Year Ender 2023: बालासोर ट्रेन हादसे ने खोल दी रेलवे की सुरक्षा की पोल, दर्दनाक मंजर देखकर सिहर गए थे लोग

Year Ender 2023: बालासोर ट्रेन हादसे ने खोल दी रेलवे की सुरक्षा की पोल, दर्दनाक मंजर देखकर सिहर गए थे लोग

साल 1995 में फिरोजाबाद रेल दुर्घटना के बाद बालासोर ट्रेन हादसा भारत की सबसे घातक रेलवे दुर्घटना थी. 2 जून, 2023 की शाम को ओडिशा के बालासोर जिले में तीन ट्रेनों की टक्कर में कुल 296 लोग मारे गए थे और 1,200 से अधिक अन्य घायल हो गए थे. दुर्घटना की जांच अब सीबीआई कर रही है.

ओडिशा के बालासोर ट्रेन हादसे ने फिर से रेलवे की सुरक्षा की पोल खोल दी. ट्रेन दुर्घटना में सैकड़ों परिवार तबाह हो गया. किसी ने अपना बेटा खोया, तो किसी ने अपना पति, तो किसी ने अपना भाई. तबाही के मंजर में एक पिता का शवगृहों में अपने बेटे को खोजने का वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वह दुर्घटना स्थल के हर इलाके में जाकर अपने बेटे की तलाश करता दिख रहा था. वह काफी निराश और हताश था. लगभग यही कहानी हर उस परिवार या शख्स थी, जिसका कोई अपना ट्रेन से रवाना हुआ था और हादसे का शिकार हुआ था. साल 1995 में फिरोजाबाद रेल दुर्घटना के बाद बालासोर ट्रेन हादसा भारत की सबसे घातक रेलवे दुर्घटना थी, हालांकि साल 1999 में गैसल ट्रेन टक्कर में और अधिक लोग मारे गए थे.

2 जून, 2023 की शाम की घटना है. ओडिशा के बालासोर जिले में तीन ट्रेनें टकरा गईं. कोरोमंडल एक्सप्रेस पूरी रफ्तार से चल रही थी. बहनागा बाजार रेलवे स्टेशन के पास मुख्य लाइन के बजाय पासिंग लूप में प्रवेश कर गई और एक खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई. यह ट्रेन पश्चिम बंगाल के हावड़ा के पास शालीमार से यात्रा शुरू की और चेन्नई में एमजीआर चेन्नई सेंट्रल स्टेशन तक जानी थी, लेकिन बहनागा रेलवे स्टेशन के बाद यह दर्दनाक हादसा हो गया और बीच में ही यात्रा रूक गयी.

कोरोमंडल एक्सप्रेस की तेज गति के कारण ट्रेन के 21 डिब्बे पटरी से उतर गए और उनमें से तीन बगल के ट्रैक पर आ रही एसएमवीटी बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस से टकरा गए. 2864 बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस बेंगलुरु, कर्नाटक के एसएमवीटी बेंगलुरु से रवाना होकार विपरीत दिशा में निकटवर्ती डाउन मेन लाइन पर हावड़ा जा रही थी. दुर्घटना में कुल 296 लोग मारे गए और 1,200 से अधिक अन्य घायल हो गए.

तीन ट्रेनों में हुई थी टक्कर, सैंकड़ों की गई जान

Balasore Train Accident

बालासोर ट्रेन हादसा (फाइल फोटो)

कोरोमंडल एक्सप्रेस को अप मेन लाइन पर सीधे चलना था, लेकिन गलत तरीके से इसे पूरी गति से समानांतर अप लूप लाइन पर स्विच कर दिया गया, जहां यह लौह अयस्क से लदी मालगाड़ी से टकरा गई. टक्कर की गति तेज होने के कारण ट्रेन के 21 डिब्बे मुख्य लाइन से पटरी से उतर गये. मालगाड़ी न तो पटरी से उतरी और न ही आगे बढ़ी. कोरोमंडल एक्सप्रेस के पटरी से उतरे तीन डिब्बे बगल की पटरी पर जा गिरे और उसी समय स्टेशन पार कर रही बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस के पिछले हिस्से से टकरा गए.

इस घटना में कोरोमंडल एक्सप्रेस के इंजन, पार्सल वैन और दो जनरल कोच सबसे ज्यादा प्रभावित हुए. दो यात्री ट्रेनों में, सबसे ज्यादा क्षतिग्रस्त डिब्बे गैर-वातानुकूलित डिब्बे थे, जिनमें से कुछ अनारक्षित डिब्बे थे, जिनमें अक्सर सबसे अधिक भीड़ होती है. चूंकि ट्रेन बंगाल से रवाना हुई थी और ओडिशा होते हुए जा रही थी. इस कारण इस ट्रेन में बंगाल और ओडिशा से सबसे ज्यादा यात्री थे और सबसे ज्यादा मौत भी उनकी ही हुई थी. हालांकि दुर्घटना में कोरोमंडल एक्सप्रेस के चालक और सहायक चालक दोनों बच गए थे.

रेलवे ने घोषणा की कि वे मृतकों के परिवारों को 10 लाख, गंभीर रूप से घायलों को 2 लाख और मामूली चोटों वाले लोगों को 50,000 का मुआवजा देने का ऐलान किया. इसके अलावा, मृतकों के परिवारों को पीएमएनआरएफ से 2 लाख का अनुग्रह मुआवजा और घायलों को 50,000 दिया गया. संबंधित राज्य सरकार द्वारा भी आर्थिक मुआवजे दिए गये.

एंटी कॉलिजन डिवाइस नहीं लगने के कारण हादसा

Balasor Train Accident

दुर्घटना के बाद बचाव कार्य के लिए रेलवे मंत्री अश्विन वैष्णव लगातार दुर्घटना स्थल पर ही बने और उनकी देखरेख में बचाव और राहत कार्य हुए. बाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी दुर्घटना स्थल का दौरा किया. बंगाल की सीएम ममता बनर्जी से लेकर नवीन पटनायक ने घटना स्थल का दौरा किया.

रेलवे ने पूरे मामले की जांच की और पाया कि जिस ट्रैक पर टक्कर हुई, उस पर एंटी कॉलिजन डिवाइस तैनात नहीं की गई थी, जबकि दुर्घटना के पहले छह महीने में दो बार लापता एंटी-कॉलिजन सिग्नलिंग प्रणाली को लेकर चेतावनी दी गई थी. बाद में 7 जुलाई 2023 को, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने ट्रेन दुर्घटना से संबंधित मामले में महत्वपूर्ण प्रगति की घोषणा की. सीबीआई ने दुर्घटनाओं के लिए जिम्मेदार माने जाने वाले तीन रेलवे अधिकारियों को गिरफ्तार किया.

सीबीआई के बयान में उनकी पहचान भारतीय रेलवे में कार्यरत एक तकनीशियन और दो सिग्नल इंजीनियरों के रूप में की गई. उनके खिलाफ दायर एक मामले में उन पर गैर इरादतन हत्या और सबूत नष्ट करने का आरोप लगाया गया था. फिलहाल अदालत में मामला विचाराधीन है.

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