राजगढ़: शादी समारोह में नाइट्रोजन के कंटेनर में गिरी थी बच्ची, 6 दिन बाद तोड़ा दम, परिवार ने ऐसे पेश की मिसाल

मध्य प्रदेश में राजगढ़ जिले के खुजनेर में हाल ही में एक शादी समारोह में नाइट्रोजन के बरतन में गिरने से एक मासूम बच्ची घायल हो गई थी. वहीं, 6 दिन चले इलाज के बाद उसकी मौत हो गई. परिजनों का कहना है कि नाईट्रोजन पर रोक लगाना चाहिए. आजकल शादी समारोह में ऐसे रसायनों का ज्यादा प्रचलन है.
आजकल शादी-विवाह में नाईट्रोजन से धुआं कर फोटो और दूल्हा दुल्हन की इंट्री कराने का प्रचलन ज्यादा ही है. मध्य प्रदेश में राजगढ़ जिले के खुजनेर में हाल ही में एक शादी समारोह में नाइट्रोजन के बरतन में गिरने से एक मासूम बच्ची घायल हो गई थी. वहीं, 6 दिन चले इलाज के बाद उसकी मौत हो गई. इंदौर में इलाज के दौरान बच्ची ने तोड़ा दम तोड़ दिया. परिजनों का कहना है कि नाईट्रोजन पर रोक लगाना चाहिए.
राजगढ़ जिले के बाढ़गांव की सात साल की मासूम वाहिनी गुप्ता ने शनिवार रात इंदौर के अरबिंदो अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया. बीते छह दिनों से वह जिंदगी और मौत के बीच झूल रही थी. बच्ची 6 मई को अपने परिवार के साथ खुजनेर कस्बे में आयोजित एक शादी समारोह में गई थी, जहां रात के समय यह दर्दनाक हादसा हुआ. प्रशासन से शादी समारोह में ऐसे रसायनों पर रोकने लगाने की मांग की गई है.
परिवार ने बच्ची का नेत्रदान कर पेश की मिसाल
शादी समारोह में सजावट के समानों के साथ एक बर्तन में ठंडी नाइट्रोजन रखी हुई थी. बच्ची खेलते-खेलते अनजाने में जा कर उसमें गिर गई. नाइट्रोजन की अत्यधिक ठंडक के चलते वाहिनी का करीब 80 प्रतिशत शरीर झुलस गया था. हादसे के तुरंत बाद उसे स्थानीय स्तर में इलाज के लिए ले जाया गया. फिर गंभीर हालत को देखते हुए इंदौर के अरबिंदो अस्पताल रेफर किया गया.
अरबिंदो अस्पताल में डॉक्टरों ने बच्ची को पांच दिनों तक वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा, लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद वह जीवन की जंग हार गई. गहरे दुख की इस घड़ी में भी वाहिनी के परिवार ने इंसानियत की मिसाल पेश करते हुए बच्ची का नेत्रदान किया. अब उसकी आंखें किसी और की रोशनी बनेंगी. यह निर्णय न केवल प्रेरणादायी है, बल्कि समाज को नई सोच की दिशा भी देता है.
एक जान गई, क्या अब भी हम नहीं चेते?
सात साल की मासूम वाहिनी की मौत ने शादी समारोहों में होने वाली खतरनाक सजावट और दिखावे पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं. ठंडी नाइट्रोजन जैसे खतरनाक रसायनों का खुले में और बिना सुरक्षा उपायों के इस्तेमाल ने एक मासूम की जान ले ली. स्थानीय लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि इस प्रकार की व्यवस्थाओं पर रोक लगे और कड़ी निगरानी हो.
मृत बालिका के परिजन राजेश गुप्ता ने कहा कि एक जान गई, अब हमे इसको लेकर सावधान रहने की जरूरत है. बाढ़गांव और आसपास के इलाकों में शोक का माहौल है. लोगों का कहना है कि अगर थोड़ी सी सतर्कता बरती जाती तो यह हादसा टाला जा सकता था. अब जरूरी है कि प्रशासन इसे चेतावनी माने और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए.