निजी कारण या सियासी रणनीति, प्रदूषण से परेशान होकर जयपुर ही क्यों गईं सोनिया गांधी?

निजी कारण या सियासी रणनीति, प्रदूषण से परेशान होकर जयपुर ही क्यों गईं सोनिया गांधी?

कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी चुनावी राज्य राजस्थान की राजधानी जयपुर पहुंची हैं. कांग्रेस ने बताया कि डॉक्टर ने उन्हें साफ आबो-हवा वाली जगह पर शिफ्ट होने की सलाह दी है. पूर्व अध्यक्ष के जयपुर जाने के सियासी मायने भी हैं. गांधी परिवार चुनाव की तैयारी अपनी देखरेख में पूरा करना चाहता है. आइए समझते हैं कि आखिर जयपुर ही क्यों गईं सोनिया गांधी?

दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के चलते कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी दिल्ली से मंगलवार को जयपुर पहुंच गई हैं. सोनिया गांधी को सांस संबंधी समस्या है. डॉक्टरों ने उन्हें अस्थायी रूप से ऐसे स्थान पर जाने की सलाह दी है, जहां हवा की गुणवत्ता बेहतर हो. दिल्ली की प्रदूषित हवा से दूर सोनिया गांधी जयपुर ऐसे समय में पहुंची हैं, जब राजस्थान विधानसभा चुनाव की सियासी तपिश काफी गर्म है.

देश के पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव में राजस्थान कांग्रेस के लिए बेहद अहम है, क्योंकि यहां पर 5 सालों से सत्ता में है. कांग्रेस अपने दुर्ग को बचाए रखने के लिए हरसंभव कोशिश में जुटी है तो बीजेपी सत्ता में अपनी वापसी की उम्मीदे लगाए हुए हैं. ऐसे में सोनिया गांधी भले ही दिल्ली के प्रदूषण की वजह से जयपुर गईं हो, लेकिन रणनीतिक और राजनीतिक दोनों ही तौर पर कांग्रेस और उनके लिए काफी मुफीद माना जा रहा है?

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सोनिया गांधी के जयपुर जाने के व्यक्तिगत कारण

सोनिया गांधी के जयपुर जाने का पहला कारण माना जा रहा है कि दिल्ली की हवा प्रदूषित और जहरीली हो चुकी है. दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक तीन सौ से ऊपर है, जो गंभीर श्रेणी में है, जबकि जयपुर का आंकड़ा 60 से 70 के बीच है, जो मध्यम श्रेणी में है. सोनिया गांधी किसी पहाड़ी और पश्चिमी राज्य के बजाय जयपुर जाने की एक बड़ी वजह यह भी है कि दिल्ली से बहुत ज्यादा दूर नहीं है. हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला या फिर गोवा की तुलना में जयपुर नजदीक है और दोनों ही राज्यों की तुलना में स्वास्थ्य सेवा भी बेहतर है. अगर किसी कारण उनकी सेहत बिगड़ने पर दिल्ली आसानी से आ सकती हैं.

Sonia Gandhi And Mallikarjun Kharge

सोनिया गांधी जयपुर में रहने की एक वजह यह भी है कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी उनसे साथ रह सकेंगी. विधानसभा चुनाव प्रचार के लिहाज से राहुल-प्रियंका चार दिनों तक राजस्थान में रहेंगे. राहुल गांधी गुरुवार को पहुंच गए हैं तो प्रियंका गांधी भी पहुंच रही हैं. इस तरह राहुल और प्रियंका हर रोज अपनी मां का हाल चाल ले सकेंगी और उनका ख्याल रख सकेंगी. सोनिया गांधी अगर जयपुर के बजाय किसी दूसरे राज्य में होती तो राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के लिए विधानसभा चुनाव के बीच आना जाना मुश्किल होता. राहुल व प्रियंका गांधी अगर चुनाव प्रचार के बजाय होते तो उनकी अनुपस्थिति का विपक्ष को सवाल उठाने का मौका मिल जाता.

सोनिया गांधी का जयपुर में होने के सियासी मायने

सोनिया गांधी का जयपुर में रहने को कांग्रेस भले ही निजी यात्रा बता रही हो, लेकिन उसके सियासी मायने भी हैं. सोनिया गांधी के जयपुर में रुकने से कांग्रेस एक्टिव मोड में आ गई है. कहा जा रहा है कि इस कवायद का आशय चुनावी तैयारियों पर करीब से नजर रखना भी हैं. कांग्रेस को चुनावी पोस्टर में सिर्फ गहलोत नजर आ रहे थे, लेकिन अब सचिन पायलट की फोटो दिखने लगी है.

कांग्रेस की ओर से बाकायदा बयान जारी कर सोनिया गांधी के जयपुर प्रवास और राहुल गांधी की राजस्थान की रैलियों की तारीखें साझा की गई हैं, उससे साफ है कि चुनाव के आखिर में गांधी परिवार राजस्थान में रहकर सभी तैयारियों को सुनिश्चित करना चाहता है. राहुल गांधी 16, 19, 21 और 22 नवंबर यानि चार दिनों तक राजस्थान में चुनाव प्रचार करेंगे. इसी तरह से मल्लिकार्जुन खरगे और प्रियंका गांधी भी तीन दिनों तक राजस्थान में चुनाव प्रचार के लिए कैंप कर रहे हैं.

Rahul Gandhi Hindutva

राजस्थान में कांग्रेस में दो अहम चेहरे सीएम अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच सुलह के बाद भी वो अलग-अलग नजर आ रहे थे. लेकिन, सोनिया गांधी के जयपुर में पहुंचते ही दोनों नेता एक साथ खड़े दिख ही नहीं रहे और ऑल इज वेल का संकेत देने की कोशिश कर रही है

राहुल गांधी गुरुवार को जब जयपुर पहुंचे तो एयरपोर्ट पर गहलोत, पायलट और डोटासरा एक साथ नजर आए. कांग्रेस के तीनों दिग्गज नेताओं को एक साथ देखकर पथकारों ने सवाल किया तो राहुल गांधी कहा कि हम एक साथ नजर नहीं आ रहे, बल्कि एक साथ हैं. हम एकजुट रहेंगे और कांग्रेस यहां स्वीप करेगी. इसके बाद राहुल गांधी के साथ चुनाव प्रचार के दौरान पायलट और गहलोत एक दूसरे के हाथ पकड़े हुए कांग्रेस को जिताने और पार्टी के एकजुट होने का संदेश दे रही थी. यह तस्वीर पांच साल के बाद दिखी है.

राजस्थान विधानसभा चुनाव के टिकट चयन के दौरान केंद्रीय चुनाव समिति की पहली मीटिंग में हुई गरमा गरमी के बीच सोनिया गांधी को खुद कमान संभालनी पड़ी थी. सोनिया ने गहलोत और पायलट के बीच सोनिया ने बैलेंस बनाने की कोशिश की थी. सोनिया के रहते हुए कांग्रेस पूरी तरह से एक्टिव मोड में दिख रही है. कांग्रेस के लिए चुनाव प्रचार के आखिरी दौर में पार्टी नेताओं का एकजुट होना पार्टी के लिए मुफीद मानी जा रही है.