‘मेरी मां नहीं रहीं…’ भगदड़ के बाद बिलख पड़ा बेटा, नई दिल्ली स्टेशन पर कैसे कुलियों ने बचाई जान?
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नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर मची भगदड़ में 18 लोगों की मौत हो गई है. इनमें 9 महिलाएं, 5 बच्चे और 4 पुरुष शामिल हैं. यात्रियों का आरोप है कि रेलवे की ओर से भीड़ को नियंत्रित करने के लिए कोई व्यवस्था नहीं थी. इस कारण यह हादसा हो गया.
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ मचने से 3 बच्चे समेत 18 लोगों को मौत हो गई है. ऐसा कहा जा रहा है कि महाकुंभ जाने के लिए स्टेशन पर भारी भीड़ जुटी हुई थी. इसी दौरान प्लेटफार्म नंबर 14 और 15 पर भगदड़ मच गई, जिसमें दबने से 18 लोगों की मौत हो गई. वही कई लोग घायल हैं, जिन्हें इलाज के लिए नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया है. प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि कुछ लोग भीड़ बढ़ने के कारण बेहोश होकर गिर गए थे.
शनिवार रात नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ में 3 बच्चे सहित 18 लोगों की मौत हो गई. जिसमें 9 महिलाएं, 5 बच्चे और 4 पुरुष शामिल हैं. वहीं, कई यात्रियों के घायल होने की सूचना है, जिन्हें नजदीकी एलएनजेपी अस्पताल में भर्ती कराया है. वीकेंड पर महाकुंभ में जाने के लिए बड़ी संख्या में यात्री नई दिल्ली स्टेशन पर पहुंचे थे. इसी दौरान यह हादसा हो गया है. प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि स्टेशन पर प्लेटफार्म नंबर 14 और 15 पर देखते ही देखते बहुत बड़ी संख्या में यात्री इकट्ठा हो गए. कहीं पर भी पैर रखने तक की जगह नहीं थी.
कुलियों ने की यात्रियों की मदद
यात्रियों ने बताया कि मदद के लिए कुली सबसे पहले सामने आए थे, जो अपनी सामान ढोने वाली गाड़ी पर लोगों को लेटाकर सुरक्षित स्थान पर लेकर गए थे, जहां घटना के बाद प्रशासन का कोई भी अधिकारी मौजूद नहीं था. वहां कुली घायल यात्रियों के लिए किसी देवदूत से कम नहीं थे. लोगों का कहना है कि एक तरफ प्रशासन दूर खड़े होकर तमाशा देख रहा था. वहीं, दूसरी ओर कुली लोगों की मदद कर रहे थे.
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धक्का-मुक्की के बाद मची भगदड़
बढ़ती भीड़ के दबाव के कारण धक्का-मुक्की होने लगी, जो बाद में भगदड़ में तब्दील हो गई. एक यात्री धर्मेंद्र ने बताया कि मैं प्रयागराज जा रहा था, लेकिन कई ट्रेनें देरी से चल रही थीं या रद्द कर दी गई थीं. स्टेशन पर बहुत भीड़ थी. उन्होंने बताया कि मैंने इस स्टेशन पर पहली बार इतनी भीड़ देखी. स्थिति में बेहद खौफनाक थी. घटना के बाद मेरे सामने ही छह-सात महिलाओं को स्ट्रेचर पर ले जाया गया.
‘मेरी मम्मी नहीं रहीं ‘
एक अन्य यात्री प्रमोद चौरसिया ने बताया कि एक मेरे पास पुरुषोत्तम एक्सप्रेस का स्लीपर क्लास का टिकट था, लेकिन कन्फर्म टिकट वाले भी ट्रेन में नहीं चढ पाए. मेरे एक दोस्त और एक महिला यात्री भीड़ में फंस गए. बहुत ज्यादा धक्का-मुक्की हुई. हम अपने बच्चों के साथ बाहर इंतजार करके सुरक्षित रहने में कामयाब रहे. बिहार के रहने वाले एक पप्पू नाम के एक युवक ने बताया कि हम अपने घर जा रहे थे. इस दौरान भगदड़ मच गई, जिसमें दबने से मेरी मम्मी नहीं रहीं.
एक घंटे तक नहीं पहुंची मदद- लोगों के आरोप
बताया जा रहा है कि शनिवार दोपहर 4 बजे से ही स्टेशन पर भीड़ का जुटना शुरू हो गया था. रात में प्रयागराज जाने वाली कुछ ट्रेनें लेट हो गई. इसी कारण भीड़ हादसा का शिकार हो गई. यात्रियों का आरोप है कि रेलवे प्रशासन ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए कोई इंतजाम नहीं किए थे. भगदड़ के बाद करीब एक घंटे तक यात्री दबे रहे, लेकिन उन तक मदद नहीं पहुंची थी.