हीरानंदानी का वो दावा जिससे महुआ मोइत्रा की सांसदी पर उठे सवाल, ऐसे हुआ ‘खेला’
'सवाल के बदले कैश' केस में दर्शन हीरानंदानी की एंट्री ने महुआ मोइत्रा की मुखरता को लॉक कर दिया है. उन्होंने अपने हलफनामे में कई दावों में एक दावा ये भी किया कि संसद के मेंबर पोर्टल का आईडी-पासवर्ड उनके ही पास था, जिसके जरिए वह सीधा स्पीकार ओम बिरला से सवाल पूछ सकते थे. इससे महुआ मोइत्रा के सांसदी पर सवाल उठ रहे हैं.
तृणमूल कांग्रेस की मुखर सांसद मानी जाने वाली महुआ मोइत्रा इन दिनों चौतरफा घिरी हैं. कहा जा रहा है कि उनकी मुखरता के पीछे कैश काम करता था. संसद में सवाल पूछने पर उसके पैसे लेती थीं. महंगे गिफ्ट्स और लग्जरी आइटम की कथित रूप से डिमांड करती थीं. बात यहां आम लोगों से पैसे लेने की नहीं है. बिजनेसमैन गौतम अडाणी के राइवल माने जाने वाले दर्शन हीरानंदानी की है जिनकी कथित हलफनामा लीक ने मोइत्रा पर सभी आरोपों को मानो पुख्ता कर दिया है. बावजूद इसके वह केस को निराधार बताती हैं और बदनाम करने का आरोप लगाती हैं. आरोप लगाने वालों को अवमानना नोटिस भी भेज दिया है. आइए समझते हैं इस केस में मोइत्रा की वो सबसे बड़ी गलती जिससे आज उनकी सांसदी पर सवाल खड़े हो रहे हैं.
रियल एस्टेट अरबपति निरंजन हीरानंदानी के बेटे दर्शन हीरानंदानी का दावा है कि उन्होंने केंद्र सरकार से सवाल पूछने के लिए महुआ मोइत्रा के संसदीय लॉगिन का इस्तेमाल किया. एक हलफनामे में उन्होंने आरोप लगाया कि मोइत्रा ने उनसे कई तरह के फायदे मांगे. मोइत्रा ने इन दावों का खंडन करते हुए दावा किया कि सरकार ने हीरानंदानी पर ये बयान देने के लिए दबाव डाला है. खैर ये उनकी राजनीतिक बयानबाजी हो सकती है लेकिन मोइत्रा पर लगे आरोप गंभीर हैं.
संसद में सवाल पूछने के तीन फॉर्मेट
संसद में सवाल पूछने की एक प्रक्रिया होती है. एक होता है तारांकित सवाल जिसे स्टार्ड क्वेश्चन कहते हैं और इसका जवाब संसद में मौखिक रूप से देना होता है और इस केस में सप्लीमेंट्री क्वेश्चन भी पूछा जा सकता है. दूसरा, अतारांकित सवाल जिसे अनस्टार्ड क्वेश्चन कहते हैं और इस केस में संबंधित मंत्री को लिखित में जवाब देना होता है और सप्लीमेंट्री क्वेश्चन नहीं पूछा जा सकता. इनके अलावा एक फॉर्मेट होता है शॉर्ट नोटिस का जिसका जवाब संबंधित मंत्री को दस दिनों में या तय समय सीमा में देना होता है. महुआ मोइत्रा के साथ यहीं पर एक बड़ा खेला हुआ. उन्होंने अपने मेंबर पोर्टल का लॉग-इन, आईडी पासवर्ड कथित रूप से दर्शन हीरानंदानी को थमाया हुआ था. वह मोइत्रा के बदले लगातार इसका इस्तेमाल कर रहे थे.
क्या है मेंबर पोर्टल और कैसे पूछते हैं सवाल?
आइए पहले समझ लेते हैं कि ये मेंबर पोर्टल क्या है और इसपर कोई सवाल कैसे पूछ सकता है. तो बता दें कि संसद में चुनकर आने वाले सदस्यों को एक वेब पोर्टल का एड्रेस, लॉग-इन आईडी, पासवर्ड दिया जाता है. जहां वह सरकार से कोई भी सवाल पूछ सकते हैं. यह ठीक ई-मेल की तरह काम करता है. सभी प्रक्रिया पूरी करने के बाद सवाल को स्पीकर के पास सेंड कर दिया जाता है. स्पीकर सवालों को देखते हैं और सवालों का जवाब देते हैं. मोइत्रा के ‘निजी करीबी दोस्त’ स्पीकर ओम बिड़ला से इसी के माध्यम से सीधा सवाल पूछते थे. हीरानंदानी का दावा है कि स्पीकर से जो कोई भी सवाल पूछे जाते थे सभी उनके पास होते थे. उन्होंने खुद इस पोर्टल का इस्तेमाल किया.
60-65 सवालों में 50 सिर्फ गौतम अडाणी पर
डेटा के मुताबिक, 2019 में उनके सांसद बनने के बाद सरकार से उन्होंने कमोबेश 60-65 सवाल पूछे हैं. हैरानी की बात ये है कि इनमें 50 सवाल सिर्फ गौतम अडाणी, उनके बिजनेस, सरकार के साथ उनकी डील को लेकर थे. महुआ मोइत्रा को अपना ‘निजी दोस्त’ बताने वाले दर्शन हीरानंदानी कहते हैं कि यह उनकी मशहूर होने की टैक्टिक्स थी. इसके लिए उन्होंने बिजनेसमैन गौतम अडाणी और उनके बिजनेस को निशाना बनाया. हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में भी कथित रूप से मोइत्रा द्वारा पूछे गए सवालों का हवाला दिया गया है और रिपोर्ट में कथित रूप से सरकार के जवाब को शामिल किया गया है.
संसदीय नियमों के मुताबिक, अगर कोई सांसद अपने विशेषाधिकार का गलत इस्तेमाल करता है तो यह संसद की अवमानना मानी जाती है. महुआ मोइत्रा केस की फिलहाल संसद की एथिक्स समिती जांच कर रही है, जहां यह तय हो सकेगा कि असल में क्या महुआ मोइत्रा ने सवाल के बदले कैश लिए थे या नहीं.