MVA साथ चुनाव लड़ने को तैयार, उद्धव के चेहरे पर पवार क्यों नहीं तैयार?
कांग्रेस, उद्धव ठाकरे की शिवसेना और शरद पवार की एनसीपी महाराष्ट्र में एक साथ चुनाव लड़ने को तैयार है. शिवसेना (यूबीटी) की ओर से विधानसभा चुनाव में उद्धव ठाकरे के नाम को सीएम चेहरे के तौर पर आगे बढ़ाया गया है, लेकिन शरद पवार ने इसे खारिज कर दिया है. ऐसे में सवाल उठता है कि शरद पवार एक साथ चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं, लेकिन उद्धव ठाकरे के चेहरे पर क्यों नहीं हो रहे तैयार?
लोकसभा चुनाव के बाद अब महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की राजनीतिक बिसात बिछाई जाने लगी है. कांग्रेस, उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) और शरद पवार की एनसीपी की जोड़ी महाराष्ट्र में हिट रही है. तीनों ही विपक्षी दलों के हौसले बुलंद है. अक्तूबर में होने वाले विधानसभा चुनाव में एक साथ मिलकर लड़ने के लिए एकमत हैं, लेकिन सीएम पद के चेहरे पर सहमती नहीं बन पा रही है. शिवसेना (यूबीटी) की ओर से विधानसभा चुनाव में उद्धव ठाकरे के नाम को सीएम चेहरे के तौर पर आगे बढ़ाया गया है, लेकिन शरद पवार ने इसे खारिज कर दिया है. ऐसे में सवाल उठता है कि शरद पवार एक साथ चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं, लेकिन उद्धव ठाकरे के चेहरे पर क्यों नहीं हो रहे तैयार?
2024 के लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र की 48 सीटों में बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए ने 17 सीटें ही जीती हैं, जबकि कांग्रेस के अगुवाई वाले इंडिया गठबंधन के घटक दल 30 सीटें जीतने में सफल रहे. एनडीए में शामिल बीजेपी 9, एकनाथ शिंदे की शिवसेना 7 और एक सीट अजीत पवार की एनसीपी ने जीती है. वहीं, इंडिया गठबंधन में शामिल कांग्रेस ने 13 सीटें जीतीं हैं तो उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीट) 9 सीटें और शरद पवार की पार्टी एनसीपी 8 सीटें जीती हैं. सांगली से निर्दलीय प्रत्याशी ने जीत हासिल की है.
शिवसेना ने बढ़ाया उद्धव ठाकरे का चेहरा
लोकसभा चुनाव के नतीजे के चलते ही इंडिया गठबंधन के तीन घटक दल 2024 के विधानसभा चुनाव में एक साथ किस्मत आजमाने के पक्ष में है, लेकिन मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर असमंजस की स्थिति है. शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत द्वारा उद्धव ठाकरे के नाम को सीएम चेहरे के लिए आगे किया गया है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पद के चेहरे के बिना महाराष्ट्र में चुनाव में जाना महाविकास अघाड़ी के लिए खतरनाक होगा. महाराष्ट्र ने देखा है कि कोरोना काल में उद्धव ठाकरे ने राज्य को कैसे संभाला. उद्धव ठाकरे की लोकप्रियता के चलते ही लोगों ने एमवीए को वोट दिया, जिसके चलते विधानसभा चुनाव में उनके चेहरे पर लड़ना चाहिए.
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संजय राउत ने कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव में अगर इंडिया गठबंधन ने राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद के चेहरे के रूप में पेश किया होता, तो 25-30 सीटें हमें और मिलतीं. लोगों को पता होना चाहिए कि वे किसके लिए वोट कर रहे हैं. इंदिरा गांधी और नरेंद्र मोदी के नाम और चेहरे पर वोट देने का काम किया है. ऐसे में वे चेहरा जानना चाहते हैं. हमारे बीच इस बात को लेकर कोई मतभेद नहीं है कि हमारा मुख्यमंत्री पद का चेहरा कौन होना चाहिए. हम एकजुट होकर विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए दृढ़ हैं और हम 175 से 180 विधानसभा सीटें जीतेंगे.
