‘शेख अली की गुमटी’ के आसपास से हटाएं अतिक्रमण… SC का केंद्र और MCD को सख्त निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली नगर निगम (MCD) को लोधी युग के स्मारक 'शेख अली की गुमटी' के आसपास के सभी अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया है. साथ ही एमसीडी को स्मारक परिसर के अंदर से अपने कार्यालय को खाली करने और दो सप्ताह के भीतर भूमि और विकास कार्यालय को सौंपने का भी आदेश दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र और दिल्ली नगर निगम (MCD) को लोधी युग के स्मारक ‘शेख अली की गुमटी’ के आसपास के सभी अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया. शीर्ष अदालत ने एमसीडी को स्मारक परिसर के अंदर स्थित अपने इंजीनियरिंग विभाग के कार्यालय को खाली करने और दो सप्ताह के भीतर इसे भूमि और विकास कार्यालय को सौंपने का भी आदेश दिया. साथ ही पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) और डीसीपी (यातायात) को आदेश का अनुपालन के लिए निगरानी करने को कहा है.
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सुधांशु धूलिया और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने सुनवाई के दौरान यह बात कही है. अदालत ने डिफेंस कॉलोनी रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (RWA) को स्मारक पर अनधिकृत कब्जे के लिए मुआवजे के रूप में 40 लाख रुपए का भुगतान करने का निर्देश दिया गया था. लेकिन RWA ने राशि जमा नहीं की है. वहीं, पीठ ने RWA को मुआवजे के भुगतान करने के लिए 14 मई तक का समय दिया है.
ASI को एक समिति गठित करने का आदेश
पीठ ने दिल्ली के पुरातत्व विभाग को स्मारक के जीर्णोद्धार के लिए एक समिति गठित करने का आदेश दिया था. जबकि भूमि एवं विकास कार्यालय को ‘शांतिपूर्ण’ तरीके से साइट का कब्जा सौंपने का निर्देश दिया गया था. इसके बाद इसने भारतीय राष्ट्रीय कला एवं सांस्कृतिक विरासत न्यास के दिल्ली अध्याय की पूर्व संयोजक स्वप्ना लिडल द्वारा दायर एक रिपोर्ट का अवलोकन किया. इसके बाद लिडल को इमारत का सर्वेक्षण और निरीक्षण करने, स्मारक को हुए नुकसान की सीमा का पता लगाने और इसके जीर्णोद्धार के लिए नियुक्त किया था.
हम आपकी निष्क्रियता से परेशान हैं- SC
पीठ ने नवंबर 2024 में डिफेंस कॉलोनी में स्मारक की सुरक्षा करने में विफल रहने के लिए एएसआई की खिंचाई की, जिसमें सीबीआई ने संकेत दिया कि एक आरडब्ल्यूए 15वीं सदी की संरचना का अपने कार्यालय के रूप में उपयोग कर रहा था. पीठ ने एएसआई की ओर से निष्क्रियता पर नाराजगी जताई. पीठ ने कहा, ‘आप (ASI) किस तरह के अधिकारी हैं? आपका जनादेश क्या है? आप प्राचीन संरचनाओं की रक्षा करने के अपने जनादेश से पीछे हट गए हैं. हम आपकी निष्क्रियता से परेशान हैं.’
राजीव सूरी ने दायर की थी याचिका
जस्टिस अमानुल्लाह ने RWA के आचरण और उसके औचित्य पर अपनी नाराजगी व्यक्त की. कोर्ट ने 1960 के दशक में मकबरे पर कब्जा करने और अपने कब्जे को यह कहकर उचित ठहराने के लिए आरडब्ल्यूए की खिंचाई की कि असामाजिक तत्व इसे नुकसान पहुंचा सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट डिफेंस कॉलोनी निवासी राजीव सूरी द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 के तहत संरचना को संरक्षित स्मारक घोषित करने के लिए अदालती निर्देश देने की मांग की गई थी.
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