‘हिजाब पहनकर एग्जाम में बैठने की मंजूरी दो मीलॉर्ड’, SC से तत्काल सुनवाई की गुहार

‘हिजाब पहनकर एग्जाम में बैठने की मंजूरी दो मीलॉर्ड’, SC से तत्काल सुनवाई की गुहार

हिजाब मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट से जल्द सुनवाई की गुहार लगाई गई है. इसके लिए अगले महीने से शुरू हो रही परीक्षा का हवाला दिया गया है. वकील ने दलील दी है कि कोर्ट के आदेश की वजह से छात्रों को स्कूल में जाने की अनुमति नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा है कि हिजाब मामले पर वो जल्द ही सुनवाई करेगा. दरअसल कर्नाटक के सरकारी स्कूलों में हिजाब पहनकर परीक्षा देने की इजाजत नहीं है. क्योंकि कर्नाटक हाई कोर्ट का ड्रेस कोड संबंधी फैसला सुप्रीम कोर्ट के खंडित फैसले के चलते लागू है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बिना हिजाब पहनकर परीक्षा में शामिल होने की अनुमति नहीं है.

चीफ जस्टिस (CJI) डीआई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली बेंच के समक्ष वकील शादान फरासत ने कहा कि हिजाब मामले में एक खंडित निर्णय आया था और लड़कियों को अब परीक्षा देने के लिए सरकारी कॉलेजों में उपस्थित होना है और उन्हें हिजाब पहनने की अनुमति नहीं है. 9 मार्च को परीक्षा है. ऐसे में उनका एक साल का बर्बाद हो जाएगा.

6 फरवरी से होनी है परीक्षा

जिसके बाद सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने पूछा कि उन्हें परीक्षा देने की अनुमति क्यों नहीं है? वकील फरासत ने कहा, क्योंकि उन्हें हिजाब पहनकर स्कूल में घुसने नहीं दिया जा रहा है. ऐसे में आवेदन पर जल्द सुनवाई की आवश्यकता है. सीजेआई ने कहा मैं इस पर फैसला लूंगा.

बता दें कि जनवरी में कर्नाटक हिजाब मामले पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट जल्द ही 3 जजों की बेंच का गठन करने का आश्वासन दिया था. तब वरिष्ठ वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने चीफ जस्टिस के सामने मामला रखते हुए जल्द सुनवाई का अनुरोध किया था. उन्होंने कहा था कि 6 फरवरी से स्कूलों में प्रैक्टिकल परीक्षा होनी है.

अंतरिम आदेश की जारी करने की मांग

सुप्रीम कोर्ट को अंतरिम आदेश जारी करना चाहिए कि इसमें किसी छात्रा को रोका नहीं जाएगा. चीफ जस्टिस ने सुनवाई की कोई तारीख तो नहीं दी थी, लेकिन अरोड़ा से कहा कि वह रजिस्ट्रार के पास मामला रखें. जल्द ही बेंच के गठन पर विचार किया जाएगा.

पिछले साल 13 अक्टूबर को इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट के 2 जजों ने अलग-अलग फैसला दिया था. इसके चलते मामला बड़ी बेंच को भेजा जाना है. फिलहाल कर्नाटक हाई कोर्ट का वह फैसला लागू है, जिसमें स्कूल-कॉलेज में ड्रेस कोड के पूरी तरह पालन को सही ठहराया गया था.