महाराष्ट्र में पक रही सियासी खिचड़ी! महायुति हो या महाविकास अघाड़ी दोनों जगह नाराजगी, जानें किस खेमे में क्या विवाद
![महाराष्ट्र में पक रही सियासी खिचड़ी! महायुति हो या महाविकास अघाड़ी दोनों जगह नाराजगी, जानें किस खेमे में क्या विवाद](https://images.tv9hindi.com/wp-content/uploads/2025/02/maharashtra-politics-devendra-fadnavis-ajit-pawar-eknath-shinde-uddhav-thackeray-sharad-pawar.jpg)
महाराष्ट्र में महायुति सरकार बनने के बाद से ही अंदरूनी कलह जारी है. सत्ता में बैठे नेताओं की नाराजगी खुलकर सामने आ रही है. इतना ही नहीं महायुति (बीजेपी, एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी) के साथ ही विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी (कांग्रेस, उद्धव ठाकरे की शिवसेना और शरद पवार की एनसीपी) में भी नाराजगी देखने को मिल रही है.
महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मची है. महाराष्ट्र का सत्तासीन महायुति गठबंधन हो या विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी, दोनों ही गठबंधन के नेताओं में आपस में बयानबाजी और नाराजगी खुलकर नजर आने लगी है. एकनाथ शिंदे की सीएम देवेंद्र फडणवीस से नाराजगी की चर्चा है तो वहीं एक पुरस्कार समारोह के बाद अब उद्धव ठाकरे की पार्टी के नेता शरद पवार से नाराज हो गए हैं.
महाराष्ट्र में महायुति सरकार बनने के बाद से ही अंदरूनी कलह जारी है. अब ‘पालक मंत्री’ पद को लेकर भी नाराजगी खुलकर सामने आई है. इसी बीच जहां मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री अजित पवार की नजदीकियां बढ़ रही हैं, वहीं एकनाथ शिंदे को हाशिए पर धकेला जा रहा है. हालांकि एकनाथ शिंदे और उनकी पार्टी के नेता हों या बीजेपी के नेता दोनों का यही कहना है कि महायुति गठबंधन में सब ठीक है.
शिंदे की नाराजगी कोई नई बात नहीं
हालांकि, शिंदे नाराज हैं और ये बात खुलकर राजनीतिक गलियारों में नजर भी आ रही है. शिंदे की नाराजगी कोई नई बात नहीं है. इससे पहले भी भाजपा द्वारा उनकी उपेक्षा की चर्चाएं जोरों पर थीं. आखिर एकनाथ शिंदे महायुति से नाराज क्यों हैं? आइए जानते हैं इसके पीछे के प्रमुख कारण क्या हैं.
- मुख्यमंत्री पद और फिर गृह मंत्री पद न मिलने से असंतोष
- रायगढ़ और नासिक के पालक मंत्री पद को लेकर विवाद
- शिंदे गुट के मंत्रियों के पीए और ओएसडी की नियुक्तियों में देरी
- एसटी महामंडल के अध्यक्ष पद पर प्रशासकीय नियुक्ति, राजनीतिक नियुक्ति नहीं
- शिंदे के कार्यकाल की फ्लैगशिप योजनाओं को मुख्यमंत्री द्वारा रोकना
- आपदा प्रबंधन समिति से पहले बाहर किया गया, फिर शामिल किया गया.
- शिंदे ने खुद माना पालक मंत्री पद पर विवाद
कहां-कहां देखी गई शिंदे की गैरहाजिरी?
यही वजह है कि एकनाथ शिंदे की महायुति गठबंधन हो या कैबिनेट बैठक, ज्यादातर बैठकों से वो दूरी ही बनाते नजर आ रहे हैं. जबकि देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार लगातार एक साथ विभिन्न कार्यक्रमों में नजर आ रहे हैं. शिंदे अक्सर इन बैठकों और आयोजनों से गायब रहते हैं. उनकी अनुपस्थिति से सियासी गलियारों में चर्चाओं को और बल मिला है. शिंदे की गैरहाजिरी कहां-कहां देखी गई?
