लालू-अखिलेश की जमीन खिसकाने का प्लान, बीजेपी उतारने जा रही अपना नया ‘ब्रह्मास्त्र’

लालू-अखिलेश की जमीन खिसकाने का प्लान, बीजेपी उतारने जा रही अपना नया ‘ब्रह्मास्त्र’

बिहार और उत्तर प्रदेश की सियासत अभी भी जाति के इर्द-गिर्द सिमटी हुई है. दोनों ही राज्यों में ओबीसी पॉलिटिक्स हावी है, जिसमें सबसे बड़ी आबादी यादव समुदाय की है. यादव वोटर बिहार में आरजेडी और यूपी में सपा का कोर वोटबैंक है. बीजेपी दोनों ही राज्यों में यादव वोटों को साधने पर फोकस कर रही है.

लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी अपने सियासी समीकरण दुरुस्त करने में जुट गई है. बीजेपी ने बिहार में लालू प्रसाद यादव और यूपी में अखिलेश यादव के कोर वोटबैंक में सेंधमारी के लिए खास प्लान बनाया है, जिसके लिए ब्राह्मस्त्र के रूप में मध्य प्रदेश के सीएम डॉ. मोहन यादव को आजमाने जा रही है. मोहन यादव 18 जनवरी को दो दिवसीय दौरे पर बिहार जा रहे हैं, जहां वो अलग-अलग कार्यक्रम में शिरकत करेंगे. मोहन यादव पटना में बीजेपी दफ्तर भी जाएंगे तो श्री कृष्ण चेतना विचार मंच के कार्यक्रम में सम्मानित भी किए जाएंगे. बीजेपी मोहन यादव को सीएम बनाकर यादव पॉलिटिक्स को साधने के लिए बड़ा सियासी दांव चला है, जिसे अब 2024 की चुनावी तपिश से साथ कैश कराने की कवायद तेज कर दी है.

मध्य प्रदेश की सत्ता की कमान संभालने के बाद मोहन यादव 18 और 19 जनवरी को बिहार दौरे पर जा रहे हैं, जहां पटना में एक कार्यक्रम को संबोधित करेंगे. बीजेपी के प्रदेश कार्यालय भी जाएंगे. पटना स्थित इस्कॉन मंदिर में पूजा भी करेंगे. बीजेपी मोहन यादव को यादव समुदाय के बीच एक बड़े नेता के रूप में पेश करने की रणनीति मानी जा रही है. इस कारण कृष्ण चेतना मंच की ओर से पूरे कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. मंच के अध्यक्ष अनिल कुमार ने बताया कि यह एक गैर राजनीतिक मंच है और इसमें सभी राजनीतिक दलों के यादव समाज से जुड़े लोग शामिल होंगे. मंच पर मोहन यादव के अलावा यादव समाज के गैर राजनीतिक लोग होंगे.

बिहार और यूपी में OBC पॉलिटिक्स हावी

बिहार और उत्तर प्रदेश की सियासत अभी भी जाति के इर्द-गिर्द सिमटी हुई है. दोनों ही राज्यों में ओबीसी पॉलिटिक्स हावी है, जिसमें सबसे बड़ी आबादी यादव समुदाय की है. यादव वोटर बिहार में आरजेडी और यूपी में सपा का कोर वोटबैंक है. बीजेपी दोनों ही राज्यों में यादव वोटों को साधने पर फोकस कर रही है, लेकिन उसे अभी तक बहुत ज्यादा कामयाबी नहीं मिल सकी है. वहीं, बीजेपी मध्य प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान में यादव वोटों पर अपनी पकड़ बना चुकी है और अब उसकी कोशिश बिहार व यूपी है. इन दोनों ही राज्यों में यादव वोट को बीजेपी अपने खेमे में जोड़ लेती है तो उसके लिए बड़ी जीत होगी. यही वजह है कि बीजेपी ने मोहन यादव का ट्रंप कार्ड चला है.

निर्णायक भूमिका में होंगे यादव

बिहार में 14 फीसद यादव तो यूपी में 10 फीसदी के करीब यादव वोटर हैं. इससे साफ तौर पर समझा है कि यादव वोटर सियासी तौर पर बहुत ही निर्णायक भूमिका में है. बिहार में सबसे बड़ी आबादी यादवों की है तो यूपी में जाटव समुदाय के बाद यादव हैं. दोनों ही राज्यों में यादव वोटर विपक्षी दल के वोट बैंक हैं, यूपी में सपा का तो बिहार में आरजेडी का है. ऐसे में मोहन यादव मुख्य मंत्री बनने के बाद अब बिहार का दौरे पर पहुंच रहे हैं तो जल्द ही यूपी में भी उनके दौरे की योजना बनाई जा रही है. बीजेपी फ्रंटफुट पर खुलकर खेलने के बजाय बैकडोर से यादव वोटों को साधने की रणनीति बनाई है, जिसका चेहरा मुख्यमंत्री मोहन यादव होंगे. अगर मोहन यादव को थोड़ी सी भी कामयाबी मिलती है तो बीजेपी यूपी और बिहार बड़ा सियासी दांव खेलने में कामयाब हो जाएगी.

विधानसभा चुनाव में यादवों का रहा अहम रोल

हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में एमपी, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में जिस तरह से बीजेपी को जीत मिली है, उसमें यादव वोटों का अहम रोल था. राजस्थान और मध्य प्रदेश में यादव समुदाय ने एकमुश्त होकर बीजेपी को वोट किए हैं, जिसके चलते ही पार्टी ने मोहन यादव को एमपी की सत्ता की कमान सौंपी है. बिहार में यादव समुदाय को साधने के लिए बड़े समय से बीजेपी प्रयास कर रही है, जिसके यादव समुदाय से आने वाले केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय को आगे बढ़ा रही है. केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव पहले से ही बीजेपी में काफी पावरफुल है तो राजस्थान में यादव समुदाय से आने वाले महंत बालकनाथ का भी सियासी कद बढ़ाया जा रहा है.

हर राज्य में यादव नेताओं को फ्रंट पर ला रही बीजेपी

हरियाणा में बीजेपी के यादव समुदाय का चेहरा राव इंद्रजीत माने जाते हैं और उनका प्रभाव राजस्थान तक है. यूपी में बीजेपी के टिकट पर दो यादव समुदाय के विधायक बने हैं, जिसमें से एक को योगी सरकार में मंत्री बनाया गया है. इसके अलावा दो एमएलसी, दो राज्यसभा सदस्य और एक लोकसभा सदस्य यादव समुदाय से हैं. बीजेपी के टिकट पर चार यादव जिला पंचायत अध्यक्ष भी बने हैं. सूबे में यादव समुदाय के कद्दावर नेता हरिओम यादव का परिवार बीजेपी के साथ खड़ा है. यादव बहुल जिलों में पूरी तरह से बीजेपी का कब्जा है. यादव महासभा के अध्यक्ष रह चुके चौधरी हरिमोहन सिंह यादव की 10वीं पुण्यतिथि पर पीएम नरेंद्र मोदी शामिल हुए, जिसे बीजेपी की रणनीति का हिस्सा माना गया था. बीजेपी ने अपनी संसदीय बोर्ड में दो यादव नेताओं को जगह दे रखी है. ऐसे में देखना है कि मोहन यादव बीजेपी के लिए कितने सियासी मुफीद साबित होते हैं.