World Runs By India: भारत के इशारों पर चले दुनिया, कार हो या हवाई जहाज, हर सॉफ्टवेयर पर Made In India की छाप
एक समय था, जब भारत पूरी दुनिया का 'कॉल सेंटर' होता था. लेकिन अब ये एक बड़ी 'सॉफ्ट' पावर बन गया है. अब हालात ये हैं कि दुनिया को चलाने के लिए भारत की जरूरत पड़ती है. पढ़ें ये खबर...
भारत की आईटी इंडस्ट्री कभी दुनियाभर की कंपनियों के लिए बैक एंड सपोर्ट उपलब्ध कराती थी. देश के कई बड़े शहरों में कॉल सेंटर्स की बाढ़ ही आ गई थी. लेकिन अब परिस्थितियां बदल चुकी हैं, भारत अब आईटी का ‘विश्व गुरू’ बन चुका है. दुनिया को चलाए रखने के लिए ‘मेड इन इंडिया’ सॉफ्टवेयर्स की जरूरत है. कार हो या हवाई जहाज, भारत के बने सॉफ्टवेयर्स के बिना दुनिया का काम ही नहीं चल सकता.
जी हां, एरोस्पेस हो या ऑटोमोबाइल, अब भारतीय टेक्नोलॉजी दुनिया में राज कर रही है. आजकल एयरक्राफ्ट से लेकर घर की गैराज में खड़ी रहने वाली कार और इससे भी आगे जाकर इलेक्ट्रिक स्कूटर्स में काफी कॉम्प्लेक्स सॉफ्टवेयर्स का इस्तेमाल होता है. ऐसे में एयरक्राफ्ट की अल्गोदरिम हो या कार-स्कूटर का डिजिटल डेटा इन सभी को भारत में सस्ती कीमत पर तैयार किया जा रहा है और दुनियाभर की कंपनियां इन्हें लेने को लायलित हैं.
ग्लोबल कंपनियों के रिचर्स सेंटर इंडिया में
ऑटो मोबाइल और एरोस्पेस इकोसिस्टम में सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल अब एक अनिवार्य हिस्सा होता जा रहा है. भारत में डिजिटल इंजीनियरिंग से जुड़ा टैलेंट काफी कम कीमत पर उपलब्ध है. तभी तो दुनिया की लगभग सभी बड़ी ऑटो कंपनियों का रिसर्च एंड डेवलपमेंट विंग भारत में है. टाटा एलेक्सी जैसी कंंपनी ऑटो मोबाइल सेगमेंट के लिए सभी तरह के समाधान उपलब्ध कराती है.
आप नजर उठाकर देख लीजिए एक बार रेनॉ, बीएमडब्ल्यू, जगुआर लैंड रोवर और होंडा सभी के रिसर्च सेंटर इंडिया में हैं. इन सभी कंपनियों की डिजिटल जरूरतों को भारत ही पूरा कर रहा है. पिछले साल डिजिटल सर्विस की जब बहुत ज्यादा मांग आई, तब एलएंडटी टेक्नोलॉजी सर्विसेस जैसी रिसर्च एंड डेवलपमेंट कंपनी को अपना एक डिलिवरी सेंटर कराकाओ पोलैंड में स्थापित करना पड़ा.
एयरक्राफ्ट्स में भी इंडिया की दमदार मौजूदगी
एयरक्राफ्ट सेगमेंट में भी भारत की पूछ बढ़ रही है. बोइंग और एयरबस जैसी ग्लोबल कंपनियों को जहां भारत से बड़े-बड़े ऑर्डर मिल रहे हैं, तो वहीं कम सैलरी पर मिलने हाई-स्किल्ड इंजीनियर्स को नौकरी पर रखने के लिए भी उनका फोकस इंडिया पर ही है. ब्लूमबर्ग की खबर के मुताबिक यही वजह है कि बोइंग और एयरबस दोनों की ही मैन्यूफैक्चिरिंग भारत में तेजी से बढ़ी है.
भारत हर साल 15 लाख से ज्यादा इंजीनियरिंग स्टूडेंट तैयार करता है. इस तरह भारत के पास ऑटोमोबाइल से लेकर एयरक्राफ्ट बनाने तक और उनमें इस्तेमाल होने वाली टेक्नोलॉजी से लेकर सॉफ्टवेयर डेवलप करने तक के लिए पर्याप्त टैलेंट पूल है.