कांग्रेस अलाकमान कन्फ्यूज! विपक्षी एकता-पार्टी संगठन के लिए बना परेशानी का सबब

कांग्रेस अलाकमान कन्फ्यूज! विपक्षी एकता-पार्टी संगठन के लिए बना परेशानी का सबब

कांग्रेस आलाकमान फिलहाल कन्फ्यूजन में है, इसकी वजह है कि विपक्षी एकता में कांग्रेस किस पार्टी के साथ खड़ी होती है और किसके नहीं. राज्यों की कांग्रेस इकाइंया भी इसलिए फिलहाल शांत बैठी हुई है.

बिहार के पटना में 23 जून को होने वाली विपक्षी दलों के मुखियाओं की बैठक से पहले कुछ मुद्दों पर कांग्रेस में कन्फ्यूजन की स्थिति लगातार बनी हुई है. ये कन्फ्यूजन जहां एक तरफ विपक्षी एकता के लिए मुसीबत हैं तो खुद कांग्रेस संगठन के लिए भी. पटना की सरजमीं पर मोदी हटाओ अभियान में विपक्षियों का बड़ा जमघट लगने जा रहा है. लेकिन बैठक में उठने वाले कई अहम सवालों के जवाब सबसे बड़ा विपक्षी दल अब तक नहीं खोज पाया है.

यहां पढ़ें 5 मुख्य पॉइंट्स –

  1. दिल्ली और पंजाब कांग्रेस ने कांग्रेस आलाकमान अध्यादेश के मसले पर केजरीवाल का साथ नहीं देने का दबाव बनाने के साथ ही किसी तरह के चुनावी तालमेल से दूरी बनाने को कहा है. इस पर आलाकमान असमंजस में है.
  2. इसी के चलते केजरीवाल ने एक पखवाड़े पहले से खरगे-राहुल से मिलने का वक़्त मांगा था, जो अब तक पेंडिंग है.
  3. बंगाल में अधीर रंजन चौधरी और टीएमसी लगातार आमने सामने बने हुए हैं. ऐसे में बैठक में ममता के साथ तालमेल पर रुख अब तक तय नहीं है.
  4. सबसे बड़े सूबे यूपी में कांग्रेस को कितनी सीटें मिलेंगी, कितनी पर वो मानेगी, इस पर पार्टी कोई अंतिम फैसला नहीं कर पाई है.
  5. कांग्रेस का एक तबका राहुल गांधी को विपक्ष का चेहरा बनाने की मुहिम में जुटा है, जबकि जेडीयू ने चुनाव बाद नेता चुने जाने की वकालत की है.

जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष लल्लन सिंह ने कहा है कि नीतीश पीएम उम्मीदवार नहीं है, चुनाव के बाद सभी विपक्षी दल पीएम पद के लिए नेता भी चुन लेंगे. वहीं अब जब खरगे और राहुल पटना की बैठक में जाएंगे तो बाकी विपक्षियों के इन सवालों के जवाब उन्हें तलाशने होंगे वरना बाकी दल मिलकर कांग्रेस पर दबाव बढ़ाएंगे. कांग्रेस नेता भक्त चरण दास जो कि बिहार कांग्रेस के प्रभारी भी हैं, ने कहा है कि अभी ये शुरुआती बैठक है, ऐसी और भी बैठकें होंगी और विपक्षी एकता जरूर बनेगी.

इसी के चलते दिल्ली, पंजाब, यूपी और बंगाल में खुद कांग्रेस की राज्य इकाई कन्फ्यूज है, किसका विरोध किस हद तक करना है. आखिर न जाने किससे हाथ मिलाना पड़ जाए. इसी के चलते दिल्ली में केजरीवाल और बीजेपी आमने-सामने की लड़ाई लड़ रहे हैं और शराब-शीशमहल घोटाले को उजागर करने का दावा करने वाली दिल्ली कांग्रेस खामोश बैठी है. यानी विपक्षी एकता के साथ पार्टी कैडर के लिए मुश्किलें अभी मुंह बाए खड़ी हैं और वजह वही- कांग्रेस आलाकमान का कन्फ्यूजन.