हेमंत शर्मा की किताब ‘राम फिर लौटे’ का विमोचन, दत्तात्रेय होसबाले बोले- एक नहीं 72 बार हुआ आंदोलन

हेमंत शर्मा की किताब ‘राम फिर लौटे’ का विमोचन, दत्तात्रेय होसबाले बोले- एक नहीं 72 बार हुआ आंदोलन

हेमंत शर्मा की किताब 'राम फिर लौटे' के विमोचन के अवसर पर संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि राम राम शुभ है, राम राम मंगल है. राम राम प्रेरणा है, यह जीवन का प्रकाश है. राम-राम जीवन का आरंभ है और राम-राम जीवन का अंत है. भीम के नाम के भवन में रामजी के पुस्तक का विमोचन हुआ है.

अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर के उद्घाटन से पहले भगवान राम के चरित्र, राम मंदिर से जुड़े आंदोलन के साथ-साथ अयोध्या के सांस्कृतिक मूल्य पर रोशनी डालती प्रख्यात लेखक और टीवी9 भारतवर्ष के न्यूज डायरेक्टर हेमंत शर्मा की किताब ‘राम फिर लौटे’ का विमोचन आज शनिवार को कर दिया गया. प्रभात प्रकाशन ने इस किताब का प्रकाशन किया है. विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने इस अवसर पर कहा कि उस दिन हमें टीवी पर नहीं बल्कि मोहल्ले के मंदिर को एक दिन के लिए अयोध्या मानना होगा. जबकि संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि धर्म की स्थापना के लिए मजबूरी से ही सही यदि खून बहे तो हमें इसे सहना चाहिए.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने दिल्ली के आंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित कार्यक्रम में किताब राम फिर लौटे का लोकार्पण किया. इस दौरान स्वामी ज्ञानानंदजी महाराज भी मौजूद रहे. किताब के विमोचन के दौरान सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायधीश हेमंत गुप्ता विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए. विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार भी मौजूद रहे.

Hemant Sharma Book

टीवी9 भारतवर्ष के न्यूज डायरेक्टर हेमंत शर्मा की किताब ‘राम फिर लौटे’

टीवी नहीं देखें, मोहल्ले के मंदिर को अयोध्या मानेंः आलोक कुमार

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने इस अवसर पर कहा कि कोई कोई अवसर ऐसा होता है, कोई-कोई दृश्य ऐसा होता है जिसे देखने की प्रतीक्षा देवता भी करते हैं. 500 साल की प्रतीक्षा, 20 से 25 पीढ़ियों का संघर्ष, 74 युद्ध इन सब के बाद यह मंदिर. 22 जनवरी को देश के हजारों संत और विशिष्ट जनों की उपस्थिति में रामलला और उनकी बड़ी मूर्ति अपने जन्मस्थान पर बने गर्भगृह में प्राणप्रतिष्ठित हो जाएगी.

उन्होंने कहा कि राम विराजमान हो रहे हैं अपने घर के मंदिर में, इसे आप लोगों को घर में टीवी पर नहीं देखना है. आपको अपने मोहल्ले में बने मंदिर को एक दिन के लिए अयोध्या मानना है. पूरे समाज को वहां पर उपस्थित होना है. राम की जय-जयकार, विजय महामंत्र का पाठ और उसके बाद वह दृश्य जिसकी प्रतीक्षा हो रही है और फिर भगवान प्रतिष्ठित हो जाएं और आरती हो तो विश्व के 5 लाख से ज्यादा मंदिरों में करोड़ों लोग एक साथ आरती में शामिल हो जाएंगे. ये जो आरती होगी वह पूरी दुनिया को यह दर्शाएगी कि हमारा समय आ गया है. यह शताब्दी हमारी शताब्दी है. यह जो उस दिन का कार्यक्रम है वो राम और केवटराज का स्मरण कराएगा. और हमारे दिलों में उस पुण्य भाव को भरेगा कि सबके मन में रामजी है तो कोई छोटा या बड़ा. कोई छूत-अछूत नहीं हो सकता.

राम हमारा स्वाभिमानः स्वामी ज्ञानानंदजी महाराज

पुस्तक विमोचन के बाद अपने संबोधन में स्वामी ज्ञानानंदजी महाराज ने कहा कि राम हमारी आस्था हैं, वो निश्चित हैं. राम हमारी पूजा भी हैं. राम हमारी परंपरा भी हैं. राम हमारी अस्मिता हैं. राम हमारा स्वाभिमान हैं. राम हमारी पहचान हैं. इस विषय में कि जितना भी कहा जाए कि राम क्या हैं संभवतया कहते-कहते जितना वो हैं उतना वाणी से कह पाना संभव नहीं है. राम हमारा तन हैं राम हमारे मंदिर में भी हैं, वह हमारे मन मंदिर में भी हैं. राम हमारे कण-कण में हैं.