- शिंदे 2 कैबिनेट बैठक में गैरमौजूद रहे
- एक मंत्रिमंडल बैठक में सिर्फ ऑनलाइन उपस्थिति
- ठाणे-मुंबई डीपीडीसी बैठक में अनुपस्थित
- आपदा प्रबंधन समिति की बैठक में गैरहाजिरी
मुख्यमंत्री और अजित पवार की नजदीकी
एकनाथ शिंदे नाराज हैं ये बात साफ है लेकिन वो राजनीतिक तौर पर कुछ कर नहीं पा रहे, इसके पीछे भी कारण है. फिलहाल महाराष्ट्र में बीजेपी और अजित पवार की ताकतवर स्थिति में हैं. बीजेपी के पास 132 और अजित पवार के पास 42 विधायक हैं. जबकि बहुमत के लिए 144 विधायकों की जरूरत होती है. ऐसे में एकनाथ शिंदे की नाराजगी जताने के बजाय मुख्यमंत्री फडणवीस के लिए अजित पवार के साथ रहना ज्यादा सुरक्षित राजनीतिक दांव माना जा रहा है. वरना उनकी खुद की पार्टी भी बुरी तरह टूट सकती है.
ये बात शिंदे भी जानते हैं. यही कारण है कि एकनाथ शिंदे पिछले 2 महीने से ऑपरेशन टाइगर के तहत अपनी खुद की पार्टी को जिला, तहसील और शहर स्तर पर मजबूत करने में जुटे हुए हैं. पिछले 2 महीने में उद्धव ठाकरे की पार्टी और बाकी अन्य दलों से शिंदे की पार्टी में 100 से ज्यादा नेता, पदाधिकारी शामिल हो चुके हैं. आज ठाणे में यूबीटी के कोंकण के बड़े नेता राजन सालवी ने अपने सैकड़ों कार्यक्रताओं के साथ शिंदे का साथ पकड़ा.
क्या होगा फडणवीस का अगला कदम?
अब सवाल ये उठ रहे है कि फडणवीस का अगला कदम क्या होगा? बड़ा सवाल ये है कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस एकनाथ शिंदे के बढ़ते दबाव के आगे झुकेंगे या अजित पवार के साथ मिलकर शिंदे को किनारे करेंगे? या फिर शिंदे को साथ रखकर महायुति को और मजबूत बनाने की कोशिश करेंगे? आने वाले कुछ महीनों में महाराष्ट्र की राजनीति में बड़े उलटफेर देखने को मिल सकते हैं.
वहीं, नई दिल्ली में पुणे की एक सामाजिक संस्था के सम्मान समारोह में शरद पवार ने एकनाथ शिंदे को अपने हाथों से सम्मानित कर दिया. पवार ने ये भी कहा कि शिंदे ने महाराष्ट्र की राजनीति को एक नई दिशा दी है. इसके बाद उद्धव ठाकरे की पार्टी के नेता नाराज हो गए. उन्होंने शरद पवार को ही नसीहत दे डाली कि एकनाथ शिंदे ने महाराष्ट्र के साथ गद्दारी की है. ऐसे में शरद पवार को उनका सम्मान नहीं करना चाहिए.
महाविकास अघाड़ी में भी दरार!
इसके बाद एनसीपी से भी यूबीटी नेताओं के खिलाफ बयान आने शुरू हो गए हैं. यानी महायुति की तरह अब महाविकास अघाड़ी में भी दरार नजर आनी शुरू हो गई है. शरद पवार के एकनाथ शिंदे के सम्मान पर यूबीटी के नेताओं के दिल पर छूरियां चल रही हैं. संजय राउत ने नाराजगी जताई. उन्होंने दिल्ली के साहित्य सम्मेलन कार्यक्रम को राजनीतिक दलाली करार दिया.
उन्होंने कहा कि जिन एकनाथ शिंदे ने महाराष्ट्र सरकार गिराई, बेईमानी की, उनके कार्यक्रम में शरद पवार क्यों जाते हैं, उन्हें क्यों सम्मानित करते हैं. संजय राउत ने कहा कि बाला साहेब ठाकरे की शिवसेना तोड़ी, महाराष्ट्र को कमजोर किया, ऐसे शिंदे को आप समम्मित करते हो, इससे महाराष्ट्र का दिल दुखा है.
सिंधिया का संजय राउत पर हमला
इस बयान पर शिंदे की पार्टी और एनसीपी शरद पवार के नेताओं के बयान आ रहे हैं. वो शरद पवार के शिंदे के सम्मान पर राउत के बयान को लेकर राउत पर जमकर हमला कर रहे हैं. इस मामले में भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी राउत पर निशाना साधते हुए एक्स पर पोस्ट किया.
