जानिए पंचमुखी हनुमानजी की पूजा का महत्व, पूजा विधि और कथा

जानिए पंचमुखी हनुमानजी की पूजा का महत्व, पूजा विधि और कथा

मंगलवार के दिन हनुमानजी की विशेष पूजा-अर्चना करने की मान्यता है. यह वार हनुमानजी को समर्पित होता है. जो भक्त हर मंगलवार को हनुमान जी की पूजा-पाठ करते हुए हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करता है उसके सभी तरह के संकट दूर हो जाते हैं. इस कारण से हनुमानजी को संकटमोचन कहा जाता है.

हनुमान जी पूजा करने पर सबसे जल्दी लाभ मिलता है क्योंकि राम भक्त हनुमान जल्द प्रसन्न होने वाले देवता हैं. मंगलवार के दिन हनुमानजी की विशेष पूजा-अर्चना करने की मान्यता है. यह वार हनुमानजी को समर्पित होता है. जो भक्त हर मंगलवार को हनुमान जी की पूजा-पाठ करते हुए हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करता है उसके सभी तरह के संकट दूर हो जाते हैं. इस कारण से हनुमानजी को संकटमोचन कहा जाता है. हनुमान जी की प्रतिदिन पूजा-पाठ और उपासना करने से सुख, शांति, आरोग्य और धन लाभ होता है.

जो व्यक्ति हनुमानजी का भक्त होता है उसके आसपास कभी भी नकारात्मक शक्तियां नहीं रहती है. हनुमानजी के कई स्वरूप है जिसमें एक रूप पंचमुखी हनुमान जी का है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एक बार रावण के साथ युद्ध के दौरान भगवान श्री राम संकट में पड़ गए थे तब हनुमानजी पंचमुखी अवतार लेकर उन्हें संकट से उबारा था. आइए जानते हैं हनुमान जी के पंचमुखी अवतार की कथा और पूजा विधि.

पंचमुखी हनुमान जी की कथा

रामायण की कथा के अनुसार, रावण ने भगवान राम के साथ युद्ध में अपने भाईयों को सहयोग लिया था. रावण का एक भाई था जिसका नाम अहिरावण. लंका युद्ध के दौरान अहिरावण ने अपनी मायावी शक्ति का प्रयोग करते हुए भगवान श्री राम और लक्ष्मण को मूर्छित कर पाताल लोक लेकर पहुंच गया था. पाताल लोक पहुंचकर अहिरावण ने भगवान राम और लक्ष्मण को मूर्छित अवस्था में एक कक्ष में रख दिया और उनके पांच दिशाओं में पांच दिए जला रखे थे. अहिरावण को देवी का वरदान था कि जब तक कोई इन पांचों दीपक को एक साथ नहीं बुझाएगा, अहिरावण का वध कोई नहीं कर सकेगा. तब हनुमान जी भगवान राम और लक्ष्मण के प्राणों की रक्षा करने के लिए अहिरावण के पीछे-पीछे पाताल लोक में पहुंच गए थे. जहां पर उन्होंने अहिरावण की शक्ति को पहचानते हुए और उसकी माया को समाप्त करने के लिए हनुमान जी ने पांच दिशाओं में मुख किए पंचमुखी हनुमान का अवतार लिया और पांचों दीपकों को एक साथ बुझाकर अहिरावण का वध किया था. तभी से पंचमुखी हनुमान जी के स्वरूप की पूजा होती है.

पंचमुखी हनुमानजी की पूजा का महत्व

पंचमुखी हनुमानजी की पूजा-आराधना करने का विशेष महत्व होता है. इनके इस स्वरूप के पूजा करने पर कई तरह के लाभ मिलते हैं. पंचमुखी हनुमान जी के पांच मुख पांच अलग-अलग दिशाओं की तरफ है और हर एक का अपना विशेष महत्व है. पंचमुखी हनुमान जी के 5 मुख इस तरह के हैं. 1- वानर मुख 2- गरुड़ मुख 3- वराह मुख 4-नृसिंह मुख 5- अश्व मुख.

वानर मुख- पंचमुखी हनुमान जी के इस स्वरूप में वानर मुख पूर्व दिशा में है. यह दुश्मनों पर विजय प्रदान करता है. गरुड़ मुख- गरुड़ मुख पश्चिम दिशा में है. यह जीवन की रुकावटों और परेशानियों का नाश करता है. वराह मुख- यह मुख उत्तर दिशा में है जो लंबी उम्र, प्रसिद्धि और शक्ति का दायक है. नृसिंह मुख- यह मुख दक्षिण दिशा में है, जो मन से डर और तनाव को दूर करता है. अश्व मुख- हनुमान जी का यह मुख आकाश की दिशा में है जो समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति करता है.

पूजा विधि

पंचमुखी हनुमान जी की पूजा-उपासना थोड़ा अलग तरीके करने का विधान होता है. जब पंचमुखी हनुमान जी मूर्ति या तस्वीर को लगाएं तो यह दक्षिण दिशा में होनी चाहिए. मंगलवार और शनिवार के दिन बजरंगबली की पूजा का विशेष दिन होता है, इस दिन लाल रंग के फूल, सिंदूर और चमेली का तेल अर्पित करें. घर के दक्षिण-पश्चिम कोने में पंचमुखी हनुमान का चित्र लगाने से सभी तरह के वास्तुदोष मिट जाते हैं. घर के मुख्यद्वार पर पंचमुखी हनुमान जी की प्रतिमा लगाना काफी शुभ माना जाता है. इसे लगाने से बुरी आत्माएं प्रवेश नहीं करती हैं.