज का राजनीतिक इतिहास

लालगंज 1962 में अस्तित्व में आया. इसके बाद यहां हुए पहले चुनाव में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के कैंडिडेट विश्राम प्रसाद ने कांग्रेस कैंडिडेट को करीब 20 हजार वोटों से हराया था. इसके बाद 1967 और 1971 में कांग्रेस की टिकट पर और 1977 में जनता पार्टी की टिकट पर रामधन लगातार तीन बार सांसद पहुंचे. 1980 में उन्हें जनता पार्टी के छांगुर राम ने हरा दिया. 1984 में रामधन ने कांग्रेस की टिकट पर और 1989 में जनता दल की टिकट पर चुनाव जीता था. रामधन लालगंज के सबसे ज्यादा पांच बार सांसद बने थे.

1996 में पहली बार BSP

1996 में यहां मायावती की पार्टी बीएसपी की एंट्री हुई और बलिराम यहां के सांसद बने. फिर 2004 में सपा के दारोगा प्रसाद सरोज सांसद बने. 1999 में बीएसपी के बलिराम 2004 में फिर दारोगा प्रसाद सरोज की वापसी हुई. 2009 में एकबार फिर बीएसपी के बलिराम जीत दर्ज करने में कामयाब हुए. इसके बाद 2014 में मोदी लहर में नीलम सोनकर जीत दर्ज करने में कामयाब हुई फिर 2019 में बीएसपी की संगीता प्रसाद यहां से लोकसभा पहुंची.

लालगंज को वोट गणित

लालगंज एक सुरक्षित सीट है. इस सीट के अंतर्गत पांच विधानसभा-फूलपुर पवई, दीदारगंज, अतरौली, अतरौलिया निजामाबाद और लाल गंज है. इस सीट पर यादव, मुस्लिम और दलित वोटर निर्णायक संख्या में हैं. लालगंज में यादव दो लाख, राजभर एक लाख 20 हजार, खटीक एक लाख 20 हजार, पासी एक लाख 30 हजार, वैश्य 80 हजार, अन्य ओबीसी तीन लाख, अन्य अनुसूचित जाति के वोटरों की अनुमानित संख्या करीब एक लाख है. यहां करीब ढ़ाई लाख मुस्लिम वोटर है. लालगंज के फूलपुर, अतरौलिया और निजामाबाद मुस्लिम और यादव बाहुल है. लालगंज में कुल 17,51,980 वोटर हैं. इनमें 8,16,527 जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 9,35,421 है.थर्ड जेंडर निर्वाचक यहां 32 हैं.