ब्रिटिश नागरिकता की लड़ाई हारी शमीमा बेगम, ISIS की बेगम नहीं लौट पाएंगी ब्रिटेन
शमीमा बेगम 15 साल की उम्र में ही सन 2015 में ब्रिटेन और वहां रहने वाले अपने मां-बाप, भाई-बहनों को पूर्व लंदन वाले घर में छोड़कर, ISIS की बेगम बनने के फेर में सीरिया भाग गई थीं.
दुनिया के सबसे बड़े और बदनाम व क्रूर आतंकवादी संगठन ISIS की बहू-बेगम बनकर बदनाम हुई शमीमा बेगम अब हमवतन यानी ब्रिटेन नहीं लौट सकती हैं. इसको लेकर अहम फैसला ब्रिटिश कोर्ट ने सुना दिया. इस कठोर फैसले ने शमीमा बेगम की उन तमाम उम्मीदों पर पानी फेर दिया जिनमें वे, आईएसआईएस खेमे में तीन-तीन बच्चों की मां बनने के बावजूद, हमवतन वापिसी के ख्वाब संजोए बैठी थीं. अपने ही देश के कानून से यह जबरदस्त झटका उन्हीं शमीमा बेगम को लगा है जो कभी अपने देश और अपनों के मुंह पर थूककर, ISIS की बेगम बनने जा पहुंची थीं. जब वहां से तबाह होकर निकलीं तो लंबे समय से शरणार्थी शिविर में पनाह लिए हुए पड़ी हैं.
देश की कोर्ट के इस अहम फैसले पर ब्रिटेन के आंतरिक मंत्रालय ने भी संतोष जाहिर किया है. आईएसआईएस जैसे बदनाम क्रूर आतंकवादी संगठन की गैर-कानूनी इस 23 साल की पूर्व बेगम शमीमा बेगम की हमवतन वापिसी के खिलाफ फैसला सुनाया है न्यायाधीश रॉबर्ट जे की कोर्ट ने. न्यायाधीश ने अपने फैसले में साफ साफ लिखा है कि शमीमा बेगम ब्रिटेन (हमवतन) वापिसी के काबिल नहीं है. हाल-फिलहाल के हालातों में उन्हें ब्रिटेन में नहीं आने दिया जा सकता है. बताना जरूरी है कि, शमीमा बेगम 15 साल की उम्र में ही सन 2015 में ब्रिटेन और वहां रहने वाले अपने मां-बाप, भाई-बहनों को पूर्व लंदन वाले घर में छोड़कर, ISIS की बेगम बनने के फेर में सीरिया भाग गई थीं.
#UPDATE Shamima Begum, who was stripped of her British citizenship after travelling to Syria to marry an Islamic State group fighter, has lost her legal battle to reverse the decision pic.twitter.com/gviYHm6JD2
— AFP News Agency (@AFP) February 22, 2023
शमीमा बेगम के तीनों बच्चों की हो गई मौत
उनके साथ उनकी दो सहेलियां भी भागी थीं. जिनमें से बाद में एक की संदिग्ध हालातों में मौत हो गई. ISIS की नाजायज बेगम बनने के दौरान वे आतंकवादी खेमे में 3-3 नाजायज औलादों की मां बनी. हालांकि, बदकिस्मती से उनके तीनों बच्चों की ही वहीं मौत भी हो गई. अचानक ही फरवरी सन् 2019 में शमीमा बेगम एक सीरियाई शरणार्थी शिविर में पहुंच गई. यह बात पता चलते ही ब्रिटेन के तत्कालीन गृह सचिव रहे साजिद जाविद ने इन्हीं शमीमा बेगम की ब्रिटिश नागरिकता रद्द कर दी थी. यह कहते हुए कि शमीमा बेगम अब ब्रिटेन के लिए खतरा बन सकती हैं. हालांकि, सन् 2020 में यूके के ही एक ट्रिब्यूनल ने जो फैसला सुनाया, उसमें कहा गया कि शमीमा बेगम स्टेटलेस नहीं थीं, क्योंकि वो मूल रूप से तो बंग्लादेश की नागरिक थीं.
सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही मुकदमा लड़ने की नहीं दी थी इजाजत
ब्रिटेन की सुप्रीम कोर्ट ने बीते साल शमीमा बेगम को घर और नागरिकता वापिसी का, मुकदमा लड़ने की अनुमति देने से ही इनकार कर दिया था. बाद में वे अपने मामले को विशेष आप्रवासन अपील आयोग यानी SIAC में ले गईं. बुधवार यानी 22 फरवरी सन् 2023 को उनकी अपील खारिज कर दी गई. और कहा गया कि, “हमारे संवैधानिक समाधान के तहत यह संवेदनशील मुद्दे राज्य सचिव के मूल्यांकन के लिए हैं. न कि आयोग के लिए बनाए गए हैं.” अपील रद्द करने वाली कोर्ट के जज ने फैसले में आगे लिखा है कि, “शमीमा बेगम की अपील उनकी सोच के मुताबिक जायज हो सकती है, कि वे स्वेच्छा से सीरीया की यात्रा पर ब्रिटेन को छोड़कर निकली थीं. मगर ब्रिटेन के कानूनों का यह सरासर उल्लंघन है. जो नाकाबिले-बर्दाश्त है.”
ब्रिटेन के आंतरिक मंत्रालय ने फैसले पर खुशी जाहिर की
उधर इस एतिहासिक फैसले पर ब्रिटेन के आंतरिक मंत्रालय ने प्रसन्नता जाहिर की है. बताना जरूरी है कि यह वही शमीमा बेगम हैं जो जोश में आकर, ISIS की बेगम बनने की धुन में ब्रिटेन और अपने परिवार को लात तो मार गईं थीं, लेकिन उन्होंने उस वक्त अपने आगे-पीछे का कुछ भी नहीं सोचा था. यहां बताना जरूरी है कि, शमीमा बेगम की वकील सामंथा नाइट्स ने पिछले नवंबर में, एसआईएसी की पांच दिवसीय सुनवाई में कहा था कि, उनकी मुवक्किल (शमीमा बेगम) अपने दोस्तों के साथ एक “दृढ़ निश्चयी और प्रभावी” आईएस समूह द्वारा तब किए जा रहे जबरदस्त प्रचार की जद में सब कुछ भूल बैठी थीं.”