Godda Lok Sabha Seat: बीजेपी का गढ़ है गोड्डा लोकसभा सीट, 2009 से लगातार चल रहा विजय रथ

Godda Lok Sabha Seat: बीजेपी का गढ़ है गोड्डा लोकसभा सीट, 2009 से लगातार चल रहा विजय रथ

गोड्डा लोकसभा सीट पर 2009 से भाजपा के निशिकांत दुबे का कब्जा है. वह लगातार तीन बार से सांसद हैं. वहीं पार्टी ने इस बार भी निशिकांत दुबे पर भरोसा जताया है. 2019 में उन्होंने झारखंड विकास मोर्चा के प्रदीप यादव को हराया था. जानिए क्या है गोड्डा सीट का समीकरण और इतिहास...

झारखंड की गोड्डा लोकसभा सीट पर 2009 से लगातार बीजेपी का कब्जा है. इस सीट पर पहली बार 1962 में चुनाव हुए थे. हालांकि उस दौर में झारखंड राज्य अलग नहीं हुआ था. नया राज्य बनने के बाद इस सीट पर पांच लोकसभा चुनाव हुए हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के निशिकांत दुबे ने जीत की हैट्रिक लगाई थी. इस बार भी बीजेपी ने निशिकांत दुबे पर दांव लगाया है.

गोड्डा सीट का राजनीतिक इतिहास

1962 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से कांग्रेस के प्रभुदयाल हिम्मत सिंह सांसद चुने गए थे. वहीं 1967 में भी प्रभु दयाल सांसद चुने गए. वहीं 1971 में कांग्रेस के टिकट पर यहां से जगदीश मंडल सांसद निर्वाचित हुए. 1977 में भारतीय लोकदल के जगदंबी प्रसाद यादव यहां से जीते. इसके बाद 1980 में कांग्रेस के समीनउद्दीन यहां से सांसद चुने गए. 1984 में समीमुद्दीन दूसरी बार सांसद बने. 1989 के लोकसभा चुनाव में पहली बार इस सीट से भाजपा का खाता खुला और जनार्दन यादव सांसद बनकर लोकसभा पहुंचे.

1991 में झारखंड मुक्ति मोर्चा ने गोड्डा सीट पर कब्जा जमाया. 1996 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने यहां से फिर जीत दर्ज की. इस चुनाव में जगदंबी प्रसाद यादव सांसद बने. 1998 के उप चुनाव में जगदंबी प्रसाद यादव दोबारा सांसद बने. इसके बाद 1999 में उन्होंने जीत की हैट्रिक लगाई.

गोड्डा सीट पर 2004 का लोकसभा चुनाव झारखंड राज्य बनने के बाद हुआ. इसमें कांग्रेस के फुरकान अंसारी ने जीत हासिल की. 2009 में भाजपा ने फिर वापसी की और डॉक्टर निशिकांत दुबे जीतकर लोकसभा पहुंचे. 2014 में निशिकांत दुबे दूसरी बार सांसद बने. इसके बाद 2019 में निशिकांत दुबे ने जीत की हैट्रिक लगाई.

मतदाता और सामाजिक तानाबाना

गोड्डा लोकसभा सीट पर पिछड़ी जातियां और मुस्लिम निर्णायक हैं. यहां अनुसूचित जाति की आबादी करीब 11 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति की आबादी करीब 12 प्रतिशत है. पिछड़ी जातियों पर पकड़ के कारण बीजेपी यहां शानदार प्रदर्शन करती है. वहीं इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या करीब 15.90 लाख है, जिसमें 8.25 लाख पुरुष और 7.64 लाख महिला मतदाता शामिल हैं. यहां की ज्यादातर आबादी कृषि पर निर्भर है. इस क्षेत्र में पर धान, गेहूं और मक्का की फसलें उगाई जाती हैं. यहीं ललमटिया कोयला खदान भी है.

2019 चुनाव का परिणाम

  • विजेता – निशिकांत दुबे (भाजपा)
  • वोट मिले – 6,37,610
  • वोट (%) – 53.4
  • उपविजेता – प्रदीप यादव (झारखंड विकास मोर्चा)
  • वोट मिले – 4,53,383
  • वोट (%) – 37.97
  • अंतर 1,84,297

2014 चुनाव का परिणाम

  • विजेता – निशिकांत दुबे (बीजेपी)
  • वोट मिले – 3,80,500
  • वोट (%) – 36.25
  • उपविजेता – फुरकान अंसारी (कांग्रेस)
  • वोट मिले – 3,19,818
  • वोट (%) – 30.47
  • अंतर 60,842

संसद के सदस्य

  • 1962 – प्रभु दयाल हिम्मत सिंह – कांग्रेस
  • 1967: प्रभु दयाल हिम्मत सिंह – कांग्रेस
  • 1971 – जगदीश मंडल, कांग्रेस
  • 1977 – जगदंबी प्रसाद यादव – भारतीय लोक सभा
  • 1980 – मौलाना समीनुद्दीन – कांग्रेस (इंदिरा)
  • 1984 – मौलाना समीनुद्दीन – कांग्रेस
  • 1989 – जनार्दन यादव – भाजपा
  • 1991 – सूरज मंडल – झारखंड मुक्ति मोर्चा
  • 1996 – जगदंबी प्रसाद यादव – भाजपा
  • 1998 – जगदंबी प्रसाद यादव – भाजपा
  • 1999 – जगदंबी प्रसाद यादव – भाजपा
  • 2002 – प्रदीप यादव – भाजपा
  • 2004 – फुरकान अंसारी – कांग्रेस
  • 2009 – निशिकांत दुबे – भाजपा
  • 2014 – निशिकांत दुबे – भाजपा
  • 2019 – निशिकांत दुबे – भाजपा