कश्मीर से ज्यादा बंगाल में सेंट्रल फोर्स की जरूरत! चुनाव आयोग ने गृह मंत्रालय से की मांग
चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल में सर्वाधिक 920 कंपनी केंद्रीय बल की मांग की है. गृह मंत्रालय को लिखे पत्र में चुनाव आयोग की ओर से यह केंद्रीय बल की मांग की गई है, जबकि जम्मू कश्मीर के लिए चुनाव आयोग ने 635 कंपनी केंद्रीय बल की मांग की है.
राष्ट्रीय चुनाव आयोग ने अभी तक लोकसभा चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा नहीं की है, लेकिन चुनाव के दौरान सुरक्षा और केंद्रीय बलों की तैनाती को लेकर चुनाव आयोग ने गृह मंत्रालय को पत्र भेजा है. चुनाव आयोग की योजना के मुताबिक वे बंगाल के लिए ज्यादा से ज्यादा संख्या में केंद्रीय सेना के जवानों की तैनाती चाहते हैं. चुनाव आयोग ने बंगाल में सीएपीएफ बलों की 920 कंपनियां तैनात करने की योजना है. इनमें 22 कंपनियां स्ट्रांग रूम और ईवीएम की सुरक्षा का कमीशन अपने पास रखना चाहती हैं. बता दें कि इसके पहले बंगाल विधासनभा चुनाव और पंचायत चुनाव में काफी हिंसा हुई थी.
साल 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान राज्य में केंद्रीय बलों की 740 कंपनियां तैनात की गई थी. राष्ट्रीय चुनाव आयोग बंगाल में लगभग 200 अतिरिक्त केंद्रीय बलों को तैनात करने की योजना बना रहा है. इतना ही नहीं, बंगाल देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच सबसे अधिक संख्या में केंद्रीय बलों को तैनात करने की योजना बना रहा है.
चुनाव आयोग सुचारू रूप से चुनाव कराने के लिए जम्मू-कश्मीर से ज्यादा केंद्रीय बल बंगाल के लिए तैयार रखना चाहता है. राष्ट्रीय चुनाव आयोग जम्मू-कश्मीर के लिए 635 कंपनी सीएपीएफ चाहता है. चुनाव आयोग की योजना माओवाद प्रभावित छत्तीसगढ़ के लिए 360 कंपनी बल तैनाती की है.
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किस राज्य के लिए कितने सेंट्रल फोर्स?
चुनाव आयोग की ओर से 252 कंपनियां उत्तर प्रदेश में, 200 कंपनियां गुजरात में और 295 कंपनियां बिहार और आंध्र प्रदेश के लिए 250 कंपनियां मांगी गई हैं. राष्ट्रीय चुनाव आयोग ने 2024 के लोकसभा चुनाव को सुचारू रूप से संपन्न कराने के लिए गृह मंत्रालय से कुल 3,400 सीएपीएफ बलों का अनुरोध किया है.
लोकसभा चुनाव के साथ-साथ आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा और सिक्किम में विधानसभा चुनाव भी होने हैं. अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में क्रमशः 75 और 17 कंपनियां की मांग की गई हैं. आयोग ने झारखंड और पंजाब के लिए सैनिकों की 250 कंपनियां मांगी हैं. ये दोनों गैर-बीजेपी राज्य हैं. सांप्रदायिक हिंसा से तबाह हुए मणिपुर के लिए 200 कंपनियों ने कमीशन मांगा है.
राष्ट्रीय चुनाव आयोग ने आगामी चुनावों के लिए देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में तैनात किए जाने वाले आवश्यक केंद्रीय बलों की संख्या पर संबंधित मुख्य निर्वाचन अधिकारियों की राय मांगी है. आयोग के सूत्रों के मुताबिक, अधिकारियों द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट के आधार पर केंद्रीय गृह मंत्रालय को केंद्रीय बल की सिफारिश की गई है.
पूरे देश के लिए 3400 कंपनी केंद्रीय बल की मांग
चुनाव आयोग ने केंद्र से कहा है कि कम से कम 3,400 कंपनियां देशभर में निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव कराने के लिए केंद्रीय बलों का इस्तेमाल करना चाहती है. इसमें से आयोग ने पश्चिम बंगाल के लिए 920 कंपनी फोर्स मांगी है. चुनाव आयोग ने अभी तक मतदान कार्यक्रम जारी नहीं किया है. परिणामस्वरूप, इस राज्य में मतदान के दौरों की संख्या अभी भी अज्ञात है. आयोग ने कहा कि मतदान के जितने भी दौर हों, केंद्रीय बलों की उन 920 कंपनियों को सभी दौर में तैनात किया जाएगा. वे पूरे मतदान चरण के बाद राज्य छोड़ देंगे.
यह संख्या पिछली लोकसभा में बंगाल में मतदान करने वाले केंद्रीय बलों की संख्या से कहीं अधिक है. पिछली लोकसभा में राज्य में केंद्रीय बलों की 740 कंपनियां तैनात की गई थीं. विपक्ष का आरोप है कि इसके बाद भी जगह-जगह हिंसा की घटनाएं हुईं. पिछले पंचायत चुनाव में कलकत्ता उच्च न्यायालय ने कम से कम 800 कंपनियों को केंद्रीय बलों के साथ राज्य में पंचायत चुनाव कराने का आदेश दिया था.