कोई 200 तो कोई 183 घंटे बाद निकला बाहर… तुर्की के मलबे में अभी भी बची जिंदगी की आस
तुर्की और सीरिया में भूकंप से मरने वालों की संख्या 37,000 से ज्यादा हो गई है. मलबे से अभी भी लोगों को निकाला जा रहा है. कहा जा सकता है कि मलबे में अभी भी सांसें चल रही हैं.
तुर्की में आए विनाशकारी भूकंप को एक हफ्ते से ज्यादा का समय हो गया है, लेकिन अभी तक मौत का आंकड़ा थमने का नाम नहीं ले रहा है. इसके साथ ही मलबे से अभी तक लोगों को निकालने का काम जारी है. एक शख्स को अंटाक्या में मलबे से 183 घंटों बाद निकाला गया है, वहीं एक 6 साल की बच्ची को 178 घंटों बाद मलबे से निकाला गया. बच्ची का नाम हिवाय यूजर है और वो अपने पजामे में फंसी हुई थी. जब वो बाहर निकाली गई तो लोगों ने कहा कि ‘भगवान महान है’.
मलबे से बाहर निकालने के साथ ही बच्ची को तुरंत स्ट्रेचर पर लिटाया जाता है और फिर उसे मेडिकल के लिए ले जाया जाता है. उसके चेहरे को देखकर साफ-साफ कहा जा सकता है कि वो काफी दर्द में है.
तुर्की और सीरिया में इस भीषण भूकंप से मरने वालों की संख्या 37,000 से ज्यादा हो गई है. तुर्की में ही अभी तक 31,974 लोगों की जान जा चुकी है, जबकि सीरिया में 5800 से ज्यादा लोग मर चुके हैं. इस बीच दोनों जगहों से ऐसे वीडियो और फोटो का आना नहीं रूक रहा है, जिसमें छोटे-छोटे बच्चों को मलबे से निकालने का काम किया जा रहा है. एक 13 साल के बच्चे को 182 घंटे बाद मलबे से निकाला गया.
आदियामन प्रांत में बचावकर्मी 18 साल के मोहम्मद कैफर सेटिन नाम के व्यक्ति तक पहुंचे और उसे बाहर निकालने से पहले डॉक्टरों ने उसे तरल पदार्थ दिया. उसने 199वें घंटे में दिन का उजाला देखा. इस बीच भूकंप से बुरी तरह प्रभावित हुए हताय में सेंगुल अबालियोग्लू ने अपनी बहन और चार भतीजों को खो दिया. उसने कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि मृत या जीवित है, हम सिर्फ अपनी लाश चाहते हैं ताकि कम से कम एक कब्र हो और हम उन्हें दफन कर दें. वह मलबे के पास इंतजार कर रही थी जहां उसका परिवार हो सकता था.
उसने कहा कि पिछली बार उसने कल इमारत से आवाजें सुनी थीं. इसके साथ ही उसने कहा कि वे अंतरराष्ट्रीय प्रेस चाहते हैं क्योंकि उसे इस बात को लेकर चिंता है कि अगर वे चले गए तो दबाव कम हो जाएगा और खोज बंद हो जाएगी. भूकंप ने तुर्की के 10 प्रांतों को और उत्तर पश्चिमी सीरिया के एक बड़े क्षेत्र में तबाही मचाई है.
इससे बचे लोगों को बर्बाद हुए शहरों के बीच भी मुश्किल परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है, जहां अनेक लोग ठंड के मौसम में बाहर सोने को मजबूर हैं. कई जगह पानी की भी समस्या हो गई है. पर्यावरण और शहरीकरण मंत्री ने कहा कि 41,500 से अधिक इमारतें नष्ट हो गईं या इतनी क्षतिग्रस्त हो गईं कि उन्हें ध्वस्त करना होगा. इन इमारतों के नीचे शव हैं और लापता लोगों की संख्या स्पष्ट नहीं है.
(भाषा इनपुट के साथ)