उद्धव के चेहरे पर शरद पवार क्यों नहीं तैयार
शिवसेना (यूबीटी) की ओर से उद्धव ठाकरे के नाम को तीसरी बार बढ़ाया गया है, लेकिन गठबंधन के दोनों घटक दल तैयार नहीं है. शरद पवार ने उद्धव ठाकरे के नाम को खारिज करते हुए कहा कि हमारा गठबंधन सामूहिक चेहरा है. एक व्यक्ति हमारा सीएम पद का चेहरा नहीं बन सकता.सामूहिक नेतृत्व हमारा फॉर्मूला है. तीनों सहयोगी मिलकर इस संबंध में फैसला लेंगे. पीएम मोदी का विरोध करने वाले सभी छोटे दलों को एमवीए का हिस्सा बनना चाहिए. मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर जो भी फैसला लेना होगा, वह चर्चा के जरिए और सभी को विश्वास में लेने के बाद लिया जाएगा.
शरद पवार ने कहा कि महाभारत में अर्जुन का लक्ष्य मछली की आंख थी, इसलिए हमारी नजरें महाराष्ट्र में होने वाले चुनावों पर टिकी हैं. कांग्रेस, एनसीपी (SCP) और शिवसेना (UBT) मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ेंगी. पवार ने कहा कि राज्य में विधानसभा चुनाव के लिए सीट शेयरिंग पर बातचीत शुरू नहीं हुई है, लेकिन जल्द ही शुरू होगी. उन्होंने कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव में लोगों ने तीनों ही पार्टियों को अच्छा रिस्पॉन्स दिया है. लेकिन इन तीनों पार्टियों की तरह वामपंथी दल, किसान और श्रमिक पार्टी (PWP) भी गठबंधन का हिस्सा थे, लेकिन हम उन्हें लोकसभा में सीटें नहीं दे सके. इसके अलावा उन्होंने कहा कि इन पार्टियों के हितों की रक्षा करना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है. विधानसभा चुनाव में इन पार्टियों के साथ आगे बढ़ने का प्रयास किया जाएगा.
सीएम के चेहरे पर शह-मात का खेल शुरू
महाराष्ट्र की सियासत के मंझे हुए खिलाड़ी शरद पवार हैं. शरद पवार चुनाव से पहले उद्धव ठाकरे के नाम पर अपनी मुहर लगाकर गारंटी नहीं देना चाहते हैं. ऐसे में उनकी सियासी मंशा है कि महा विकास अघाड़ी चुनाव में सामूहिक नेतृत्व में लड़े और नतीजे के बाद तय हो कि कौन मुख्यमंत्री होगा. पवार खेमे के नेताओं की मंशा है कि उद्धव ठाकरे के नाम पर चुनाव लड़ने से बहुत ज्यादा सियासी लाभ नहीं हो सकता है. लोकसभा चुनाव में जिस तरह से बिना किसी चेहरे को आगे करके चुनाव लड़ा गया है, उसी तरह से विधानसभा चुनाव लड़ा जाए ताकि सभी पक्ष का वोट मिले.
राजनीतिक विश्लेषक भी मानते हैं कि सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने पर सभी पक्ष का वोट मिल सकता है. अगर इंडिया गठबंधन उद्धव ठाकरे के चेहरे को सीएम पद का उम्मीदवार बनाकर चुनावी मैदान में उतरती है तो ठाकरे और शिवसेना खेमे के हौसले बुंलद हो जाएंगे, लेकिन कांग्रेस और एनसीपी के कार्यकर्ता-समर्थक में निराशा हो सकती है. इस वजह से पूरे लगन और मशक्कत के साथ चुनाव में काम नहीं कर सकेंगे. शरद पवार इस बात को समझ रहे हैं और लोकसभा चुनाव में जिस तरह से नतीजे आए हैं, उसके चलते कांग्रेस भी इस बात पर रजामंद नहीं होगी कि उद्धव ठाकरे को सीएम का चेहरा बनाया जाए.
सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने की बात
लोकसभा चुनाव में शरद पवार की एनसीपी और उद्धव ठाकरे की शिवसेना में दो सीट का अंतर है. एनसीपी (एसपी) को 7 और शिवसेना (यूबीटी) को 9 सीटें आई हैं, जबकि कांग्रेस 13 सीटें जीतने में कामयाब रही थी. उद्धव ठाकरे के चेहरे पर चुनाव लड़ने पर मुस्लिम, दलित और ओबीसी वोट में बिखराव का खतरा हो सकता है. इसीलिए शरद पवार ने उद्धव के नाम को खारिज कर दिया है और सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने की बात कही है. वहीं, शिवसेना (यूबीटी) की मंशा है कि चुनाव से पहले उद्धव के नाम पर रजामंदी ले ली जाए ताकि नतीजे के बाद कांग्रेस और शरद पवार किसी तरह का कोई खेला न कर सकें. इसीलिए चुनाव से पहले ही सीएम चेहरे को लेकर शह-मात का खेल शुरू हो गया है.