बदहाल अस्पताल! स्वीपर खोल रहे मरीजों की आंखों की पट्टियां, डॉक्टर बोले- जो करना है कर लो

बदहाल अस्पताल! स्वीपर खोल रहे मरीजों की आंखों की पट्टियां, डॉक्टर बोले- जो करना है कर लो

मरीजों का कहना है उनके पास बाहर की दवाएं खरीदने के लिए पैसा नहीं है. वह दो वक्त की रोटी के लिए भी जद्दोजहद करते हैं, तो बाहर की दवाएं कैसे खरीदें.

उत्तर प्रदेश के झांसी जिला अस्पताल में डॉक्टरों और प्रशासन की मनमानी के कारण मरीजों की आंख और सेहत से खिलवाड़ हो रहा है. आंखों का ऑपरेशन बेहद संवेदनशील माना जाता है, लेकिन जिला अस्पताल में आंखों के ऑपरेशन में खुलेआम बद इंतजामी देखने को मिल रही है. जिला अस्पताल में मोतियाबिंद के ऑपरेशन चल रहे हैं. आंखों के ऑपरेशन की पट्टियां स्वीपरों (सफाई कर्मचारी) से खुलवाए जा रही हैं. जब झांसी जिला अस्पताल में आंखों के डॉक्टर उमेश अहिरवार से मरीज के परिजन ने शिकायत की तो डॉक्टर साहब की हेकड़ी देखिए बोले “हां स्वीपरों से खुलवाएंगे, जो करना है कर लो” यह गैर जिम्मेदाराना रवैया जिला अस्पताल के आई सर्जन उमेश अहिरवार का है.

इन दिनों झांसी के जिला अस्पताल में प्रतिदिन 40 से 50 लोगों की आंखों का ऑपरेशन किया जा रहा है. लेकिन इसी ऑपरेशन के दौरान अस्पताल प्रशासन की लापरवाही देखी जा रही है. जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है. वायरल वीडियो में ऑपरेशन के बाद मरीज की आंखों की खुलने वाली पट्टीयों को सफाई कर्मचारी द्वारा खोला जा रहा है. जबकि इन पट्टीयों को अनुभव शील व्यक्ति द्वारा खुलवाया जाता है और बाकायदा उसके हाथों में दस्ताने पहनाए जाते हैं, जिससे आंखों में संक्रमण ना फैल सके. लेकिन जिला अस्पताल में इन सारे नियमों को दरकिनार कर मरीज की आंखों से खिलवाड़ किया जा रहा है.

बड़ी संख्या में प्रतिदिन आ रहे मरीज

प्रतिदिन बड़ी संख्या में हो रहे मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद दूसरे दिन मरीज अस्पताल में पट्टियां खुलवाने आते हैं. बताया गया है कि पट्टी या तो डॉक्टर को खोलना चाहिए या फिर वार्ड बॉय को. यही नहीं पट्टी खोलते समय बेहद सावधानी बरतनी चाहिए. हाथों को भी अच्छी तरह से साफ कर लेना चाहिए. साथ ही हाथों में दस्ताने पहन कर ही पट्टी खोलनी चाहिए.

मरीजों को मिलने वाली फ्री दवाएं भी नहीं दे रहे डॉक्टर

इतना ही नहीं जिला अस्पताल में मोतियाबिंद के मरीजों को अस्पताल द्वारा दी जाने वाली फ्री की दवाओं को भी डॉक्टर नहीं दे रहे हैं. न ही उनके पर्चे पर लिख रहे हैं. बल्कि मरीजों को बाहर की दवाएं लिखी जा रही हैं, जिससे गरीब मरीज काफी परेशान हैं. मरीजों का कहना है उनके पास बाहर की दवाएं खरीदने के लिए पैसा नहीं है. वह दो वक्त की रोटी के लिए भी जद्दोजहद करते हैं, तो बाहर की दवाएं कैसे खरीदें. वह इसीलिए तो सरकारी अस्पताल में इलाज कराने आते हैं कि उन्हें सरकारी योजनाओं और औषधियों का लाभ मिले. आप इससे अंदाजा लगा सकते हैं की अन्य मरीजों के साथ झांसी के जिला अस्पताल में क्या-क्या नहीं हो रहा होगा?

जिला अस्पताल के कार्यवाहक सीएमएस डॉ. एस.के. गुप्ता का कहना है कि मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद डॉक्टरों को आंखों की पट्टी खोलने चाहिए या फिर वार्ड ब्वाय द्वारा खुलवाने चाहिए. अगर ऐसा हो रहा है तो मामले की जांच करा कर संबंधित डॉक्टर से स्पष्टीकरण मांगकर कार्रवाई की जाएगी.