Holi 2023: ब्रज में बहने लगी रंगों की बयार, खुद भगवान भी भक्तों संग फेटा बांध खेल रहे हैं होली
भगवान कृष्ण की नगरी मथुरा-वृंदावन में आज फुलेरा दूज से पारंपरिक होली पर्व की शुरुआत हो गई है. प्रसिद्ध ठाकुर राधा वल्लभ लाल मंदिर में फूलों और अबीर गुलाल से खेली गई होली का धार्मिक महत्व जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख.
बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाने वाला होली पर्व फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, लेकिन ब्रज मंडल में इसके रंग बहुत पहले से ही उड़ते हुए दिखाई देने लगते हैं. ब्रजमंडल में होली का त्योहार 1 या 2 दिन नहीं बल्कि पूरे 40 से 45 दिनों तक मनाया जाता है. यहां पर सिर्फ भक्त ही अपने भगवान संग ही नहीं बल्कि भगवान भी अपने भक्तों संग जमकर होली खेलते हैं. होली का कुछ ऐसा ही आगज आज फुलेरा दूज से हुआ है. आज से पूरे ब्रज मंडल में फूलों की होली के साथ अबीर-गुलाल की होली प्रारंभ हो गई है.
फुलेरा दूज से हुआ रंग से भरी होली का आगाज
फुलेरा दूज के पावन पर्व पर आज विश्व प्रसिद्ध ठाकुर राधाबल्लभ लाल मंदिर में होली का आयोजन हुआ, जिसमें हजारों की संख्या में भक्त देश-विदेश से अपने भगवान संग होली खेलने के लिए पहुंचे. ब्रज का होली का आनंद लेने के लिए लोग अलसुबह ही राधामबल्लभ मंदिर पहुंच गए थे. भक्ति से सरोबोर इस होली में शामिल होने के लिए मुंबई और लंदन से पहुंचे लोगों ने अपने सुखद अनुभव को बताते हुए कहा कि उन्होंने अपने जीवन में ऐसी होली का आनंद नहीं लिया था और यह उनका सौभाग्य है जो उन्हें कान्हा और राधा रानी संग होली खेलने का अवसर मिला.
तब भगवान भी बरसाते हैं भक्तों पर रंग
विश्व प्रसिद्ध ठाकुर राधाबल्लभ लाल मंदिर में होली का आयोजन अपने आप में खास होता है क्योंकि यहां पर न सिर्फ दूर-दराज से आए भक्त अपने आराध्य देवता को फूल और अबीर गुलाल चढ़ाते हैं, बल्कि खुद भगवान भी उनके ऊपर अपना आशीर्वाद रंग के रूप में बरसाते हैं. इस प्रसिद्ध मंदिर में ठाकुर राधा वल्लभ लाल कमर में फेंटा बांधकर और गालों पर गुलाल लगाकर भक्तों के साथ होली खेलने के लिए तैयार होते हैं और जैसे ही सुबह यहां पर भगवान की आरती समाप्त होती है, ठाकुर राधा वल्लभ लाल अपने भक्तों के संग होली खेलने लगते हैं. राधाबल्लभ मंदिर में मंदिर के सेवायत मोहित गोस्वामी के अनुसार अगला होली का उत्सव एकादशी के दिन तब मनाया जाएगा जब ठाकुर राधाबल्लभ मंदिर की सवारी निकलेगी और लोगों पर रंग और अबीर गुलाल बरसाएगी.
राधा वल्लभ मंदिर से जुड़ी मान्यता
वृंदावन के प्रसिद्ध राधा वल्लभ मंदिर के बारे में मान्यता है कि यह सैकड़ों वर्ष पुराना है और इसमें विराजमान राधा वल्लभ लाल की मूर्ति तकरीबन 600 वर्ष पुरानी है. मान्यता है कि इस मूर्ति को श्री हित हरिवंश महाप्रभु वृंदावन में आए थे, जिन्हें वे दहेज में मिले थे. मान्यता है कि तभी से इस मंदिर में राधा वल्लभ लाल की निरंतर पूजा-अर्चना एवं सेवा होती चली आ रही है. यहां पर भगवान की अष्टयाम सेवा होती है, जबकि दिन भर में 7 बार आरती होती है. मंदिर में विराजमान राधा वल्लभ लाल का प्रतिदिन किया जाने वाला श्रृंगार देखते ही बनता है.
(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)