China Diplomacy: फ्रांस और अरब को रिझाने में लगा चीन, क्या यह यूएस-इंडिया के लिए है ड्रैगन का संदेश?

China Diplomacy: फ्रांस और अरब को रिझाने में लगा चीन, क्या यह यूएस-इंडिया के लिए है ड्रैगन का संदेश?

China Diplomacy: चीन ने ईरान और सऊदी अरब के विदेशी मंत्रियों की बैठक कराई. इसके बाद अब फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रो बीजिंग पहुंचे हैं. अब समझते हैं कि चीन क्या कर रहा है और इससे आखिर होगा क्या?

चीन दुनियाभर में अपना दबदबा बढ़ाने के लिए एक साथ कई चालें चल रह रहा है. चीन के एजेंडे में फिलहाल तीन देश हैं. ईरान, सऊदी अरब और फ्रांस. इन तीनों से अपनी दोस्ती को बढ़ाकर ड्रैगन अपने मंसूबे में सफल होने की तैयारी में है. चीन ऐसा करके अमेरिका और भारत को सीधा संदेश देना चाहता है कि वो किसी भी कीमत पर अपने रुतबे में कमी नहीं आने देना चाहता.

चीन ने ईरान और सऊदी अरब के विदेश मंत्रियों की बैठक कराई. इसके बाद अब फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रो बीजिंग पहुंचे हैं. अब समझते हैं कि चीन क्या कर रहा है और इससे आखिर होगा क्या?

ईरान-सऊदी अरब की मुलाकात के पीछे क्या है चीनी रणनीति

ईरान और सऊदी अरब सालों पुराने दुश्मन रहे हैं. चीन इन दोनों देशों के बीच कूटनीतिक सम्बंधों को सुधारने की कोशिश कर रहा है. बीजिंग में दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की मुलाकात हुई. पिछले 7 सालों में यह पहला मौका है जब सऊदी के विदेश मंत्री प्रिंस फैसल बिन फरहान और ईरान के विदेश मंत्री आमिर अब्दुल्लाहियान के बीच औपचारिक मीटिंग हुई.

चीन ने अपनी योजना काफी पहले ही बना ली थी. ड्रैगन ने पहले रूस के साथ समझौता किया और तेल कारोबार में कटौती की. अमेरिका में इस पर आपत्ति जताई. इसके बाद ही चीनी रणनीति का असर पिछले साल दिसम्बर से दिखने लगा, जब शी जिनपिंग सऊदी अरब पहुंचे. और अब ड्रैगन ने दोनों देशों को मिलाने की कोशिश की है.

Iran Saudi Arab Meeting

फोटो साभार: Reuters

ऐसे में सवाल है कि आखिर चीन ऐसा करके क्या साबित करना चाहता है. विदेशी मामलों के जानकारों का कहना है कि इन दोनों देशों को मिलाकर चीन अपना खास मतलब साबित करना चाहता है. ये दोनों ही देश के बड़े उत्पादकों में शामिल हैं.

चीन ऐसा करके दो निशाने एक साथ साध रहा है. पहला, चीन अरब और खाड़ी देशों से 40 फीसदी तक कच्चा तेल खरीदता है. इन देशों के साथ सम्बंधों को बेहतर करके अपने देश में तेल की आपूर्ति का रास्ता साफ करना चाहता है. दूसरा, अमेरिका और भारत से मुस्लिम देशों को दूर करने की कोशिश कर रहा है. विशेषज्ञों का कहना है कि खासकर अमेरिका की पकड़ को कमजोर करने के लिए चीन ने यह कदम उठाया है.

जिनपिंग-मैक्रों की मुलाकात के मायने

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों चीन की यात्रा पर हैं. मीडिया रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि मैक्रों चीन को यह बताने की कोशिश करेंगे कि दुनिया में शांति कैसे स्थापित की जाए और यूक्रेन में शांति लाने के लिए चीन को अपनी तरफ किया जाए. चीन में मैक्रों के साथ यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन भी पहुंचे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स में इस मीटिंग को यूरोप की एकता का संदेश माना जा रहा है. हालांकि, चीन ने कभी भी यूक्रेन पर हुए हमले को लेकर रूस की आलोचना नहीं की है.

Macron Meeting In China

फोटो साभार: worldcrunch

कहा जा रहा है कि मैकों की चीन यात्रा से ड्रैगन पश्चिमी देशों को भी अपनी तरफ करने और सम्बंधों को बेहतर बनाने की कोशिश कर रहा है. अरब और फ्रांस ऐसे देश हैं जिनके साथ भारत के अच्छे सम्बंध है. इस तरह इनके साथ सम्बंधों को बढ़ाकर कारोबार के साथ कूटनीतिक राजनीति को नया मोड़ देना चाहता है. इसके साथ खुद को दुनिया के कई देशों से भारत और अमेरिका की पकड़ कमजोर करने की कोशिश कर रहा है.