न्यू एनर्जी कारोबार मुकेश अंबानी को कराएगा मोटा फायदा, 7 सालों में हो सकती है 15 बिलियन डॉलर की कमाई

न्यू एनर्जी कारोबार मुकेश अंबानी को कराएगा मोटा फायदा, 7 सालों में हो सकती है 15 बिलियन डॉलर की कमाई

क्लीन एनर्जी 2050 तक भारत में 2,000 अरब डॉलर के निवेश के साथ भारत में रिलाायंस के लिए विकास का नया स्तंभ है. भारत 2030 तक 280 गीगावॉट सोलर कैपेसिटी और 50 लाख टन ग्रीन हाइड्रोजन प्रोडक्शन का टारगेट लेकर चल रहा है.

एशिया के सबसे अमीर कारोबारी मुकेश अंबानी और उनके ग्रुप रिलायंस का पूरा फोकस न्यू एनर्जी कारोबार पर है. इसलिए उन्होंने इस बिजनेस में बड़ा दांव भी खेला है. सैनफोर्ड सी बर्नस्टीन की रिपोर्ट के मुताबिक रिलायंस इंडस्ट्रीज को न्यू एनर्जी कारोबार से 10 से 15 बिलियन डॉलर यानी 1.29 लाख करोड़ रुपये की कमाई हो सकती है. वैसे कंपनी ने इस बात पर भी जोर दिया कि कंपनी को टेक्नोलॉजी को बढ़ाने के लिए दूसरी ओर कंपनियों के साथ टाइअप करना होगा, ताकि इस कारोबार में उन्हें फायदा मिल सके.

टैम बढ़कर हो सकता है 30 अरब डॉलर

क्लीन एनर्जी (सौर, बैटरी, इलेक्ट्रोलाइजर और फ्यूल सेल) 2050 तक भारत में 2,000 अरब डॉलर के निवेश के साथ भारत में रिलाायंस के लिए विकास का नया स्तंभ है. भारत 2030 तक 280 गीगावॉट सोलर कैपेसिटी और 50 लाख टन ग्रीन हाइड्रोजन प्रोडक्शन का टारगेट लेकर चल रहा है. ब्रोकरेज कंपनी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि हमारा अनुमान है कि पैसेंजर और कमर्शियल व्हीकल सेगमेंट में इलेक्ट्रिक व्हीकल की संख्या पांच फीसदी पर पहुंचेगी, जबकि दोपहिया वाहनों के मामले में यह 21 फीसदी होगी. क्लीन एनर्जी का टोटल अवेलेबल मार्केट मौजूदा के 10 अरब डॉलर से बढ़कर 2030 में 30 अरब डॉलर का हो सकता है. रिपोर्ट के अनुसार हमारा इसके 2050 तक 200 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है.

इतना हो सकता है रेवेन्यू

ऑयल से लेकर टेलीकॉम सेक्टर तक काम कर रहे रिलायंस ग्रुप ने सोलर मैन्युफैक्चरिंग के साथ-साथ हाइड्रोजन मार्केट में उतरने की घोषणा की है. रिलायंस की योजना 2030 तक 100 गीगावॉट की स्थापित सोला कैपेसिटी पाने की है, जो देश की लक्षित क्षमता 280 गीगावॉट का 35 फीसदी है. बर्नस्टीन ने कहा कि हमें रिलायंस के 2030 तक सोलर मार्केट का 60 फीसदी, बैटरी मार्केट का 30 फीसदी और हाइड्रोजन मार्केट का 20 फीसदी हासिल करने की उम्मीद है. रिपोर्ट के अनुसार कि हमारा अनुमान है कि रिलायंस 2030 में नए ऊर्जा कारोबार से लगभग 10-15 अरब डॉलर का रेवेन्यू प्राप्त कर सकती है जो टीएएम का लगभग 40 फीसदी बैठेगा.