कोरोना काल में पत्नी को इलाज नहीं मिला, तड़प-तड़पकर हुई थी मौत; अब पति ने 4 बीघे जमीन पर बनवा दिया अस्पताल

कोरोना काल में पत्नी को इलाज नहीं मिला, तड़प-तड़पकर हुई थी मौत; अब पति ने 4 बीघे जमीन पर बनवा दिया अस्पताल

मुंबई के भामाशाह शांतिलाल जैन ने कोरोना के दौरान इलाज के अभाव में अपनी पत्नी को खो दिया था. ये बात उन्हें आज तक कचोटती है. जिसके बाद उ्नहोंने पत्नी की याद में भीलवाड़ा के

मुमताज की याद में ताजमहल बनाने की कहानी तो आपने सुनी ही होगी लेकिन आज हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसे शख्स की कहानी जिसने अपनी पत्नी की याद में अस्पताल बनवा दिया. इसके पीछे की वजह आपोक यकीनन हैरान कर देगी. वजह जानने के लिए थोड़ा फ्लैशबैक में जाना होगा. कोरोना महामारी तो आपको याद ही होगी. जिसने न जाने कितने लोगों की जान ले ली थी और न जाने कितने ही परिवारों को उजाड़ दिया था. ये कहानी भी उसी से जुड़ी है.

दरअसल भामाशाह शांतिलाल जैन नाम के कारोबारी जिनकी पत्नी का कोरोनाकाल में निधन हो गया था. जैन के मुताबिक उनकी पत्नी रतन देवी को भी कोरोना हो गया था लेकिन राजस्थान के भीड़वाड़ा में वो अपनी पत्नी को जीवन रक्षक उपकरण तक मुहैया नहीं करा सके थे जिसके चलते उन्होंने अपनी अपनी पत्नी रतन देवी को असमय ही हमेशा के लिए खो दिया. इस बात का दुख उन्हें आज भी है. पत्नी को इलाज न मुहैया करा पाने की बात उन्हें आज भी कचौटती है. जिसके चलते उन्होंने गांव में अस्पताल बनवाने का फैसला किया.

पत्नी की याद में अस्पताल का निर्माण

भामाशाह शांतिलाल जैन का कारोबार मुंबई में है लेकिन वो हमीरगढ़ के पास अपने पैतृक गांव बरड़ोद में अस्पताल बनवा रहे हैं. खास बात ये है कि ये अस्पताल सभी सुविधाओं से लैस है. जैन का मकसद है कि गांव के लोगों को सही इलाज मिल सके इलाज के अभाव में किसी की जान न जाए. इसी साल दीवली तक अस्पताल का लोकार्पण कर दिया जाएगा. उनका कहना है कि वो अपनी पत्नी की स्मृति में श्रीमति रतनदेवी शांतिलाल जैन राजकीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बना रहे हैं. जिसका निर्माण कार्य पिछले साल 2023में शुरू हुआ था.

बेटियों ने की एंबुलेंस देने की घोषणा

चार बीघा जमीपर बन रहे इस अस्पताल में हर समय डॉक्टर और नर्स मौजूद रहें इसके लिए वो अस्पताल परिसर में ही स्टाफ के लिए कॉलोनी भी बना रहे हैं. बताया जा रहा है कि इस अस्पताल मके बनने में करीब ढाई करोड़ से ज्यादा का खर्चा आएगा. अस्पताल शुरू होने से बरड़ोद और उसके आस-पास के गांव में रहने वाले करीब 10 हजार लोगों को फायदा होगा. इस अस्पताल के बनने में जिला प्रशासन, स्थानीय सरपंच के साथ ही ग्राम पंचायत का भी सहयोग रहा है. वहीं उनकी बेटियों ने भी अस्पताल के लिए एंबुलेंस देने की घोषणा की है.