उन्होंने लिखा, मराठा समाज सब देख रहा है. बाला साहेब ठाकरे के आदर्शों को ठुकराकर, न सिर्फ हिंदुत्व बल्कि मराठा स्वाभिमान का अपमान करने वाले लोग, मराठा सम्मान को क्या समझेंगे? जो खुद अपने समाज में जनाधार और सम्मान गंवा चुके हैं, वो दूसरों के सम्मान से कष्ट में हैं.
सिंधिया को संजय राउत का जवाब
सिंधिया के आरोप का संजय राउत ने भी जवाब दिया. उन्होंने एक पोस्ट में कहा, सर, इतिहास समझिए. वीर महादजी शिंदे एक महान स्वाभिमानी मराठा योद्धा थे. उनके नाम पर पलापुट (छोटे लोगों को) पुरस्कार देना महादजी शिंदे का अपमान है. एकनाथ शिंदे को जयाजीराव शिंदे के नाम पर पुरस्कार देने पर कोई आपत्ति नहीं है. महादजी ने दिल्ली के सामने कभी दंडवत नहीं किया था.
इसी बीच दिल्ली में जो सम्मान समारोह था, उसमें यूबीटी सांसद संजय दीना पाटिल भी बैठे दिखाई दिए. इसके बाद चर्चा शुरू हो गई कि क्या यूबीटी सांसद शिंदे की पार्टी जॉइन करेंगे. आज ही ठाणे में उद्धव ठाकरे के कोंकण के बड़े नेता राजन सालवी एकनाथ शिंदे के शिवसेना में शामिल हो रहे हैं.
संजय पाटिल ‘शिंदे सेना’ जॉइन करेंगे?
ऐसे में एकनाथ शिंदे के सम्मान समारोह में यूबीटी सांसद संजय दीना पाटिल की मौजूदगी कई सवाल खड़े कर रही है. क्या यूबीटी के सांसद संजय दीना पाटिल भी शिंदे सेना जॉइन करने वाले हैं? हालांकि इस पर संजय ने सफाई दी है कि ये कार्यक्रम महाराष्ट्र का था, इसलिए वो इसमें शामिल हुए थे और कोई कारण नहीं है.
दूसरी तरफ ऑपरेशन टाइगर का खौफ भी महाराष्ट्र में चल रहा है. कल आदित्य ठाकरे दिल्ली गए और अपने 9 सांसदों से मिले. उन्होंने सांसदों के साथ बैठक की. ये बैठक संजय राउत के दिल्ली के घर पर हुई. शिंदे की शिवसेना के ऑपरेशन टाइगर से महाराष्ट्र में राजनीतिक माहौल बदल रहा है. अब तक उद्धव ठाकरे की शिवसेना के कई नेता पदाधिकारी शिंदे सेना में जुड़ चुके हैं.
अब आदित्य ठाकरे ने संभाला मोर्चा
इसीलिए अपनी पार्टी के और नेता और खासकर सांसद टूटकर शिंदे सेना में न जाएं, इसे लेकर अब आदित्य ठाकरे खुद मैदान में उतरे हैं. आदित्य मुंबई से दिल्ली तक अपनी पार्टी के सांसदों, विधायकों और नेताओं की बैठक कर रहे हैं, उन्हें समय दे रहे हैं. आदित्य बुधवार देर रात मुंबई से दिल्ली पहुंचकर रात को ही 2 अहम बैठकें कर चुके हैं.
आदित्य गुरुवार को केजरीवाल से भी मिले. उनकी राहुल गांधी से मुलाकात की बात भी सामने आ रही है. इसे इंडिया गठबंधन को मजबूत रखने की कवायद ही समझा जा सकता है. दूसरी तरफ देवेंद्र फडणवीस उद्धव ठाकरे के नेताओं से मिल रहे हैं. राहुल नार्वेकर, सुभाष देसाई से फडणवीस अपने सरकारी आवास पर 2 दिन पहले मिले. फडणवीस के करीबी मंत्री चंद्रकांत पाटिल उद्धव ठाकरे से एक शादी में मिले. फडणवीस राज ठाकरे से उनके दादर वाले घर जाकर मिले.