Amethi Lok Sabha Election 2024: राहुल गांधी या स्मृति ईरानी, किसने कराया कितना काम… अमेठी के लोगों ने बताया

Amethi Lok Sabha Election 2024: राहुल गांधी या स्मृति ईरानी, किसने कराया कितना काम… अमेठी के लोगों ने बताया

अमेठी लोकसभा क्षेत्र के टीकरमाफी गांव में कभी ट्रिपल आईटी हुआ करता था, लेकिन अब वह बंद हो गया है. गांव के लोगों में इसको लेकर नाराजगी है. लोगों का कहना है कि कांग्रेस सरकार जाने के बाद अमेठी के विकास पर जो पंख लगने थे, वो नहीं लग पाए. स्मृति ईरानी ने यहां कोई विकास कार्य नहीं किया. राहुल गांधी के कराए विकास कार्यों पर वाहवाही बटोरती हैं.

उत्तर प्रदेश की अमेठी लोकसभा सीट पर 20 मई को वोटिंग होगी. वोटिंग से पहले बीजेपी और इंडिया गठबंधन से कांग्रेस के प्रत्याशी यहां चुनाव प्रचार में जोरों-शोरों से जुटे हैं. अमेठी लोकसभा सीट से स्मृति ईरानी जहां तीसरी बार चुनावी मैदान में हैं तो वहीं केएल शर्मा पहली बार मैदान में उतरे हैं. स्मृति ईरानी ने 2014 में यहां पहला चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें राहुल गांधी के हाथों शिकस्त मिली थी. हालांकि 2019 में स्मृति ईरानी ने 2014 की हार का बदला लेते हुए राहुल गांधी को करारी शिकस्त दी थी. अब 2024 में भी स्मृति ईरानी यहां से मैदान में हैं, जबकि राहुल गांधी अमेठी छोड़ रायबरेली से चुनाव लड़ रहे हैं. अमेठी से स्मृति ईरानी के सामने केएल शर्मा हैं, जो गांधी परिवार के विश्वास पात्र हैं. उनके लिए भी गांधी परिवार के विश्वास पर खरा उतरने की चुनौती होगी.

इसी कड़ी में टीवी9 भारतवर्ष की टीम ने ग्राउंड जीरो पर जाकर अमेठी के लोगों से चुनावी चर्चा की. इस दौरान लोगों ने अमेठी सांसद स्मृति ईरानी के पांच के कार्यकाल पर अपनी राय रखी. टीवी9 की टीम अमेठी के पूरेगंगा मिश्र टीकरमाफी गांव भी पहुंची. गांव के बाहर एक बोर्ड भी लगा था, जिस पर बाह्मण बाहुल्य गांव लिया था. इसी पढ़ने के बाद लगा कि यहां ब्राह्मणों का दबदबा होगा. चुनावी चर्चा के बीच यहां के लोगों से स्मृति ईरानी के विकास कार्य, उनका यहां आना-जाना, अमेठी के लोगों से व्यवहार इत्यादि पर बातचीत की गई.

संजय गांधी ने अमेठी में कराए काम

रेलवे से रिटायर रामराज मिश्रा से जब पूछा गया कि अमेठी और इसी से सटे रायबरेली को कांग्रेस का गढ़ क्यों कहा जाता है तो इस पर रामराज मिश्रा ने कहा कि शुरुआत में यहां संजय गांधी आए थे, लेकिन यहां के चाटुकार लोग आम लोगों को संजय गांधी से मिलने नहीं देते थे. इस वजह से यहां के लोग समझ गए कि जब ये लोग मिलने ही नहीं देंगे तो हमारा काम नहीं होगा. हमारे किसी भी मुद्दे का समाधान नहीं होगा. इसी वजह से संजय गांधी पहला चुनाव हार गए थे. संजय गांधी को समझ आ गया कि अगर नेता बनना है तो जनता के बीत रहना होगा. उसके बाद दूसरी बार संजय गांधी ने चुनाव जीता. अमेठी में उन्होंने काफी काम कराए.

आवारा पशुओं की बहुत बड़ी समस्या

वहीं जब स्मृति ईरानी के काम को लेकर पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि पिछले पांच साल में स्मृति ईरानी ने यहां एक भी काम नहीं किया है. रामराज के बगल में बैठे वीरेंद्र कुमार मिश्रा ने बताया कि वह खेती-बाड़ी करते हैं. आवारा पशुओं से काफी परेशान हैं. आवारा पशु उनकी फसल को बर्बाद कर देते हैं. इस समस्या पर सरकार को ध्यान देना चाहिए. बाकी स्मृति ईरानी के विकास कार्यों की करें तो उन्होंने यहां पर कुछ नहीं किया है. कम से कम उन्हें यहां एक-दो फैक्ट्री खुलवानी चाहिए, जिससे हमारे बच्चे वहां काम कर सकें. वहीं जब ये पूछा गया कि 2014 में स्मृति ईरानी चुनाव हारीं, उसके बाद 2019 में राहुल गांधी को हरा दिया.

मोदी के चेहरे पर जीती थीं स्मृति ईरानी

इस पर रामराज मिश्रा ने कहा कि स्मृति ईरानी अपने चेहरे पर चुनाव नहीं जीती थीं. सिर्फ और सिर्फ मोदी के नाम पर उन्होंने चुनाव जीता था. इसी बीच एक युवक ने कहा कि बीजेपी सरकार में यहां एक भी विकास कार्य नहीं हुआ है. टीकरमाफी गांव में जो विकास कार्य हुए हैं, ये सब गांधी परिवार की ही देन है. यहां एक ट्रिपल आईटी था भी, वो भी बंद करा दिया. गांव के ही रहने वाले पंडित कप्तान शुक्ला ने कहा कि वह बीए फाइनल ईयर के स्टूडेंट है. आईटीआई किए हुए हैं, लेकिन बेरोजगार हैं. वह आर्मी की तैयारी करते. अब अग्निवीर आ गई है, कर क्या सकते हैं. अब खेती-बाड़ी ही सहारा है. बाकी हमारा क्षेत्र राहुल गांधी के नाम से जाना है, उन्हीं के नाम से जाना जाएगा. अयोध्या प्रसाद मिश्र ने बताया कि अमेठी की पहचान राहुल गांधी से नहीं बल्कि स्वर्गीय राजीव गांधी से है. वह पूर्व प्रधानमंत्री थे.