वाराणसी में रोज 750 टन राशन खा रहे लोग, एक महीने में गल्ला व्यापारी हो गए ‘करोड़पति’

वाराणसी में रोज 750 टन राशन खा रहे लोग, एक महीने में गल्ला व्यापारी हो गए ‘करोड़पति’

ओम कृष्ण अग्रवाल विशेश्वर गंज व्यापार मंडल के महामंत्री हैं. इनका कहना है कि शेयर मार्केट में गिरावट और सोने की बढ़ती कीमतों की वजह से मनी फ्लो बिल्कुल रुक गया था, लेकिन श्रद्धालुओं की वजह से वो मनी फ्लो हमारे व्यापार को संभाल दिया.

बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी पौष पूर्णिमा से माघी पूर्णिमा के बीच करीब डेढ़ करोड़ श्रद्धालुओं के पहुंचने की वजह से जाम हो गई है. रेस्टोरेंट, होम स्टे, होटल और ढाबों पर लाइन लगी हुई है. इसका असर ये हुआ कि वाराणसी में महीने भर में प्रतिदिन करीब 750 ट्रक राशन की खपत हो रही है. वाराणसी के सबसे बड़े गल्ला/अनाज मंडी के व्यापारियों ने बताया कि आटा, चावल, चीनी, रिफाइंड, सरसों तेल, मसाला, बेसन, सूजी समेत ड्राई फ्रूट्स और मसालों की खपत कई गुना बढ़ी है.

व्यापार मंडल से जुड़े अलखनाथ ने बताया कि अभी भी बाजार में मांग छह गुना से अधिक बनी हुई है. मंडी में पहले औसतन 250 ट्रक माल पहुंचता था, जो कि महाकुंभ के पलट प्रवाह के असर की वजह से अब 750 ट्रक प्रतिदिन के हिसाब से बढ़कर डिमांड आ रही है. ये स्थिति तब है, जब रूट डायवर्जन की वजह से ट्रकों से माल मंडी में पहुंच नहीं पा रहा है और दिक्कत हो रही है. हालांकि रात 12 से तड़के चार बजे तक ट्रकों को मंडी में आने की अनुमति है, लेकिन इससे डिमांड पूरी होने में मुश्किल आ रही है.

श्रद्धालुओं ने राशन कारोबारियों को संभाला

ओम कृष्ण अग्रवाल विशेश्वर गंज व्यापार मंडल के महामंत्री हैं. इनका कहना है कि शेयर मार्केट में गिरावट और सोने की बढ़ती कीमतों की वजह से मनी फ्लो बिल्कुल रुक गया था, लेकिन श्रद्धालुओं की वजह से वो मनी फ्लो हमारे व्यापार को संभाल दिया. इस समय पूरे देश की गल्ला मंडी में राशन की कीमतें गिरी हैं. चावल की कीमतों में 30% तक, जबकि दालों की कीमत 33% तक गिरी है. काशी में इन श्रद्धालुओं ने राशन कारोबारियों को संभाल दिया है.

एक महीने में 5 हजार करोड़ की हुई कमाई

सामान्य दिनों में वाराणसी में चावल के सौ ट्रक, आटे के सौ ट्रक, सब्जियों और दालों के करीब पचास ट्रक रोज की खपत थे. अब ये खपत कई गुना बढ़ी है और अब ट्रकों की संख्या 750 रोज तक पहुंच गई है. ओम कृष्ण अग्रवाल का कहना है कि 13 जनवरी से 12 फरवरी के बीच श्रद्धालुओं ने काशी को करीब पांच हजार करोड़ रुपए दिए.