आत्मनिर्भर भारत की ओर बड़ा कदम! तेजस ने INS विक्रांत पर की सफल लैंडिंग
इंडियन नेवी के लिए स्वदेशी INS विक्रांत को कमीशन करने के करीब 4 महीने बाद स्वदेशी एयरक्राफ्ट तेजस की इस पर सफल लैंडिंग की गई है.
एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रांत ने एक और माइलस्टोन क्रॉस किया है. आईएनएस विक्रांत पर पहली बार एक फिक्स विंग एयरक्राफ्ट ने लैंडिंग की है. भारत के स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) तेजस का नौसेना के लिए डिजाइन किया गया वर्जन समुद्री परीक्षणों के हिस्से के रूप में INS विक्रांत पर सफलतापूर्वक लैंड किया गया है. इस बात की जानकारी इंडियन नेवी ने अपनी सोशल मीडिया हैंडल पर दी है.
इंडियन नेवी ने ट्विटर हैंडल @indiannavy पर तस्वीरें शेयर की हैं. इन तस्वीरों में तेजस को आईएनएस विक्रांत पर लैंड करते हुए देखा जा सकता है. इंडियन नेवी ने इन तस्वीरों को शेयर करते हुए लिखा है, ‘इंडियन नेवी ने आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक ऐतिहासिक माइल स्टोन अचीव किया गया है. पायलट ने लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट की आईएनएस विक्रांत के बोर्ड पर लैंडिंग की है.’
इंडियन नेवी ने अपने पोस्ट में भारत की आत्मनिर्भरता की ओर इसे एक बड़ा कदम बताया है. नेवी ने अपने पोस्ट में आगे लिखा है, ‘यह सफल लैंडिंग स्वदेशी लड़ाकू विमान (तेजस) के साथ स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर को डिजाइन, डेवलप, कंस्ट्रक्ट और ऑपरेट करने की भारत की क्षमता को दिखाता है.’
Historical milestone achieved towards #AatmaNirbharBharat by #IndianNavy as Naval Pilots carry out landing of LCA(Navy) on @IN_R11Vikrant. Demonstrates #Indias capability to design, develop, construct & operate #IndigenousAircraftCarrier with indigenous Fighter Aircraft. pic.twitter.com/3HuwuGrZtx
— SpokespersonNavy (@indiannavy) February 6, 2023
INS विक्रांत है खूबियों से लैस
45 हजार टन वजनी आईएनएस विक्रांत को पिछले साल सितंबर में इंडियन नेवी के लिए कमीशन किया गया था. इसे बनाने की कुल लागत 20 हजार करोड़ रुपये आई है. इसकी लंबाई 262 मीटर है और चौड़ाई 62 मीटर है. यह भारत मे बना अब तक का सबसे बड़ा वॉरशिप है. आईएनएस विक्रांत एक साथ 30 एयरक्राफ्ट को लेकर चल सकता है. इन एयरक्राफ्ट्स में MiG-29K के साथ-साथ फाइटर जेट्स और हेलीकॉप्टर्स शामिल हैं.
इतना ही नहीं आईएनएस विक्रांत पर एक साथ 1600 लोगों का क्रू चल सकता है. करीब एक दशक की कड़ी मेहनत के बाद भारत में इसे बनाया गया है. आईएनएस विक्रांत का नाम इसके पहले इस्तेमाल किए जा रहे युद्धपोत के नाम पर रखा गया है. बता दें कि पुराने आईएनएस विक्रांत ने 1971 में बांग्लादेश लिबरेशन के दौरान पाकिस्तान के खिलाफ जंग में एक अहम भूमिका निभाई थी.