यहां है सिर्फ ब्राह्मणों का श्मशान घाट, 95 साल से हो रहा अंतिम संस्कार; अब क्यों छिड़ा विवाद?

यहां है सिर्फ ब्राह्मणों का श्मशान घाट, 95 साल से हो रहा अंतिम संस्कार; अब क्यों छिड़ा विवाद?

ओडिशा के केंद्रपाड़ा जिले में एक श्मशान घाट को लेकर विवाद छिड़ गया है. विवाद इसलिए, क्योंकि इस श्मशान घाट पर में 95 सालों से सिर्फ ब्राह्मण समाज के लोगों का अंतिम संस्कार होता आ रहा है. बाकि अन्य जातियों का प्रवेश वर्जित है. अब कुछ दलित समाज के लोगों ने इसको लेकर आवाज उठाई है और नगर पालिका से नियम में बदलाव करने की मांग की है.

देश में अक्सर जातिवाद को लेकर चर्चा और बहस छिड़ी रहती है. अभी हाल ही में बिहार में जातिगत गणना हुई तो खूब हो हल्ला हुआ. यही नहीं कुछ विशेष जातियों को तवज्जो देने का आरोप भी राज्य सरकारों पर लगता रहता है. ओडिशा में इस समय जातिवाद के ही एक मामले ने तूल पकड़ लिया है. दरअसल, केंद्रपाड़ा जिले में एक श्मशान घाट है. इस श्मशान घाट में सिर्फ ब्राह्मणों का अंतिम संस्कार किया जाता है. ये व्यवस्था आज से नहीं बल्कि 95 साल से चली आ रही है. आइए विस्तार से जानते हैं कि आखिर यह पूरा मामला कैसे सुर्खियों में आया?

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट की मुताबिक, ओडिशा के केंद्रपाड़ा जिले में जातिगत असमानता काफी अधिक है. देश की आजादी के बाद से ही जिले में रहने वाली विभिन्न जातियों में कभी आपस में नहीं पटी. सभी ने एक-दूसरे को हीन भावना से ही देखा. इसका यही कारण रहा कि मरने के बाद भी जाति देखकर शवों का अंतिम संस्कार किया जाने लगा. यहां तक कि उनके लिए अलग से श्मशान घाट बना दिए गए. केंद्रपाड़ा शहर के हजारीबागीचा श्मशान घाट में केवल ब्राह्मणों के शवों का अंतिम संस्कार करने का अधिकार है. हैरान करने वाली बात यह है कि ‘ब्राह्मण शमशान’ 1928 से संचालित हो रहा है.

क्या बोले दलित समाज के नेता?

इस बात की जानकारी भी तब हुई जब 154 साल पुराने नगर निकाय द्वारा हाल ही में श्मशान घाट के मुख्य द्वार पर एक साइनबोर्ड चिपकाया गया. ओडिशा दलित समाज जिला इकाई के अध्यक्ष नागेंद्र जेना ने बताया कि हमने इसको लेकर सरकार को एक पत्र भेजा. मुझे यह जानकर आश्चर्य हुआ कि नगर निकाय लंबे समय से केवल ब्राह्मणों के लिए एक श्मशान भूमि का रखरखाव कर रहा है. जब हमें इसकी जानकारी हुई तो हमने हाल ही में प्रशासन से इस श्मशान घाट में सभी हिंदुओं के अंतिम संस्कार करने की अनुमति देने का आग्रह किया था, लेकिन अधिकारियों ने हमारी दलीलों पर ध्यान नहीं दिया.

नगर निकाय की जांच होनी चाहिए- CPM

वहीं सीपीएम जिला इकाई के अध्यक्ष गयाधर धल ने कहा कि केंद्रपाड़ा शहर में केवल ब्राह्मणों के लिए श्मशान घाट का संचालन करना गलत है. इस पर नगर निकाय की जांच होनी चाहिए. मामला जब सुर्खियों में आया तो केंद्रपाड़ा नगर पालिका के कार्यकारी अधिकारी प्रफुल्ल चंद्र बिस्वाल ने कहा कि नगरीय निकाय 1928 से ‘ब्राह्मण शमशान’ घाट चला रहा है. दलित समाज की तरफ से हमें एक पत्र मिला है, जिसमें उन्होंने सभी हिंदुओं के अंतिम संस्कार की अनुमति देने की बात कही है. जल्द ही हम इस पर बैठक कर निर्णय लेंगे.

ये नियम मौलिक अधिकारों का उल्लंघन- अधिवक्ता

केंद्रपाड़ा शहर में रहने वाले वकील प्रदीप गोचायत ने कहा कि इस शहर में दलित समाज को कुछ मंदिरों में भी विभिन्न प्रकार के भेदभाव का सामना करना पड़ता है. उन्हें प्रवेश तक की अनुमति नहीं मिलती है. अब अंतिम संस्कार में भी जातिगत भेदभाव देखने को मिल रहा है. नगर निकाय ने गैर-ब्राह्मणों के शवों का अंतिम संस्कार करने तक से रोक दिया, क्योंकि यह श्मशान घाट केवल ब्राह्मणों के लिए है. यह नियम हमारे संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 के तहत गारंटीकृत सभी जातियों के लोगों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है.

हालांकि, एक स्थानीय निवासी बसंत पांडा ने कहा कि आज से 95 साल पहले 1928 में यह श्मशान घाट केवल ब्राह्मणों के लिए नगर निकाय द्वारा बनाया गया था. अन्य जाति के लोग पास के ही दूसरे श्मशान घाट पर शवों का दाह संस्कार करते हैं. कुछ लोगों ने किसी गलत मकसद से यह मुद्दा उठाया है. उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए.