सरकार से दूर तो संगठन के करीब, केशव प्रसाद मौर्य चल रहे कौन सा सियासी दांव?

सरकार से दूर तो संगठन के करीब, केशव प्रसाद मौर्य चल रहे कौन सा सियासी दांव?

लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद से सीएम योगी और केशव मौर्य के बीच सियासी टकराव की बात कही जा रही है. ऐसे में केशव भले ही सरकार से दूरी बनाए हुए हों, लेकिन संगठन के साथ अपनी नजदीकियां कम नहीं होने दे रहे हैं.

उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के बाद से बीजेपी में सियासी घमासान जारी है. बीजेपी प्रदेश कार्यसमिति की बैठक से शुरू हुई संगठन बनाम सरकार की लड़ाई कम होने के बजाय लगातार बढ़ती जा रही है. डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य भले ही कैबिनेट की बैठकों से लेकर कुंभ तैयारी को लेकर ही समीक्षा मीटिंग से दूरी बनाए हुए हों, लेकिन बीजेपी संगठन के साथ तालमेल बैठाकर चल रहे हैं. केशव मौर्य बीजेपी विधायकों के साथ-साथ सहयोगी दलों के नेताओं के साथ भी मिलजुल रहे हैं और पार्टी दफ्तर में होने वाली बैठक में भी शिरकत कर रहे हैं.

उत्तर प्रदेश बीजेपी में संगठन बनाम सरकार की लड़ाई अब खुलकर सामने है. सोमवार शाम को लखनऊ के बीजेपी कार्यलय में बैठक हुई, जिसमें दोनों डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठक के साथ-साथ पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह ने शिरकत की. सीएम योगी आदित्यनाथ इस बैठक में शामिल नहीं हुए, क्योंकि उनकी पहले से आजमगढ़ और वाराणसी में मीटिंग निर्धारित थी. इसके चलते सीएम योगी बैठक में नहीं आ सके जबकि पार्टी के चार शीर्ष नेता उपस्थित रहे.

सरकार से बड़ा संगठन होता है- केशव प्रसाद मौर्य

केशव प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठक का बीजेपी कार्यलय में होने वाली बैठक में रहना और सीएम योगी का न पहुंचने को लेकर सियासी कयास लगाए जा रहे हैं. ऐसे में केशव प्रसाद मौर्य संगठन के साथ बेहतर तालमेल बैठाकर चल रहे हैं, क्योंकि प्रदेश कार्यसमिति की बैठक से वो कई बार कह चुके हैं कि संगठन, सरकार से बड़ा होता है. लोकसभा चुनाव नतीजे आने के बाद से डिप्टी सीएम केशव प्रसाद भले ही कैबिनेट की बैठकों से दूरी बनाए हुए हों, लेकिन संगठन के साथ नजदीकी बनाकर चल रहे हैं. सोमवार को संगठन महामंत्री धर्मपाल और प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी के साथ बैठक कर सियासी संदेश देने की कवायद करते हुए नजर आए हैं.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सोमवार को आजमगढ़ और वाराणसी की बैठक के चलते प्रदेश दफ्तर की मीटिंग में शामिल नहीं हो सके. सीएम योगी द्वारा आजमगढ़ में बुलाई गई बैठक में सुभासपा अध्यक्ष और पंचायती राज मंत्री ओम प्रकाश को शामिल होना था. राजभर सीएम योगी की बैठक में शामिल होने के बजाय लखनऊ में केशव प्रसाद मौर्य के साथ मुलाकात कर रहे हैं. हालांकि, उन्होंने केशव से किस मुद्दे पर बात हुई, यह किसी से शेयर नहीं किया. राजभर की केशव से मुलाकात को बीजेपी के भीतर चल रही खिंचतान के तहत हो रही लामबंदी से जोड़कर देखा जा रहा है.

लोकसभा चुनाव में हार के बाद यूपी बीजेपी में खटपट

उत्तर प्रदेश में आए लोकसभा चुनाव के नतीजों ने बीजेपी को गहरा झटका देने का काम किया है. बीजेपी यूपी में 62 सीटों से घटकर 33 पर पहुंच गई है. यूपी में हार के चलते ही बीजेपी बहुमत का आंकड़ा नहीं छू पाई. इसके बाद से लगातार बैठकों का दौर जारी है. हार पर मंथन ने बीजेपी में टेंशन पैदा कर दी है. 2014 जुलाई को सीएम योगी ने बीजेपी की हार के पीछे अति आत्म विश्वास बताया तो केशव प्रसाद मौर्य ने सरकार से बड़ा संगठन बताया. इसके बाद से बीजेपी में खींचतान जारी है.

केशव प्रसाद मौर्य ने 14 जुलाई को लखनऊ में हुई बीजेपी कार्य समिति की बैठक में अपने तेवर दिखाए थे. इसके बाद उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि संगठन सरकार से बड़ा था, बड़ा है और हमेशा रहेगा. मैं उपमुख्यमंत्री बाद में हूं, पहले कार्यकर्ता हूं. मेरे घर के दरवाजे सबके लिए खुले हैं. इसके बाद दूसरे दिन केशव ने अपनी ही योगी सरकार को पत्र लिखकर पूछा कि संविदा और आउटसोर्सिंग से होने वाली भर्तियों में आरक्षण के नियमों का पालन कितना किया गया है. केशव ने जिस नियुक्ति और कार्मिक विभाग (डीओएपी) से सूचना मांगी है, उसका सीएम योगी के पास है.

हार के बाद सीएम योगी और केशव में बढ़ गई हैं दूरियां

केशव प्रसाद मौर्य के कदम को योगी को संदेश देने से भी जोड़ कर देखा गया. राजनीतिक गलियारों में चर्चा शुरू हो गई कि लोकसभा चुनाव में सीट कम आने के बाद सीएम योगी और केशव में दूरियां बढ़ गई हैं. इसीलिए वह सरकार की किसी भी बैठक में शामिल नहीं हो रहे और बार-बार सरकार से बड़ा संगठन को बताकर सियासी एजेंडा सेट करने में जुटे हैं. यूपी में मिली हार के बाद प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने भी अपनी रिपोर्ट में योगी सरकार के प्रति कार्यकर्ताओं की नाराजगी को रेखांकित किया है.

2017 में यूपी विधानसभा चुनाव के समय केशव मौर्य भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष थे. पार्टी को बंपर चुनावी कामयाबी मिली, लेकिन सीएम की कुर्सी योगी आदित्यनाथ को मिली थी. केशव को डिप्टी सीएम बनकर संतोष करना पड़ा. इसके बाद से केशव मौर्य और सीएम योगी के बीच सियासी टकराव की खबरें आती रहीं. 2022 के चुनाव से पहले संघ ने केशव और योगी के बीच सियासी संतुलन बनाने के लिए हस्ताक्षेप किया था. सीएम योगी ने केशव मौर्य के घर पहुंचकर भोजन किया था.

2022 के विधानसभा चुनाव में केशव को अपनी सीट सिराथू से हार का मूंह देखना पड़ा है, लेकिन ओबीसी वोटों को साधे रखने के लिए उन्हें डिप्टीसीएम बनाया गया था. अब लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद से सीएम योगी और केशव मौर्य के बीच सियासी टकराव की बात कही जा रही है. ऐसे में केशव भले ही सरकार से दूरी बनाए हुए हों, लेकिन संगठन के साथ अपनी नजदीकियां कम नहीं होने दे रहे हैं. इसीलिए कार्यकर्ताओ से लेकर नेताओं और विधायकों से मिल रहे हैं तो दूसरी तरफ संगठन की बैठक में भी शिरकत कर रहे हैं.