‘बाल हनुमान’ का रूप मानते थे लोग, डर जाते थे बच्चे… गिनीज बुक में दर्ज हुआ अजीब बीमारी से ग्रस्त MP के ललित का नाम

‘बाल हनुमान’ का रूप मानते थे लोग, डर जाते थे बच्चे… गिनीज बुक में दर्ज हुआ अजीब बीमारी से ग्रस्त MP के ललित का नाम

रतलाम निवासी ललित के चेहरे पर 201.72 सेमी लंबे घने बाल हैं. वेयलवोल्फ सिंड्रोम के चलते उसे एक दुर्लभ बीमारी है. ललित का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है. इटली में उसे मैडल और सार्टिफिकेट प्रदान किया गया.

मध्य प्रदेश एक रतलाम निवासी एक युवक की दुलर्भ बीमारी ने उसे पहचान दिला दी. अजीब बीमारी के चलते जिले के गांव नांदलोटा निवासी 19 साल के ललित पाटिदार का नाम अब गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है. ललित की दुलर्भ बीमारी शुरू में उसके लिए परेशानी का सबब बन गई. लोग उसे देखर दूर भागते थे और बच्चे पत्थर मारा करते थे. कई बार लोग उसे ‘बाल हनुमान’ का रूप समझकर पूजने लगे. बचपन से ही ललित के पूरे चेहरे पर बाल हैं.

ललित अपने लुक की वजह से सोशल मीडिया से लेकर इंटरनेशल स्तर पर अपनी पहचान बना चुका है. ललित को वेयलवोल्फ सिंड्रोम के चलते एक दुर्लभ बीमारी है, उसके चेहरे पर आम पुरुष से ज्यादा घने बाल हैं. उसके चेहरे के बालों की लंबाई 201.72 सेमी है. इसकी वजह से उसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड के लिए चुना गया. ललित को इसके लिए इटली बुलाया गया और उसे मैडल और सार्टिफिकेट दिया गया.

देखकर डर जाते थे बच्चे

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, ललित 12वीं का छात्र है. उन्हें खेलकूद और बाइक चलाने का शौक है. उसके माता-पिता खेती-किसानी करते हैं. वह अपने चार बहनों का इकलौता भाई है. परिवारवालों का कहना है कि जब ललित का जन्म हुआ तो उसके चेहरे पर घने बाल थे. जैसे-जैसे वह बड़ा होता गया उसके चेहरे के बाल भी घने और बढ़े होने लगे. इसकी वजह से ललित को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. हालात यह हो गए कि बच्चे उसे देखकर डर जाते और भाग खड़े होते थे. यहां तक कि बच्चे उसपर पत्थर भी मारा करते थे.

मिला मैडल और सार्टिफिकेट

जानकारी के मुताबिक, दो साल पहले गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड की टीम ने ललित से संपर्क किया था. 8 फरवरी को उन्हें इटली बुलाया गया. वह अपने परिचित के साथ इटली के मिलान शहर में गए. इस बीच उनकी 6 दिन तक विशेष जांच की गई. 13 फरवरी को ललित को लो शो देई रिकॉर्ड के मंच पर मैडल और सार्टिफिकेट दिया गया. ललित अब अपने इलाके की पहचान बन गया है. उसको इस सम्मान से गांव में अलग ही नजर से देखा जा रहा है.