16वीं शताब्दी का गजानन मंदिर, भीतर नहीं जा सकते भक्त; फिर भी कृपा भरपूर

16वीं शताब्दी का गजानन मंदिर, भीतर नहीं जा सकते भक्त; फिर भी कृपा भरपूर

भगवान श्री गणेश का यह अनोखा मंदिर शाजापुर के मीरकला बाजार स्थित मुगलकालीन द्वार के नीचे सड़क के किनारे पर स्थित है. जहां मंदिर के पास ही दुकान का संचालन करने वाले प्रकाश गुप्ता का परिवार मंदिर की देखरेख करता है.

अब तक आपने गजानन महाराज के कई मंदिर देखे होंगे. वहीं, मध्य प्रदेश के शाजापुर जिले में भी गणेशजी के कई प्रसिद्ध मंदिर हैं. जहां विराजित मंगलमूर्ति भक्तों पर अपना स्नेह लुटाते हैं. ऐसे ही शाजापुर में एक मंदिर ऐसा भी है, जिसका आकार जानकार आप चौंक जाएंगे. यह मंदिर महज सवा हाथ जितना बड़ा है. जी हां! महज सवा हाथ ऊंचाई वाला मंदिर. इस मंदिर में कोई भी भक्त प्रवेश नहीं कर सकता. बाहर बैठकर ही भगवान की पूजा अर्चना की जा सकती है. इस मंदिर में सूक्ष्म रूप में गणपतिजी विराजमान हैं. बता दें कि, शहर के लोग पीढियों से इस मंदिर को देखते आ रहे हैं.

दरअसल, भगवान श्री गणेश का यह अनोखा मंदिर शाजापुर के मीरकला बाजार स्थित मुगलकालीन द्वार के नीचे सड़क के किनारे पर स्थित है. जहां मंदिर का आकार देखकर इसे सबसे छोटा मंदिर कहे तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी.

गुप्ता परिवार सदियों से कर रहा मंदिर की देखभाल

वहीं, मंदिर के पास ही दुकान का संचालन करने वाले प्रकाश गुप्ता का परिवार मंदिर की देखरेख करता है. बकौल गुप्ता शाजापुर में 16वीं सदी का शाहजहां कालीन किला बना था. किले के निर्माण के साथ ही किला रोड, मीरकला, सोमवारिया व कसेरा बाजार में 4 एंट्री गेट भी बनाए गए थे. इन्हीं में से मीरकला क्षेत्र का एंट्री गेट है. इसी के साथ नीचे भगवान गणेश का छोटा सा मंदिर है. सड़क से सटें इस मंदिर के ऊपरी हिस्से पर एक दुकान बनी हुई है. गेट के साथ ही इसकी स्थापना हुई थी.

शहर की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालते बप्पा

वहीं, यह मंदिर मीरकलां सहित आसपास के लोगों की आस्था का केंद्र है. वहां के रहने वाले शहरवासी और कारोबारी भगवान श्री गणेश के दर्शन के साथ ही अपने दिन की शुरुआत करते हैं. माना जाता है कि बप्पा की मौजूदगी से ही शहर में कोई मुसीबत नहीं आती. बप्पा हर समय वहां मौजूद रहकर पूरे शहर की सुरक्षा करते है. ऐसे में कई बार मुसीबत भी आई तो वह टल गई. यही वजह है कि यहां के रहवासी रोजाना लोग बप्पा का आशीर्वाद लेकर ही अपने दिन और काम की शुरुआत करते हैं.

(इनपुट- सय्यद आफताब अली)