जेल का जवाब वोट से देंगे…AAP के कैंपेन सॉन्ग को चुनाव आयोग ने दी मंजूरी

जेल का जवाब वोट से देंगे…AAP के कैंपेन सॉन्ग को चुनाव आयोग ने दी मंजूरी

दिल्ली चुनाव आयोग के अधिकारियों ने कहा था कि आप को गाने की सामग्री को संशोधित करने के लिए कहा गया था क्योंकि इसने आयोग के दिशानिर्देशों और विज्ञापन संहिता का उल्लंघन किया है.

दिल्ली मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) कार्यालय ने आम आदमी पार्टी (आप) के लोकसभा चुनाव कैंपेन सॉन्ग में संशोधन के बाद उसे मंजूरी दे दी है. गाने को लिखने और आवाज देने वाले आप विधायक दिलीप पांडे ने गाने को मंजूरी मिलने की पुष्टि की है.

आम आदमी पार्टी ने 28 अप्रैल को दावा किया था कि चुनाव आयोग ने उसके अभियान गीत ‘जेल का जवाब वोट से देंगे’ पर ‘प्रतिबंध’ लगा दिया है.

विज्ञापन संहिता का उल्लंघन

हालांकि, दिल्ली चुनाव आयोग के अधिकारियों ने कहा था कि आप को गाने की सामग्री को संशोधित करने के लिए कहा गया था क्योंकि इसने आयोग के दिशानिर्देशों और विज्ञापन संहिता का उल्लंघन किया है. एक अधिकारी ने कहा कि पार्टी ने संशोधन करने के बाद मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) कार्यालय को अपना प्रस्ताव दोबारा सौंपा, जिसके बाद गाने को मंजूरी दे दी गई. यह गाना पिछले महीने रिलीज हुआ था.

कैंपेन सॉन्ग पर रोक लगाने का आरोप

दरअसल दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय पर आप ने इलेक्शन कैंपेन सॉन्ग पर रोक लगाने का आरोप लगाया था. हालांकि चुनाव आयोग ने दावों को खारिज कर दिया था. निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय ने बताया था कि हर प्रदेश में मुख्य निर्वाचन अधिकारी के नेतृत्व में एक कमेटी काम करती है. जो प्रत्याशियों के प्रचार सामग्री पर नजर रखता है और उसी आधार पर चुनाव प्रचार गीत को मंजूरी देता है.

आचार संहिता की कसौटी

मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय के मुताबिक पार्टी या उम्मीदवार के इलेक्ट्रॉनिक या सोशल मीडिया पर जाने वाले प्रचार सामग्री को देख सुन कर उसे आचार संहिता की कसौटी पर कसने के बाद उसे मंजूरी दी जाती है. इसके बाद कमेटी या तो प्रचार सामग्री को मंजूरी देती है या रद्द कर देती है. वह कोई रोक नहीं लगाती, लेकिन संशोधन के लिए पार्टी को बोल सकती है.