मुंबई के झोपड़पट्टी में लगी भीषण आग, 100 से अधिक झुग्गियां जलकर खाक; बच्चे की मौत
मुंबई के मालाड इलाके में अचानक आग लगने से 1 बारह साल के बच्चे की मौत हो गई और 100 झोपड़ियां जल कर खाक हो गईं.
मुंबई: महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई के मालाड इलाके में एक झोपड़पट्टी में भयंकर आग लग गई. इस आग में 100 झोपड़ियां जल कर खाक हो गईं. इस आग में एक 12 साल के बच्चे की मौत हो गई और 3 लोग जख्मी हो गए.. संजय गांधी नेशनल पार्क के एक छोर पर मौजूद मालाड पूर्व के कुरार गांव के पास वन जमीन पर जाम ऋषिनगर झोपड़पट्टी में सोमवार को आग लग गई. इस वजह से 10 से 15 गैस सिलेंजर एक के बाद एक विस्फोट करते चले गए और देखते ही देखते आग ने भयंकर रूप धारण कर लिया.
जो तीन लोग जख्मी हुए, उन्हें कांदिवली के डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर, शताब्दी अस्पताल में इलाज के लिए बर्ती करवाया गया. फायर ब्रिगेड के मुताबिक यह आग लेवल 2 की थी. लकड़ी के सामान और प्लास्टिक के कपड़ों से बनी झोपड़ियों में आग तेजी से फैली. आधे घंटे में आग के भयंकर रूप लेने की वजह से झोपड़पट्टी में दहशत का माहौल छा गया. जिनको जिन रास्ते से मौका मिला, उन रास्तों से निकल भागे.
सैकड़ों परिवार सड़कों पर आए
एक सिलेंडर में हुए विस्फोट से उसका एक हिस्सा प्रेम तुकाराम बोरे (उम्र 12) के चेहरे पर तेजी से आकर लगा. इससे प्रेम की मौत हो गई. इस आग की वजह से सैकड़ों परिवार सड़क पर आ गए. मुख्यमंत्री निधि से प्रभावित परिवार को सहायता देने और उन्हें कहीं और स्थानांतरित किए जाने की मांग की जा रही है. शिवसेना बालासाहेब ठाकरे के विधायक सुनील प्रभू ने मांग की है कि प्रभावित परिवारों का पुनर्वसन जल्दी से जल्दी किया जाए. सुनील प्रभू ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, संरक्षक मंत्री मंगलप्रभात लोढा और जिलाधिकारी निधि चौधरी से इस बारे में अपील की है.
अवैध झोपड़पट्टियों को गिराने की मांग
दूसरी तरफ सामाजिक संस्थाओं ने यह सवाल उठाया है कि राष्ट्रीय उद्यान के वन क्षेत्र में जब कब्जा शुरू था और भूमाफियाओं द्वारा अवैध झोपड़ियां बनाई जा रही थी, तब प्रशासन क्या कर रहा था? प्रशासन ने इस झोपड़पट्टी को बनने से रोका क्यों नहीं? साद-प्रतिसाद नाम की संस्था ने मांग की है कि वन जमीन पर अवैध झोपड़पट्टी को गिराया जाए और वन क्षेत्र को खाली करवाया जाए. इन झोपड़पट्टियों में रहने वालों के पुनर्वसन को लेकर कई समस्याएं सामने आती हैं. जब तक इनके पुनर्वसन के लिए आवास निर्माण किया जाता है तब तक इन्हें कहां रखा जाए? एक समस्या यह भी रहती है कि पुनर्वसन के बाद कई लोग दिए गए मकान बेच कर फिर दूसरी जगह झोपड़पट्टी बना लिया करते हैं. इस तरह मुंबई में स्लम खत्म ही नहीं हो पाते.