उन्होंने आगे कहा, ‘राम अयोध्या में महलों में प्रगटे, लेकिन स्वेच्छा से 14 साल के लिए वन का वनवास लेते हैं. वह वनवास भले ही अयोध्या में खालीपन लाता है, लेकिन न जानें कितनों के जीवन को भरने के लिए है. हमारी भारतीयता का दर्शन क्या है उसका एक स्पष्ट चित्रांकन दुनिया के आगे रखने के लिए राम भले ही अयोध्या में खुल खालीपन दे जाते हैं लेकिन 14 साल के वनवास कहीं केवट की नाव मांगकर, कहीं निषाद को गले लगाकर, कहीं शबरी के पास चलकर जाते हैं.’ उन्होंने कहा कि शबरी से मुलाकात के दौरान राम कहते हैं कि मैं स्तुति कराने नहीं बल्कि खुद स्तुति करने आया हूं. आलोचना करने वाले लोग ये भूल जाते हैं कि राम ने शबरी के झूठे बेर खाते हैं.

Dattatreya Hosabale

राम फिर लौटे का विमोचन के अवसर पर अपनी बात रखते संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले

शायद आंदोलन नियती थीः दत्तात्रेय होसबाले

संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि राम राम शुभ है, राम राम मंगल है. राम राम प्रेरणा है, यह जीवन के लिए प्रकाश है. राम-राम जीवन का आरंभ है और राम-राम जीवन का अंत है. भीम के नाम के भवन में रामजी के पुस्तक का विमोचन हुआ है. उन्होंने कहा कि हेमंत शर्मा जी अयोध्या और राम को लेकर पहले 2 किताबें लिख चुके हैं. अब उनकी यह तीसरी किताब है. मैं हेमंत जी का हृदय से अभिनंदन करता हूं. वो कहते हैं कि मैंने इस किताब को वंदे भारत की स्पीड से लिखा है. उनकी किताब में राम का तत्व है तो तुलसी जी का सत्व है.

किताब में आंदोलन के इतिहास का जिक्र करते हुए होसबाले ने कहा, ‘कल रात मैं किताब को पढ़ रहा था. इसके 2-3 अध्याय मैंने पढ़ी है. किताब में इस आंदोलन से जुड़ा पहला मुकदमा दर्ज हुआ 28 नवंबर, 1858 को. निहंग फकीर सिंह खालसा ने चबूतरा बनाया. इसे हटाने की कोशिश की गई, लेकिन वो हटे नहीं. किताब में हेमंत जी लिखते हैं कि राम मंदिर के लिए पहली लड़ाई एक सिख ने लड़ी और इस कार्य के लिए उन पर पहला आपराधिक मुकदमा भी चला. मैं इतना ही कहना चाहता हूं कि दिल्ली में यह कार्यक्रम हो रहा है. मैं देश की अहम बात को यहां कहना चाहता हूं कि कुछ लोगों ने अनावश्यक इतिहास को दबाकर अपना नैरेटिव चलाने की कोशिश कर रहे हैं. राम मंदिर के लिए आंदोलन एक-दो बार नहीं बल्कि 72 बार आंदोलन हुए.’

होसबाले ने कहा कि धर्म की स्थापना के लिए मजबूरी से ही सही यदि खून बहे तो यह हमें सहना चाहिए. लोक कल्याण के लिए खून बहता है तो इसे स्वीकार करना चाहिए. हमारे देश भारत का मूल कहता है कि अहिंसा परमो धर्मः. लेकिन यदि धर्म की स्थापना के लिए हिंसा हो जाती है तो हमें उसके लिए सोचना चाहिए. हिंसा से प्रेरणा भी लेनी चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह की हिंसा न होने पाए. कई बार तो हमें लगता है कि आंदोलन मजबूरी थी तो कभी-कभी लगता है कि आंदोलन नियती थी. आंदोलन की वजह से देशभर के अंदर प्रचंड राम वातावरण का निर्माण हुआ. शायद यह नियती के ही नियम हैं कि स्वाभाविक रूप से होने वाले कार्यक्रम के लिए भी आंदोलन करना पड़ा.

उन्होंने कहा कि राम धर्म के मूर्तिमान हैं. राम धर्म के विग्रह हैं. राम स्वंय धर्म हैं. राम राष्ट्र हैं. जहां राम है वहां वन भी है तो जन भी है. जहां राम नहीं है तो जन भी वन है. जहां जीवन का सर्वोत्तम है वहां राम है. राम मंदिर केवल एक मंदिर नहीं है जिसे टूरिज्म के लिए बनाया गया हो. अपने देश में पर्यटन और तीर्थागन दोनों अलग-अलग हैं. दिल्ली और राष्ट्र पर अयोध्या का वर्चस्व होना चाहिए. अयोध्या यानी राम, अयोध्या यानी लोकतंत्र. अयोध्या यानी त्याग है. राम नियम और संविधान से बंधे हुए हैं.