Adani मामले में रघुराम राजन का सवाल, पूछा-जांच के लिए SEBI को मदद की जरूरत है क्या?
अडानी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक जांच समिति बनाई है. पर इस मामले में मार्केट रेग्युलेटर सेबी के रवैये पर भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कई अहम सवाल उठाए हैं. पढ़ें ये खबर...
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने अडानी समूह (Adani Group) से जुड़े मामले में चल रही जांच पर सवाल खड़े किए हैं. हालांकि उनका बयान सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बनी जांच समिति की प्रक्रिया को लेकर नहीं आया है. बल्कि उन्होंने इस मामले में मार्केट रेग्युलेटर SEBI के तौर-तरीकों को कठघरे में खड़ा किया है, और कई अहम सवाल पूछे हैं.
रघुराम राजन का कहना है कि हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में अडानी समूह द्वारा मॉरीशस की संदिग्ध कंपनियों से निवेश लेने की बात कही गई है. इस मामले में सेबी ने अभी तक इन फर्म्स के स्वामित्व के बारे में कोई जांच-पड़ताल क्यों नहीं की है?
क्या सेबी को है मदद की जरूरत ?
रघुराम राजन का कहना है कि मॉरीशस स्थित इन चार फंड्स के बारे में जानकारी है कि इन्होंने अपने 6.9 अरब डॉलर के फंड का करीब 90 प्रतिशत अडानी समूह की कंपनियों के शेयर्स में निवेश किया है. इस मामले में सेबी के जांच नहीं करने को लेकर उन्होंने चुटकी ली और पूछा- क्या सेबी को इसके लिए भी जांच एजेंसियों की मदद की जरूरत है?
रघुराम राजन ने एक इंटरव्यू में कहा कि ‘मुद्दा सरकार और कारोबार जगत के बीच गैर-पारदर्शी संबंधों को कम करने का है. और वास्तव में रेग्यूलेटर्स को उनका काम करने की आजादी देने का है. सेबी अभी तक मॉरीशस के उन फंड्स के स्वामित्व तक क्यों नहीं पहुंच पाई है, जो अडानी के शेयरों में कारोबार कर रहे हैं? क्या उसे इसके लिए उसे जांच एजेंसियों की मदद की जरूरत है?”
फर्जी कंपनी होने के लगे हैं आरोप
मॉरीशस स्थित एलारा इंडिया अपॉर्च्युनिटी फंड, क्रेस्टा फंड, एल्बुला इनवेस्टमेंट फंड और एपीमएस इनवेस्टमेंट फंड पर फर्जी कंपनी होने के आरोप लगने के बाद पिछले दो साल से संदेह के घेरे में हैं. ये कंपनियां गत जनवरी में दोबारा चर्चा में आ गईं जब अमेरिकी फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने आरोप लगाया कि अडानी समूह ने अपने शेयरों की कीमत बढ़ाने के लिए फर्जी कंपनियों का सहारा लिया. हालांकि अडानी समूह ने इन आरोपों को बार-बार खारिज किया है.
इन इंवेस्टमेंट फंड के मॉरीशस में पंजीकृत होने से उनकी स्वामित्व संरचना पारदर्शी नहीं है. मॉरीशस उन देशों में शामिल है जहां पर व्यवसाय कर नहीं लगता है. हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद अडानी समूह के शेयरों में भारी गिरावट आई है. इस दौरान इन कंपनियों का मार्केट कैपिटलाइजेशन आधा हो चुका है.
(भाषा के इनपुट के साथ)