Story of Sita in Ramayana: कैकेयी के हठ से श्रीराम गए थे वनवास, तो कुकुआ ने माता सीता का करवाया था परित्याग, जानें पूरी गाथा

Story of Sita in Ramayana: कैकेयी के हठ से श्रीराम गए थे वनवास, तो कुकुआ ने माता सीता का करवाया था परित्याग, जानें पूरी गाथा

राम ने कुकुआ देवी पर विश्वास कर सीता का परित्याग कर दिया. परित्यक्ता सीता ने प्रभु से अपने सतीत्व के प्रमाण में कुकुआ के गूंगी हो जाने तथा पक्षियों के मौन रहने की प्रार्थना की. सीता की प्रार्थना प्रभु ने सुनी. कुकुआ देवी 12 वर्षों तक गूंगी रहीं.

क्या सिर्फ एक धोबी के आक्षेप मात्र से व्यथित मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने मां सीता का परित्याग कर दिया था? क्या यह धोबी भी राजमहल के उस षड्यंत्र का एक हिस्सा था, जो चौदह वर्षों के वनवास के बाद राम के भाइयों और पत्नी सीता सहित अयोध्या पहुंचने के साथ शुरू हो गया था? इस बार कैकेयी नहीं, बल्कि उनकी पुत्री कुकुआ षड्यंत्र और साजिशों में तल्लीन थी. युगों से राम कथा दोहराई जा रही और इसी के साथ राम कथा के मर्मज्ञ मात्र शंका के आधार पर मां सीता के परित्याग और परीक्षा की पहेली की व्याख्या करते रहे हैं. टीवी 9 के न्यूज डायरेक्टर सुविख्यात पत्रकार हेमंत शर्मा ने अपनी किताब “एकदा भारतवर्षे” में भिन्न क्षेत्रों में प्रचलित अनेक कृतिकारो द्वारा रचित रामायणों के गहन अध्ययन उपरांत इस प्रसंग पर सुंदर प्रकाश डाला है. प्रस्तुत आलेख उन्हीं के अध्ययन पर आधारित है.

धोबी का आक्षेप और सीता का बनाया रावण का वह चित्र!

चौदह वर्ष बाद सीता अयोध्या में सखियों बीच पहुंची थीं. इस लंबे समय के सीता के वनवास के अनुभवों को जानने की सखियों में उत्सुकता थी. लंका और रावण को लेकर उनमें स्वाभाविक उत्कंठा थी. कैसी थी लंका? कैसा था रावण? “कृतिवास रामायण” के अनुसार सरोवर में स्नान करते राम ने धोबी के मुख से सुना, “इतने दिनों रावण के यहां रहने के बाद सीता पवित्र कैसे रह सकती हैं?” मर्यादा पुरुषोत्तम राम की राजमहल में वापसी हृदय-मस्तिष्क में संदेह के कीड़े के साथ हुई.

वहां संदेह को विस्तार देने के लिए दूसरा कारण उपस्थित था. कथा के अनुसार सखियों ने सीता से जिज्ञासा के चलते रावण का चित्र बनाने को कहा. सीता ने फर्श पर रावण का चित्र बना दिया. सखियां चली गईं. थकी सीता फर्श पर बने चित्र के बगल सो गईं. पहले धोबी के आक्षेप और फिर वापसी में रावण के चित्र के बगल सोती सीता को देख राम का संदेह और पुख्ता हो गया. चंद्रावती कृत 16वीं सदी बांग्ला रामायण “गाथा” के अनुसार कैकेयो की पुत्री कुकुआ के बहकावे में सीता ने रावण का चित्र बनाया था.

कौन थी षड्यंत्रकारी कुकुआ ?

मलाया की रामायण “सेरीराम” भी सीता द्वारा रावण का चित्र कुकुआ के ही कहने पर बनाया जाना बताती है. हालांकि इस रामायण में कुकुआ देवी को कैकेयी की पुत्री नहीं, अपितु भरत और शत्रुघ्न की सहोदरी बताया गया है. इसमें सीता द्वारा रावण का चित्र फर्श पर नहीं बल्कि पंखे पर बनाया है. बाद में कुकुआ देवी ने रावण के चित्र बना पंखा सोती हुई सीता की छाती पर रख दिया. उसने सीता पर चित्र को चूमने का भी आरोप लगाया. राम ने कुकुआ देवी पर विश्वास कर सीता का परित्याग कर दिया. परित्यक्ता सीता ने प्रभु से अपने सतीत्व के प्रमाण में कुकुआ के गूंगी हो जाने तथा पक्षियों के मौन रहने की प्रार्थना की. सीता की प्रार्थना प्रभु ने सुनी. कुकुआ देवी 12 वर्षों तक गूंगी रही. हेमंत शर्मा के अनुसार ‘कश्मीर रामायण’ में सीता वियोग प्रसंग में राम की एक सहोदरी बहन का उल्लेख है. वहां लोकगीतों में सीता की ननद उनसे रावण का चित्र बनवाती है. कुछ ऐसा ही ब्वर्णन नर्मद द्वारा रचित “गुजराती रामायण” में भी है. इस कथा में राम सीता को रावण का चित्र बनाते देखते और अपनी दासी को उसका वर्णन करते सुनते हैं.

परित्याग-अग्निपरीक्षा की अलग -अलग कथाएं

भगवान राम द्वारा मां सीता के परित्याग और उनकी अग्निपरीक्षा की अलग-अलग कथाएं हैं, लेकिन कृतिवास रामायण में वर्णित इस प्रसंग की कथा को सर्वाधिक प्रामाणिक माना जाता है. कृतिवास अथवा कृत्तिवास ओझा मध्यकाल के अत्यंत लोकप्रिय कवि थे. बाल्मीकि रामायण का सर्वप्रथम बांग्ला में उन्होंने पद्यानुवाद किया था. कृतिवास रामायण तुलसी दास के रामचरित मानस से लगभग सौ वर्ष पूर्व लिखी जा चुकी थी. उनकी रामायण में स्त्री -प्रसंगों की व्याख्या पूरी गरिमा के साथ की गई है. इसमें माता सीता को जगत माता का पद दिया गया है और वे रावण के स्पर्श दोष से मुक्त रही हैं. राम चरित मानस की ही भांति कृतिवास रामायण में भी जिस सीता का हरण किया गया, वह ” माया सीता ” थीं.

सीता की परीक्षा का सच

राम के परित्याग के बाद सीता कहां जाती हैं? आगे क्या होता है? “कथासरित्सागर” में राम के द्वारा सीता की परीक्षा का कोई उल्लेख नहीं है. उसके वर्णन के अनुसार बाल्मीकि के आश्रम में दूसरे ऋषि सीता के चरित्र पर संदेह करते हैं. फिर सीता स्वयं परीक्षा के लिए आगे आती हैं. लोकपाल इस परीक्षा के लिए टीटिमा सरोवर का निर्माण कराते हैं. सीताजी के जल में प्रवेश करते ही पृथ्वी देवी प्रकट होती हैं और उन्हें अपनी गोद में लेकर सरोवर के पार पहुंचा देती हैं. ऋषिगण राम को श्राप देना चाहते हैं, लेकिन सीता उन्हें रोकती हैं. दूसरी ओर अधिकांश मध्यकालीन राम कथाओं में मां सीता परीक्षा के लिए अग्नि में प्रवेश करती हैं, जहां वास्तविक सीता प्रकट हो जाती हैं. “आनंद रामायण ” के अनुसार अपने हरण के पूर्व सीता तीन रूपों में विभक्त हो जाती हैं. फिर अग्नि परीक्षा के समय एक हो जाती हैं.