अब पश्चिम बंगाल पर फोकस बढ़ाएगी कांग्रेस, TMC और BJP से लड़ने बनाया यह खास प्लान
लोकसभा चुनाव में प्रदर्शन में सुधार के बाद कांग्रेस का जोश हाई है. कांग्रेस अब पश्चिम बंगाल पर अपना फोकस बढ़ाने जा रही है. पार्टी सबसे पहले नए बंगाल अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर नेताओं से विचार-विमर्श कर रही है. बंगाल में अधीर रंजन चौधरी के इस्तीफे के बाद से फिलहाल अध्यक्ष पद खाली है.
पश्चिम बंगाल में कांग्रेस अपनी रणनीति में बदलाव करने जा रही है. पार्टी का मानना है कि बंगाल में टीएमसी से लड़ने के बजाय पहले बीजेपी से लड़ना जरूरी है. इसके लिए पार्टी जल्द ही पश्चिम बंगाल के नए अध्यक्ष के नाम का ऐलान भी कर सकती है. लोकसभा चुनाव के बाद जून में बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद से बंगाल कांग्रेस का अध्यक्ष पद खाली पड़ा है.
कांग्रेस हाईकमान बंगाल में पार्टी के नए अध्यक्ष को लेकर अपने नेताओं से चर्चा भी शुरू कर दी है. बताया जा रहा है कि कांग्रेस केंद्रीय नेतृत्व ने प्रदेश के नेताओं से नए अध्यक्ष के नाम और भविष्य में राज्य में कांग्रेस की राह को लेकर कई दौर की चर्चा की है. ऐसे में माना जा रहा है कि पार्टी अब बिना देर किए बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष पर फैसला ले सकती है.
नए अध्यक्ष की रेस में इन नामों पर हुई चर्चा
- नेपाल महतो
- शुभांकर सरकार
- अब्दुल सत्तार
- शंकर मालाकार
नए अध्यक्ष की रेस में अभी तक जिन चार नेताओं के नाम सामने आए हैं उसमें नेपाल महतो को लेकर कहा जा रहा है कि वो अधीर रंजन चौधरी की पसंद हैं. वहीं, अब्दुल सत्तार जो कि साल 2018 में CPM से कांग्रेस में आए हैं. सत्तार पूर्व कैबिनेट मंत्री और मदरसा बोर्ड के चेयरमैन भी रहे हैं.
बंगाल में विपक्ष की जगह हथियाना पहला लक्ष्य
ज्यादातर प्रदेश के नेताओं ने लोकसभा चुनाव के हार के बाद राज्य में फिलहाल ‘एकला चलो’ की बात तो कही है, लेकिन पहले बीजेपी से लड़कर विपक्ष की जगह हथियाना पहला लक्ष्य भी बताया है. पार्टी के कुछ नेताओं का तर्क है कि लोकसभा चुनाव में पार्टी बंगाल की 14 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और इसमें से उसे केवल एक सीट पर जीत मिली. वहीं, वोट प्रतिशत की बात करें तो पार्टी को महज 4 फीसदी वोट मिले हैं.
सीपीएम से भी हो सकती है दूरी
ऐसे में पार्टी के नेताओं का मानना है कि बंगाल में कांग्रेस के पास खोने के लिए कुछ नहीं है. ऐसे में पार्टी को सत्ता में आने से पहले विपक्ष का स्पेस लेना जरूरी है. इसलिए पहले TMC से लड़ने की बजाय बीजेपी से लड़ना जरूरी माना जा रहा है. साथ ही सीपीएम से भी दूरी जरूरी है.