न खाएं अधपका चिकन… महाराष्ट्र में फैली इस बीमारी के बीच बोले डिप्टी सीएम अजित पवार

न खाएं अधपका चिकन… महाराष्ट्र में फैली इस बीमारी के बीच बोले डिप्टी सीएम अजित पवार

महाराष्ट्र में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है. बीमारी से संक्रमित होने वालों की संख्या बढ़कर 207 हो गई है. लगातार बढ़ रही मरीजों की संख्या के बाद महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने जनता से सतर्क रहने और अधपका चिकन न खाने की अपील की है.

महाराष्ट्र में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है. इस बीमारी से संक्रमित होने वालों की संख्या बढ़कर 207 हो गई है. 14 फरवरी को दो संदिग्ध मरीज और मिले हैं. स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, कुल मरीजों में से 180 में जीबीएस की पुष्टि हुई है. बीमारी के कारण अब लोगों में डर भी फैलने लगा है. लगातार बढ़ रही मरीजों की संख्या के बाद महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने जनता से सतर्क रहने और अधपका चिकन न खाने की अपील की है.

शनिवार को मीडिया से बातचीत के दौरान अजित पवार ने स्पष्ट किया कि इस बीमारी को लेकर मुर्गी पालन से जुड़ी चिंताओं को दूर किया जाना चाहिए और मुर्गियों को मारने की कोई जरूरत नहीं है.

उन्होंने कहा कि हाल ही में खड़कवासला बांध क्षेत्र (पुणे) में जीबीएस के मामलों की सूचना मिली थी. कुछ विशेषज्ञों ने इसे पानी के दूषित होन से जोड़ा, जबकि कुछ ने इसे चिकन खाने से हुई बीमारी बताया है. गहन समीक्षा के बाद यह निष्कर्ष निकला कि मुर्गियों को मारने की कोई आवश्यकता नहीं है.

साफ-सफाई और खाने को अच्छी तरह से पकाकर ही खाएं- डिप्टी सीएम

उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने जनता से अपील की कि वे साफ-सफाई का ध्यान रखें और खाने को अच्छी तरह से पकाकर ही खाएं. उन्होंने कहा कि डॉक्टर भी यही सलाह देते हैं कि खाने को अच्छी तरह से पकाना चाहिए. फिलहाल, GBS की स्थिति नियंत्रण में है और घबराने की कोई जरूरत नहीं है.

गुइलेन बैरे सिंड्रोम क्या है?

दिल्ली के जीटीबी अस्पताल में मेडिसिन विभाग के डॉक्टर के मुताबिक, यह न्योरोलॉजिक बीमारी है. स्वाइन फ्लू के तरह इस बीमारी के लक्षण होते हैं. जिसमें सर्दी, जुकाम और तेज बुखार आता है. इस बीमारी का सटीक कारण अब तक पता नहीं चल पाया है.

गुइलेन-बैरी सिंड्रोम एक दुर्लभ लेकिन गंभीर बीमारी है जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अपनी ही नसों पर हमला करती है. इससे कमजोरी, सुन्नता या पक्षाघात हो सकता है. इस स्थिति से पीड़ित अधिकांश लोगों को अस्पताल में इलाज की आवश्यकता होती है.