Hybrid Car: नहीं पड़ना किसी चक्कर में, यहां समझिए माइल्ड, स्ट्रॉन्ग और प्लग-इन हाइब्रिड कार के बीच का अंतर
देश में इलेक्ट्रिक कार के साथ ही हाइब्रिड कार का चलन भी बढ़ रहा है. मार्केट में मारुति और टोयाटा जैसी कंपनियां बेहतरीन हाइब्रिड कार पेश करती हैं. आपने माइल्ड, स्ट्रॉन्ग या प्लग-इन हाइब्रिड कार के बारे में जरूर सुना होगा. चलिए देखते हैं तीनों के बीच क्या अंतर है.
भारत में पेट्रोल-डीजल के दामों ने लोगों के बीच इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड कार को लेकर नई जिज्ञासा पैदा की है. कार कंपनियों ने भी ग्राहकों के बदलते रुझान को देखते हुए अपनी लाइनअप में बदलाव किए हैं. टाटा और महिंद्रा जैसी कार कंपनियां फुल इलेक्ट्रिक कार का रुख कर चुकी हैं, जबकि मारुति और टोयोटा जैसी कंपनियों ने हाइब्रिड कार का दामन थामा है. हाइब्रिड कार में फ्यूल बेस्ड इंजन के अलावा इलेक्ट्रिक मोटर भी होती है. इन दोनों की जुगलबंदी से हाइब्रिड कार में ईंधन की कम खपत होती है. लेकिन हाइब्रिड कार भी मुख्य रूप से तीन तरह की होती हैं- माइल्ड हाइब्रिड, स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड और प्लग-इन हाइब्रिड. यहां आप इन तीनों के बीच का अंतर समझ सकते हैं.
माइल्ड हाइब्रिड
माइल्ड हाइब्रिड कार में भी फ्यूल बेस्ड इंजन और इलेक्ट्रिक मोटर होती है. हालांकि, एक माइल्ड हाइब्रिड कार इलेक्ट्रिक पावर पर नहीं चल सकती है. इसलिए यह वास्तव में एक हाइब्रिड नहीं है और केवल एक मार्केटिंग चाल है. जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है, यह कार इलेक्ट्रिक पावर पर ज्यादा दबाव सहन नहीं कर सकती है. माइल्ड हाइब्रिड टेक्नोलॉजी कार के इंजन को थोड़ी-बहुत सपोर्ट करती है. भारत में अर्टिगा, एक्सएल6, नई ब्रेजा और अपकमिंग ग्रैंड विटारा इसके प्रमुख उदाहरण हैं.
स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड या फुल हाइब्रिड
स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड कार में फ्यूल इंजन और इलेक्ट्रिक मोटर साथ काम करने के अलावा एक-दूसरे से अलग होकर भी काम करते हैं. वहीं स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड कार को आप कम स्पीड के साथ इलेक्ट्रिक पावर पर भी चला सकते हैं. लेकिन ज्यादा स्पीड और पावर के लिए फ्यूल इंजन चालू हो जाता है. इससे कार की फ्यूल एफिशिएंसी बेहतर होती है. इंजन या इलेक्ट्रिक मोटर कब चलेगी यह कार का सेटअप खुद तय करता है. होंडा सिटी हाइब्रिड, टोयोटा हाइराइडर, ग्रैंड विटारा आदि स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड कार हैं.
प्लग-इन हाइब्रिड
प्लग-इन हाइब्रिड नाम सुनकर ही लगता है कि इसमें प्लग का कोई काम जरूर होगा. आपने सही अंदाजा लगाया है. प्लग-इन हाइब्रिड कार को इलेक्ट्रिक कार की तरह चार्ज किया जाता है. यह कार एक इलेक्ट्रिक कार की तरह इस्तेमाल की जा सकती है. कार में फ्यूल इंजन के अलावा बड़ा बैटरी पैक होता है. इससे सिंगल चार्ज पर बढ़िया रेंज, ईंधन की बचत जैसे कई फायदे मिलते हैं. प्लग-इन टेक्नोलॉजी पोर्शे केयन और वोल्वो XC90 जैसी चुनिंदा लग्जरी कार में मिलती है.