Adani Port Result: अडानी पोर्ट का धमाका, हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बावजूद 3 महीने में कमाए 1159 करोड़
गौतम अडानी ग्रुप की फ्लैगशिप कंपनी अडानी पोर्ट्स एंड सेज ने महज तीन महीने में 1159 करोड़ रुपये का प्रॉफिट कमाया है. जबकि इन्हीं तीन महीनों के दौरान कंपनी को हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट का दंश भी झेलना पड़ा है.
उद्योगपति गौतम अडानी की फ्लैगशिप कंपनी अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन (एपीएसईजेड) ने सिर्फ तीन महीने में 1159 करोड़ रुपये का कंसोलिडेटेड प्रॉफिट कमाया है. ये पिछले साल के मुकाबले 5 प्रतिशत अधिक है. इतना ही नहीं कंपनी ने अपने शेयर होल्डर्स को डिविडेंड देने का भी ऐलान किया है.
अडानी ग्रुप के खिलाफ जनवरी 2023 में अमेरिका की शॉर्ट सेलर कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी. इसके बाद समूह की तमाम कंपनियों के शेयर में भारी गिरावट दर्ज की गई, लेकिन समूह की कंपनियों की प्रॉफिटेबिलिटी पर इसका असर ना के बराबर रहा है.
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कंपनी का रिवेन्यू बढ़ा 40 प्रतिशत
एपीएसईजेड ने सोमवार रात को वित्त वर्ष 2022-23 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च 2023) के परिणाम जारी किए. इसके हिसाब से ग्रुप की इस फ्लैगशिप कंपनी का कंसोलिडेटेड प्रॉफिट 5 प्रतिशत बढ़कर 1,159 करोड़ रुपये रहा है. जबकि इसी अवधि में उसका कंसोलिडेटेड रिवेन्यू वित्त वर्ष 2021-22 की इसी अवधि की तुलना में 40 प्रतिशत बढ़ा है. ये 5,797 करोड़ रुपये रहा है.
वित्त वर्ष 2022-23 में कंपनी का प्रॉफिट 9 प्रतिशत बढ़कर 5,310 करोड़ रुपये रहा है. वहीं कंपनी का रिवेन्यू 22 प्रतिशत बढ़कर 20,852 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है.
शेयर होल्डर्स को मिलेगा डिविडेंड
कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने शेयर होल्डर्स के लिए डिविडेंड की भी घोषणा की है. कंपनी वित्त वर्ष 2022-23 के लिए अपने शेयर होल्डर्स को 5 रुपये का डिविडेंड देगी.
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इसके अलावा अडानी पोर्ट को उम्मीद है कि चालू वित्त वर्ष 2023-24 में उसका रिवेन्यू बढ़कर 24,000 से 25,000 करोड़ रुपये रहेगा. जबकि टैक्स देने से पहले उसकी इनकम 15,000 करोड़ रुपये के स्तर तक पहुंच सकती है.
निवेश करेगी 4500 करोड़ तक
इसी के साथ अडानी पोर्ट्स एंड सेज ने कहा है कि वह चालू चित्त वर्ष के दौरान 4,000 से 4,500 करोड़ रुपये तक का निवेश कर सकती है. गौर करने वाली बात ये है कि कंपनी ने ये जबरदस्त मुनाफा हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट से पैदा हुई हलचल के बीच कमाया है.
हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में अडानी ग्रुप के खिलाफ अपनी कंपनियों के शेयर का भाव मैन्युपुलेट करने, भारी-भरकम कर्ज होने और अकाउंटिंग फ्रॉड करने के आरोप लगाए गए थे.