इकलौते बेटे का शव लाने के लिए नहीं मिली एंबुलेंस, बेबस बाप को बेचनी पड़ी पुश्तैनी जमीन

इकलौते बेटे का शव लाने के लिए नहीं मिली एंबुलेंस, बेबस बाप को बेचनी पड़ी पुश्तैनी जमीन

महाराष्ट्र में अपनी एकलौते बेटे योगेंद्र यादव की मौत की सूचना मिलने के बाद घघरी गांव के रहने वाले नारायण यादव ने कंपनी प्रबंधन सहित अन्य लोगों से मदद की गुहार लगाई. इसके बाद सबने मदद करने के बजाय मुंह मोड़ लिया.

झारखंड के गढ़वा जिले में हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. जहां घर के इकलौते 35 साल के कमाऊ बेटे की मौत होने से सदमे में डूबे उसके परिजनों की पास इतने भी पैसे नहीं थे कि वह उसके शव को महाराष्ट्र से झारखंड ला सके. आखिर में थक हारकर गरीब परिवार ने अपनी पुश्तैनी जमीन को 60 हजार रुपए में बेच दी. इसके बाद उन पैसों से प्राइवेट एंबुलेंस के जरिए अपने इकलौते बेटे योगेंद्र यादव के शव को निजी एंबुलेंस के जरिए महाराष्ट्र से अपने घर झारखंड के गढ़वा जिले के संगमा ब्लॉक के तहत धुरकी थाना क्षेत्र के घघरी गांव लाया गया.

दरअसल, एंबुलेंस से जैसे ही घर के एक मात्र कमाऊ बेटे का शव पहुंचा है. वैसे ही मृतक की पत्नी बिंदा देवी और उसकी मां शव से लिपटकर दहाड़ मार कर रोने लगी. बता दें कि मृतक योगेंद्र यादव के छोटे-छोटे दो बेटे हैं .उसके ऊपर ही अपने बुजुर्ग माता-पिता समेत पत्नी और दो बच्चों की जिम्मेवारी थी. परिजनों ने बताया कि लगभग 3 हफ्ते पहले ही योगेंद्र अपने गांव के ही अन्य साथियों के साथ महाराष्ट्र के सोलापुर काम की तलाश में गया था. जहां उसे सरिया- सेंटरिंग का मिला था.

क्या है मामला?

इसी बीच अचानक 4 दिन पहले काम करने के दौरान अचानक उसके पेट में दर्द उठा.तबीयत अत्यधिक बिगड़ने के कारण उसके साथियों ने उसे प्राइवेट अस्पताल में भर्ती करा दिया. वहीं, इलाज के बाद स्वास्थ्य में सुधार को देखते हुए योगेंद्र अपने साथियों के साथ 2 दिन पहले ही ट्रेन के जरिए महाराष्ट्र से झारखंड आप अपने गांव लौट रहा था. इसी बीच अचानक वापस से उसकी तबीयत बिगड़ गई. उसके बाद उसके साथियों ने उसे एक स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया.जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.

60 हजार रुपए में बेची पुश्तैनी जमीन

महाराष्ट्र में अपनी एकलौते बेटे योगेंद्र यादव की मौत की सूचना मिलने के बाद घघरी गांव के रहने वाले नारायण यादव ने कंपनी प्रबंधन सहित अन्य लोगों से मदद की गुहार लगाई. इसके बाद सबने मदद करने के बजाय मुंह मोड़ लिया.

आखिर में थकहार कर गरीब परिवार अपने पुश्तैनी जमीन को 60 हजार रुपए में बेच दिया. उसके बाद उन पैसों से एक प्राइवेट एंबुलेंस को भाड़े पर लेकर अपनी बेटे के शव को महाराष्ट्र से झारखंड के गढ़वा जिला के धुरकी थाना के घघरी गांव लेकर आए.

क्या है प्रवासी मजदूरों की सहायता का प्रावधान?

बता दें कि, राज्य सरकार ने प्रवासी मजदूरों की मौत होने पर सहायता देने की नई योजना बनाई है. इस योजना के तहत निबंधित प्रवासी मजदूरों की मौत पर उनके आश्रितों को 2 लाख अनुदान राशि देने का प्रावधान है. वहीं, जो प्रवासी मजदूर निबंधित नहीं उनके आश्रितों को 1.50 लाख रुपए देने का प्रावधान है.

प्रावधानों के बावजूद एक मजदूर की मौत होने के बाद उसके शव को अपने घर लाने के लिए एक बेबस पिता को अपनी जमीन बेचनी पड़ी. हालांकि, स्थानीय लोगों ने जिला प्रशासन से पीड़ित परिवार को आर्थिक सहयोग के साथ-साथ उनके द्वारा मजबूरी में बेची गई जमीन को वापस दिलाने की मांग की.