महाकुंभ: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने संगम में डुबकी लगाई, अच्छी व्यवस्था के लिए सीएम योगी को सराहा
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शनिवार को संगम में परिवार सहित पवित्र डुबकी लगाई. उन्होंने कहा कि महाकुंभ केवल एक पर्व नहीं, बल्कि आस्था का महासागर है, जो भारत की सनातन संस्कृति और आध्यात्मिक चेतना का जीवंत प्रतीक है. कुंभ हमारी सभ्यता के लोकाचार, उदात्तता, आध्यात्मिकता और सनातन की सहजता से प्रेरित अद्वितीय आयाम का मानव समागम है.
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शनिवार को संगम में डुबकी लगाई और महाकुंभ में ‘उत्कृष्ट’ व्यवस्था के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रशंसा की. पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि दुनिया यह जानकर हैरान रह जाएगी कि महाकुंभ में आने वाले लोगों की संख्या संयुक्त राज्य अमेरिका की जनसंख्या के लगभग बराबर है.
उन्होंने कहा, “यह ऐतिहासिक है…आज तक पृथ्वी पर कहीं भी इतने लोग एक साथ नहीं आए हैं. प्रशासन द्वारा की गई व्यवस्थाएं और काम बेहतरीन हैं.” उन्होंने कहा, “एक दुखद दुर्घटना हुई थी, लेकिन देखिए कि सब कुछ कितनी कुशलता से संभाला गया.”
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धनखड़ ने कहा कि ऐतिहासिक आयोजन के लिए आदित्यनाथ की प्रशंसा की जानी चाहिए और उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि महाकुंभ के लिए एक लाख से अधिक शौचालय बनाए गए हैं और आगंतुकों को उच्च गुणवत्ता वाला भोजन मिल रहा है.
धनखड़ ने कहा, “जब मैंने डुबकी लगाई, तो यह मेरे जीवन का सबसे खुशी का क्षण था. मुझे एहसास हुआ कि दुनिया में भारत जैसा कोई देश नहीं है. योगी जी ने दिखाया है कि अगर आपके पास समर्पण, क्षमता, संस्कृति का ज्ञान और राष्ट्र के प्रति सेवा की भावना है, तो चमत्कारिक काम किया जा सकता है.”
उपराष्ट्रपति ने संगम में लगाई डुबकी, की पूजा-अर्चना
उत्तर प्रदेश सरकार ने एक बयान में कहा कि उन्होंने महाकुंभ में पूजा-अर्चना भी की और इस आयोजन को एक आशीर्वाद बताया. धनखड़ अपनी पत्नी और परिवार के सदस्यों के साथ हेलीकॉप्टर से प्रयागराज पहुंचे और आदित्यनाथ ने उनका स्वागत किया.
इसके बाद वे अरैल घाट की ओर बढ़े, जहां से वे त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाने के लिए एक क्रूज बोट में सवार हुए. उन्होंने सवारी के दौरान कुछ पक्षियों को दाना भी डाला.
स्वस्ति वाचन की गूंज के बीच धनखड़ ने अपने सिर पर शिवलिंग रखकर डुबकी लगाई. वृंदावन के मुख्य पुजारी पुंडरीक गोस्वामी ने पूजा-अर्चना की, जबकि अन्य पुजारियों ने मंत्रोच्चार किया. पवित्र स्नान के बाद धनखड़ ने अपने परिवार के साथ सरस्वती कूप, अक्षय वट और बड़े हनुमान मंदिर में पूजा-अर्चना की.
एक पर्व नहीं, बल्कि आस्था का महासागर है: धनखड़
प्रेम स्वरूपा माँ गंगा, भक्ति स्वरूपा माँ यमुना और ज्ञान स्वरूपा माँ सरस्वती के पावन त्रिवेणी संगम पर आयोजित ‘इतिहास के सबसे महान मानव समागम-महाकुम्भ 2025’ में स्नान कर आत्मिक आनंद की अनुभूति हो रही है।
अनंत श्री विभूषित श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य डा श्री पुंडरीक pic.twitter.com/TE6RXKb5py
— Vice-President of India (@VPIndia) February 1, 2025
धनखड़ ने सोशल साइट एक्स पर ट्वीट किया कि प्रेम स्वरूपा मां गंगा, भक्ति स्वरूपा मां यमुना और ज्ञान स्वरूपा मां सरस्वती के पावन त्रिवेणी संगम पर आयोजित ‘इतिहास के सबसे महान मानव समागम-महाकुम्भ 2025’ में स्नान कर आत्मिक आनंद की अनुभूति हो रही है.
अनंत श्री विभूषित श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य डॉ पुंडरीक गोस्वामी के पावन मंत्रोच्चारों से संपन्न यह संगम स्नान सनातन संस्कृति, सामाजिक समरसता और आस्था की दिव्य अनुभूति से परिपूर्ण रहा.
उन्होंने कहा कि महाकुंभ केवल एक पर्व नहीं, बल्कि आस्था का महासागर है, जो भारत की सनातन संस्कृति और आध्यात्मिक चेतना का जीवंत प्रतीक है. कुंभ हमारी सभ्यता के लोकाचार, उदात्तता, आध्यात्मिकता और सनातन की सहजता से प्रेरित अद्वितीय आयाम का मानव समागम है.