आत्महत्या की धमकी क्यों दे रहे मथुरा-वृंदावन के नाविक? सांसद हेमा मालिनी तक पहुंचा मामला
श्री कृष्ण की नगरी मथुरा के वृंदावन में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए प्रशासन ने तीर्थ नगरी में क्रूज चलाने की प्लानिंग की थी. इस क्रूज के वृंदावन से लेकर मथुरा के गोकुल तक चलने की बात की गई थी. नाविक समाज का कहना है कि अगर एक क्रूज यहां चलाया गया तो हमारे परिवार का पालन पोषण नहीं हो सकेगा और इसके चलने से हमारी नाव में कोई भी यात्री नहीं बैठेंगे.
श्री कृष्ण की नगरी मथुरा के वृंदावन में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए प्रशासन ने तीर्थ नगरी में क्रूज चलाने की प्लानिंग की थी. इस क्रूज के वृंदावन से लेकर मथुरा के गोकुल तक चलने की बात की गई थी, लेकिन अब उसी क्रूज को वृंदावन के किसी घाट से लेकर जुगालघाट तक चलने की प्लानिंग है. इस बात को लेकर नाविक समाज ने आपत्ति जताई है.
दरअसल, नाविक समाज का कहना है कि अगर एक क्रूज यहां चलाया गया तो हमारे परिवार का पालन पोषण नहीं हो सकेगा और इसके चलने से हमारी नाव में कोई भी यात्री नहीं बैठेंगे. हमारी रोजी-रोटी रुक जाएगी. इस बात को लेकर आज दूसरी बार प्रशासन के अधिकारियों के साथ कैसी घाट पर मीटिंग की गई लेकिन फिर भी कोई समाधान नहीं निकल सका.
अपनी मांग पर अड़े हुए हैं नाविक
नाविक अपनी मांग पर अड़े हुए हैं. नाविकों का कहना है कि यह क्रूज केशी घाट से लेकर जुगलघाट तक बिल्कुल नहीं चलाया जाना चाहिए. जब इस बारे में नाविकों से बात की गई तो उन्होंने कहा की क्रूज को यहां पर चलाने की तैयारी की जा रही है जिसको हम बिल्कुल नहीं चलने देंगे, क्योंकि इसके चलने से हमारी रोजी-रोटी बंद हो जाएगी. नाविकों का कहना है की चाहें इसके लिए हमें कुछ भी करना पड़े जरूरत पड़ी तो हम आत्महत्या भी कर लेंगे लेकिन इस क्रूज को यहां नहीं चलने देंगे.
मथुरा सांसद हेमा मालिनी से भी की मुलाकात
वहीं जब इस बारे में क्रूज के ग्रुप चेयरमैन राहुल शर्मा से बात की गई तो उन्होंने कहा की सरकार की मंशा से पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए हम यहां पर यह क्रूस चलाने की तैयारी कर रहे हैं लेकिन यहां के नाविक समाज के लोग इसका विरोध कर रहे हैं जिसको लेकर लगातार बैठक की जा रही है और इसमें कुछ लोग मान गए हैं जो लोग नहीं मान रहे वह भी जल्द ही मान जाएंगे. नाविकों ने यमुना घाटों पर प्रदर्शन करने के बाद सोमवार को सांसद हेमा मालिनी से मुलाकात की और इसका वृंदावन में संचालन न किए जाने की मांग की.