गोवा का अधूरा ख्वाब मेघालय में पूरा करेंगी दीदी ! इरादे बता गया TMC का यह दांव
2018 के चुनाव में जिस टीमएसी के पास एक भी सीट नहीं थी वह 2021 में अचानक राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी बन गई थी. दरअसल टीएमसी ने 17 में से 12 विधायकों को एक साथ तोड़ लिया था.
मेघालय में सत्तारुढ़ नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के लिए TMC मुख्य चुनौती बनती जा रही है. पूर्व सीएम मुकुल संगमा और मेघालय में कांग्रेस के बड़े नेताओं को पार्टी में शामिल कर ममता ने मजबूत मुकाबले की तैयारी कर ली है, हालांकि ममता बनर्जी गोवा चुनाव में मिले अनुभव को लेकर सतर्क भी हैं, वह पिछले दिनों मेघालय में एक सभा के दौरान भी इसका जिक्र कर चुकी हैं.
ममता ने कहा था कि ‘गोवा में हमारे पास मजबूत नेता नहीं थे, लेकिन मेघालय में हमारे पास वो सब है जो जीत के लिए चाहिए’. दरअसल ममता बनर्जी चाहती हैं कि टीएमसी का विस्तार हो और वह पश्चिम बंगाल के बाहर भी कहीं सरकार बनाए. गोवा से ममता को उम्मीद थीं, लेकिन वहां पार्टी पूरी तरह नकार दी गई थी. मेघालय से ममता को बहुत उम्मीदें हैं. ममता ने दावा यहां तक किया है कि राज्य में प्रॉक्सी बीजेपी सरकार का एक मात्र विकल्प टीएमसी ही है.
मेघालय में किया कांग्रेस को खत्म
दीदी ने मेघालय में ऐसा दांव चला कि कांग्रेस खत्म हो गई. मेघालय में पिछले चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. उस चुनाव में पार्टी ने सर्वाधिक 21 सीटें हासिल की थी और उसका वोट शेयर भी तकरीबन 28% था. बाद में कांग्रेस के चार विधायकों ने इस्तीफा दे दिया था ओर राज्य में कांग्रेस विधायकों की संख्या 17 रह गई थी.
खास बात ये है कि 2018 के चुनाव में जिस टीमएसी के पास एक भी सीट नहीं थी वह 2021 में अचानक राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी बन गई थी. दरअसल टीएमसी ने 17 में से 12 विधायकों को एक साथ तोड़ लिया था. अब टीएमसी ये मानकर चल रही है कि पश्चिम बंगाल के बाद मेघालय ऐसा दूसरा राज्य होगा जहां पार्टी अपनी सरकार बनाएगी.
मुद्दों पर भी फोकस
मेघालय में जीत दर्ज कर टीएमसी सिर्फ पश्चिम बंगाल की पार्टी होने का टैग हटाना चाहती है. इसीलिए पार्टी लगातार असम के साथ राज्य सीमा संघर्ष, अनइर लाइन परमिट जैसे मुद्दों का लगातार जिक्र कर रही है, खास बात ये है कि टीएमसी ने अपने घोषणापत्र में इस बात का दावा किया है कि सरकार बनने के बाद वह असम के साथ हुए राज्य सीमा समझौते को रद्द कर देंगे.
एनपीपी भी चल रही दांव
मेघालय में टीएमसी की तैयारियों के बीच सत्तारुढ़ एनपीपी लगातार विरोध कर रही है. पार्टी प्रमुख और राज्य के सीएम कॉनरेड संगमा टीएमसी को बाहरी पार्टी का टैग दे रहे हैं. उनका कहना है कि पश्चिम बंगाल के चुनाव के दौरान टीएमसी लगातार भाजपा को बाहरी बताती रही है, जबकि वे खुद मेघालय के लिए बाहरी हैं. संगमा ने तो यहां तक कहा कि मेघालय की सरकार मेघालय के ही बेटे-बेटियां चलाएंगे. दरअसल एनपीपी ने इस बार अपने दम ही राज्य में सरकार बनाने का दावा किया है.
भाजपा भी लगा रही दम
एनपीपी और भाजपा ने मेघालय की सरकार गठबंधन से चलाई, लेकिन चुनाव एक बार फिर अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है, फिलहाल भाजपा का फोकस उन विधानसभा क्षेत्रों में है, जहां पर एनपीपी कमजोर है. दरअसल भाजपा एनपीपी विरोधी वोटों को बांट रही है, यदि ऐसा न हो सका तो यह सीटें टीएमसी के खाते में जाने की संभावना है. राज्य में कांग्रेस की हालत सबसे ज्यादा खराब है, 2018 के चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरा ये दल अब यहां संघर्ष करता नजर आ रहा है.