J-K के लोगों के साथ ये सबसे बड़ा अन्याय…सिंधु जल समझौते पर क्या बोले उमर अब्दुल्ला?

पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि को स्थगित कर दिया है. इस फैसले पर जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि हम कभी भी सिंधु जल संधि के पक्ष में नहीं रहे हैं. हमारा हमेशा से मानना रहा है कि सिंधु जल संधि जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए सबसे अनुचित दस्तावेज है.
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि को स्थगित कर दिया है. सरकार के इस फैसले के बाद पाकिस्तान की तरफ से लगातार बयानबाजी हो रही है और इस कार्रवाई को गलत बता रहा है. इस बीच जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शुक्रवार को सिंधु जल संधि को लेकर बड़ा बयान दिया है.
सीएम ने कहा कि यह संधि जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए ‘सबसे अनुचित दस्तावेज’ है और वे कभी भी इसके पक्ष में नहीं रहे हैं. श्रीनगर में विभिन्न टूरिज्म, व्यापार और उद्योग निकायों के साथ बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में अब्दुल्ला ने कहा कि ईमानदारी से कहें तो हम कभी भी सिंधु जल संधि के पक्ष में नहीं रहे हैं.
सिंधु जल संधि पर क्या बोले सीएम उमर?
सिंधु जल संधि को निलंबित करने के केंद्र सरकार के फैसले पर जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि भारत सरकार ने कुछ कड़े कदम उठाए हैं. जहां तक जम्मू-कश्मीर का सवाल है, हम कभी भी सिंधु जल संधि के पक्ष में नहीं रहे हैं. हमारा हमेशा से मानना रहा है कि सिंधु जल संधि जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए सबसे अनुचित दस्तावेज है. सीएम का ये भारत सरकार की तरफ से सिंधु जल संधि को स्थगित करने के बाद आया है.
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सरकार का पाकिस्तान के खिलाफ एक्शन
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में पाकिस्तान कनेक्शन सामने आने के बाद भारत ने सख्त रुख अपनाया है. इसी के तहत पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए भारत ने सिंधु जल समझौता स्थगित कर दिया है. इसके साथ ही कई और बड़े फैसले लिए हैं जिनमें 48 घंटों के अंदर सभी पाकिस्तानियों को भारत छोड़ना है. भारत ने सभी पाकिस्तानी वीजा रद्द कर दिए हैं.
सैयद आदिल हुसैन शाह क्या बोले सीएम?
सीएम अब्दुल्ला ने पहलगाम हमले में आतंकवादियों के खिलाफ बहादुरी से डटकर मुकाबला करने वाले टट्टूवाले सैयद आदिल हुसैन शाह की जमकर तारीफ की है. उन्होंने कहा कि वह न केवल कश्मीरियत, बल्कि कश्मीरी मेहमाननवाजी के प्रतीक हैं. यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम न केवल उन्हें और उनके परिवार को सम्मानित करें, बल्कि उनकी यादों को हमेशा जिंदा रखें.