Paytm पर फिर चला RBI का चाबुक, अब नहीं कर सकेगी ये काम
पेटीएम पेमेंट सर्विसेस पर भारतीय रिजर्व बैंक के एक नए आदेश की तलवार चली है. इस आदेश के चलते पेमेंट सर्विस देने वाली कंपनी कई काम नहीं कर पाएगी. वहीं इससे ये बात भी साफ होती है कि उसे तत्काल में पेमेंट एग्रीगेटर का लाइसेंस नहीं मिलने जा रहा है. क्या है पूरा मामला
डिजिटल पेमेंट की सुविधा देने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक पेटीएम पेमेंट सर्विसेस लिमिटेड (Paytm Payment Services) पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने नई रोक लगाई है. इससे जहां कंपनी को अपनी पेमेंट सर्विस चलाने में कुछ परेशानी आ सकती है, वहीं ये भी साफ है कि उसे तत्काल में पेमेंट एग्रीगेटर का लाइसेंस नहीं मिलने जा रहा है. PPSL वन97 कम्युनिकेशंस (One97 Communications) की 100 प्रतिशत भागीदारी वाली सब्सिडियरी है.
आरबीआई का कहना है कि पीपीएसएल अब अपने प्लेटफॉर्म पर किसी नए ऑनलाइन मर्चेंट को जोड़ नहीं सकेगी. हालांकि कंपनी के मौजूदा कस्टमर्स पर इस आदेश का कोई असर नहीं होगा.
नए ऑफलाइन कस्टमर्स जोड़ेगी कंपनी
इस बीच पेटीएम की ओर से साथ किया गया है कि वह नए ऑफलाइन मर्चेंट्स को जोड़ना जारी रखेगी. उन्हें अपनी पेमेंट सर्विसेस मुहैया कराएगी. इसमें ऑल-इन-वन क्यूआर कोड के साथ-साथ साउंडबॉक्स और कार्ड मशीन जैसी सर्विस शामिल हैं.
इतना ही नहीं पीपीएसएल उसके मौजूदा ऑनलाइन कस्टमर्स के साथ बिजनेस करना जारी रखेगी. उनको दी जा रही सर्विसेस पर इस आदेश का कोई असर नहीं होगा.
एग्रीगेटर बनने के लिए सितंबर थी लास्ट डेट
जिन पेमेंट कंपनियों को एग्रीगेटर बनने का लाइसेंस चाहिए था, उसके लिए उन्हें सितंबर 2022 तक आरबीआई के पास रजिस्ट्रेशन कराना था. इससे पहले ये कंपनियां बैंकों के आउटसोर्स एजेंट्स की तरह काम कर रहीं थीं.
पेमेंट एग्रीगेटर्स का लाइसेंस पाने वाली कंपनियां ही देश में पेमेंट सर्विस चला सकती हैं. उनकी निगरानी सीधे आरबीआई के दायरे में आएगी. इन्हें बैंकों से अलग एक स्वतंत्र सर्विस प्रोवाइडर के तौर पर जाना जाएगा.
Paytm, PayU को नहीं मिली मंजूरी
आरबीआई ने हाल में 32 कंपनियों को पेमेंट एग्रीगेटर का लाइसेंस देने की सैद्धांतिक मंजूरी दे दी थी. इसमें Razorpay, Reliance, Google, Zomato और Pine Labs जैसी कंपनियां शामिल थीं. जबकि Freecharge, Paytm, PayU और Tapits Technologies जैसी कंपनियों की एप्लिकेशन रिजेक्ट हो गई थी.
आरबीआई ने ऑनलाइन पेमेंट गेटवे के लाइसेंस एप्लिकेशन रिजेक्ट होने की वजह उनका पूर्व में क्रिप्टोकरेंसी के लेनदेन या गेमिंग ऐप्स से जुड़े रहना बताई है. इतना ही नहीं इन सभी के KYC से जुड़े मुद्दे भी जांच के दायरे में है. साथ ही कई कंपनियां आरबीआई द्वारा तय की गई नेटवर्थ लिमिट को भी पूरा नहीं कर सकीं हैं.