‘न आपके बुलाने से आए हैं, न आपके निकालने से जाएंगे’- महमूद मदनी

‘न आपके बुलाने से आए हैं, न आपके निकालने से जाएंगे’- महमूद मदनी

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के चीफ महमूद मदनी ने कहा कि देश में मॉब लिंचिंग की घटनाएं बढ़ गई हैं. इसके खिलाफ आवाज उठाई है. हिंदुत्व की गलत परिभाषा दी जा रही है. हमारी RSS-BJP से कोई मजहबी और नस्ली अदावत नहीं है.

जमीयत उलेमा-ए-हिंद का महा अधिवेशन राजधानी दिल्ली के रामलीला मैदान में चल रहा है. आज सम्मेलन का दूसरा दिन है. दूसरे दिन महा अधिवेशन में बोलते हुए जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख महमूद मदनी ने कहा कि ये 130 करोड़ आबादी का मुल्क है. यहां बेशुमार भाषाएं, खानपान के तरीके, सोचने के अंदाज अलग होने के बाद भी सब एक हैं. एक वीडियो मैं देख रहा था. उसमें कोई कह रहा था कि अब तो अपना हिस्सा ले लिया है. उसके बाद भी ये सभी लोग यहां मूंग दल रहे हैं. मदनी ने कहा कि मैं फिर कह रहा हूं, “न बुलाए आपके आए हैं, न निकाले आपके जाएंगे.”

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख महमूद मदनी ने कहा कि आपकी कामयाबी इसमें है कि आप पहचानिए, जो ऐसी जुबान बोल रहे हैं, क्या वो शरीयत में हैं? हमारे बुजुर्गों ने बोरियों पर बैठकर उस सल्तनत का मुकाबला किया है, जिसका सूरज नहीं डूबता था. हमारी किसी से मुखालफत नहीं है. मतभेद है, मनभेद नहीं है. मदनी ने कहा कि एडमिनिस्ट्रेशन, सरकारों ने अपनी जिम्मेदारी पूरी नहीं की है. देश में मॉब लिंचिंग को घटनाएं बढ़ गई हैं. इसके खिलाफ आवाज उठानी है. आज देश में हिंदुत्व की गलत परिभाषा दी जा रही है. हमारी RSS-BJP से कोई मजहबी और नस्ली अदावत नहीं है.

कभी मशीन गड़बड़ निकलती है तो कभी वोट नहीं डल पाते

अधिवेशन में बोलते हुए जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रवक्ता नियाज अहमद फारूकी ने कहा कि अधिवेशन में धर्म परिवर्तन, समान नागरिक संहिता और मुस्लिम एजुकेशन पर प्रस्ताव रखा जाएगा. वहीं पत्रकारों ने जब पूछा कि मुस्लिमों के वोटर लिस्ट से नाम हटाने पर तमाम लोगों ने कल बात कही. ऐसे क्यों लगता है? इस पर नियाज अहमद ने कहा कि ये हम नहीं कह रहे हैं. यह तो सभी जानते हैं कि कैसे कभी मशीन गड़बड़ निकलती है तो कभी वोट नहीं डाल पाते.

वहीं जब पूछा गया कि किसने कहा कि ये वतन मुस्लिमों का नहीं है, फिर आप लोग ऐसा क्यों कह रहे हैं? इस पर नियाज अहमद फारूकी ने कहा कि ये तो आए दिन कहा जाता है कि पाकिस्तान चले जाओ. यहां चले जाओ, वहां चले जाओ. सरकार हमारा फंड काम कर देती.. क्यों? सरकार और अदालतों आप तो सब पर सवाल खड़े कर रहे हैं? इस पर नियाज अहमद ने कहा कि लोकतंत्र के चारों खंभे अपना काम ठीक से नहीं कर रहे हैं. इसलिए इनके काम पर सवाल खड़े होते हैं. जब कई राज्यों में चुनाव होने वाले हैं, तभी अधिवेशन क्यों? इस पर नियाज अहमद फारूकी ने कहा कि इसका चुनाव से क्यों मतलब नहीं है?

मदरसों से ही मौलाना अब्दुल कलाम आजाद निकले- मोहम्मद रशीद

अधिवेशन में दारुल उलूम के नाइब मोहतलिम मुफ्ती मोहम्मद रशीद ने कहा कि 1857 के बाद लंबे समय तक मुसलमानों के दाखिले की इजाजत नहीं थी. वीजा लेकर ही दिल्ली आने की इजाजत थी, तब कहा गया कि हम ऐसा मदरसा बनाएंगे, जहां के लोगों के चेहरे हिंदुस्तानी और विचारों से मक्का मदीना के होंगे. इन मदरसों ने मौलाना अब्दुल कलाम आजाद पैदा किया. जैसा काम मदरसा करता है, ऐसा कोई ईदारा नहीं कर सकता है. पता नहीं हम अपने बच्चों को बड़ी-बड़ी फीसें देकर टाई लगाकर ऐसे स्कूलों में क्यों भेजते हैं?

यूसीसी सभी वर्गों से जुड़ा है- मौलाना सिद्दीकुल्लाह

जमीयत उलेमा-ए-हिंद बंगाल के अध्यक्ष मौलाना सिद्दीकुल्लाह ने कहा कि यूसीसी सभी वर्गों से जुड़ा है. जो भी कानून बनाया जाएगा, उसका गहरा असर मुल्क पर पड़ेगा. मुस्लिम पर्सनल लॉ में कोई तब्दीली नहीं की जा सकती. ये डेमोक्रेसी के खिलाफ होगी. जब आजाद हुए थे तो ये भरोसा दिया गया था और संविधान भी कहता है कि पर्सनल लॉ से छेड़छाड़ नहीं होगी. इस वक्त हुकूमत ने अदालत को भटकने का काम किया है.

मुस्लिम पर्सनल लॉ से छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए- मौलाना सिद्दीकुल्लाह

मौलाना सिद्दीकुल्लाह ने कहा कि हाल में सरकार ने तीन तलाक का फैसला देकर पर्सनल लॉ को कमजोर करने की कोशिश है. ये वोट बैंक की राजनीति है. सरकार एक तबके को खुश करना चाहती है. पर्सनल लॉ से छेड़छाड़ नहीं करना चाहिए. तमाम मुसलमानों से गुजारिश है कि शरीयत पर रहें. मुसलमानों से अपील है कि औरतों के जो हक हैं, वो उन्हें जरूर दिए जाएं. वहीं तृणमूल कांग्रेस के विधायक सिद्दीकुल्लाह चौधरी ने कहा कि इस वक्त जो दिल्ली में 56 इंच वाले बैठे हुए हैं, वो कानून बना रहे हैं. बीजेपी ने मुल्क को जन्म नहीं दिया, बल्कि अंग्रेजों से दलाली की है. आरएसएस का एक आदमी भी जेल नहीं गया.