बिहार में जातिगत सर्वे के खिलाफ याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने जातिगत सर्वे को प्रकाशित करने पर रोक से इंकार कर दिया था. बिहार सरकार की ओर से प्रकाशित डेटा के मुताबिक राज्य की कुल जनसंख्या की 63 प्रतिशत हिस्सा अति पिछड़ा वर्ग और अन्य पिछड़ा वर्ग में आता है.
बिहार में जातिगत सर्वे के मामले में सु्प्रीम कोर्ट आज सुनवाई करेगा. सर्वे के खिलाफ दायर याचिकाओं पर जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच सुनवाई करेगी. जानकारी के मुताबिक सोमवार को बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है.
हलफनामे में सर्वे के आधार पर अपनी विभिन्न योजनाओं की विस्तार से जानकारी दी है. इससे पहले SC ने जातिगत सर्वे को प्रकाशित करने पर रोक से इंकार कर दिया था.बिहार सरकार की ओर से प्रकाशित डेटा के मुताबिक राज्य की कुल जनसंख्या की 63 प्रतिशत हिस्सा अति पिछड़ा वर्ग और अन्य पिछड़ा वर्ग में आता है.
क्या हैं जातिगत आंकड़े
बिहार सरकार की तरफ से जारी जातिगत आंकड़ों के मुताबिक बिहार की कुल जनसंख्या 13.07 करोड़ है. इसमें ईबीसी 37 प्रतिशत, ओबीसी 27.13 प्रतिशत, अनुसूचित जाति 19 प्रतिशत और मुस्लिम समुदाय 17.70 प्रतिशत है. सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है कि ओबीसी समूह में शामिल यादव बिरादरी 14 प्रतिशत से कुछ अधिक जनसंख्या के लिहाज से सबसे बड़ा समुदाय है. बता दें कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने यह साफ कर दिया था कि वह आम जनगणना के हिस्से के रूप अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अलावा अन्य जातियों की गणना नहीं कर पाएगी.
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पटना हाई कोर्ट में चुनौती
बता दें कि जाति सर्वे को पटना हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी. कोर्ट में कहा गया था कि राज्य सरकार को जनगणना कराने का अधिकार नहीं है. लेकिन राज्य सरकार ने कोर्ट में कलेक्शन ऑफ स्टेटिस्टिक्स एक्ट का हवाला दिया और कहा कि राज्य सरकार को जाति सहित हर तरह के सर्वे का अधिकार है. बिहार सरकार ने सर्वे शब्द के इस्तेमाल पर जोर दिया था.